क्षिप्रा शुद्धिकरण के नाम पर ओर कितना लूटोगे?

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शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर अब तक लगभग 3000 करोड रुपए की योजना,फिर भी शिप्रा शुद्ध नहीं, इन योजनाओं में से 538 करोड़ की दो योजना  लगभग फेल

100 करोड़ की खान डायवर्सन पाइप लाइन योजना के फेल होने के बाद

टाटा सीवरेज प्रोजेक्ट 2017 में शुरू हुआ 401 करोड़ से 438 करोड़ का हो गया। फिर भी शहर का 100 फीसदी हिस्सा कवर नहीं हो रहा है। अभी 36 वार्ड और 9 वार्ड आंशिक रूप से ही कवर हो पाए हैं, जबकि बचे हुए 9 वार्ड इस प्रोजेक्ट में ही नहीं आ रहे 

540 करोड़ रुपये की एक ओर भूमिगत सीवरेज पाइपलाइन प्रोजेक्ट तैयार हुआ है। प्रोजेक्ट, अमृत मिशन 2.0 अंतर्गत बनाया है, जिसमें शहर के 54 में से शेष 19 वार्डों में 578 किलोमीटर लंबी 200 से 900 मिलीमीटर व्यास की भूमिगत पाइपलाइन बिछाना, प्रदूषित कान्ह नदी के पानी के उपचार के लिए पिपल्याराघौ गांव और उन्हेल चौराहा स्थित साडू माता की बावड़ी के पास सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाना प्रस्तावित 

1600 करोड रुपए की कान्ह डक्ट परियोजना शुरू की गई है

8 साल में 401 करोड़ का प्रोजेक्ट  438 का हुआ , लगभग 40 करोड रुपए से अधिक का अतिरिक्त भार  मध्य प्रदेश की जनता पर पड़ा
40 करोड़ की राजस्व हानी पहुंचाने का जिम्मेदार कौन? उज्जैन नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी या टाटा कंपनी

टाटा कंपनी को टेंडर मिलने पर शहर के ही ठेकेदारों को पेटी कांट्रेक्ट दे दिया गया, संसाधनों की कमी। बड़े काम के लिए मशीनें लाने में ही महीनों लगे,पेटी कांट्रेक्टरों को पेमेंट नहीं मिला, बड़े काम का अनुभव नहीं था, जिससे वह काम छोड़कर चले गए

40 करोड़ की रिकवरी निगम के जिम्मेदार अधिकारियों से होगी या टाटा से?

निगम आयुक्त बने कलेक्टर,कलेक्टर बने संभाग आयुक्त, विधायक बने मुख्यमंत्री बावजूद इसके किसी को नहीं गांठ रहा टाटा

निगम में कुछ चुनिंदा अधिकारी जो करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार से लबरेज़ हैं,न कोई जांच ,न कोई कारवाही,बल्कि उन्हें ही करोड़ों के प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी फिर दी जा रही

2023 में टाटा सीवरेज प्रोजेक्ट की फाइव लाइन लीकेज होने से क्षिप्रा नदी में बाढ़ के रूप में गंदा पानी मिला था ,न जांच न करवाही

ऐसे में सवाल यह है कि क्या क्षिप्रा शुद्धिकरण के करोड़ों के प्रोजेक्ट की लुटिया डुबाने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर सिंहस्थ 2028 के हजारों करोड रुपए के प्रोजेक्ट के समय से ओर गुणवत्ता से  पूर्ण करने पर विश्वास किया जा सकता है?

सवाल यह भी है कि इसकी कोई गारंटी देगा कि शिप्रा शुद्धिकरण के अभी अरबों रुपयों के चलने वाले प्रोजेक्ट विफल नहीं होंगे?

यह वीडियो 2023 में टाटा सीवरेज प्रोजेक्ट की पाइपलाइन फूटने का बंसल न्यूज का है, ईश्वर करे इसकी पुनरावृत्ति फिर न हो, और अगर हो तो जनता इसका खामियाजा भुगतने को तैयार रहे।


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