प्रतिनिधियों को ढाल बनाकर कौन कर रहा है?, महाकालेश्वर मंदिर में खुलेआम भ्रष्टाचार मंदिर एक्ट का खुलेआम हो रहा उल्लंघन

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प्रतिनिधियों को ढाल बनाकर कौन कर रहा है?, महाकालेश्वर मंदिर में खुलेआम भ्रष्टाचार

मंदिर एक्ट का खुलेआम हो रहा उल्लंघन

उज्जैन, महाकालेश्वर मंदिर विश्व के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है जहां लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन बाबा महाकाल की एक झलक पाने के लिए आते हैं लेकिन महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल के दर्शन करने और भस्म आरती के दर्शन के लिए श्रद्धालु भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं और यह भ्रष्टाचार कोई और नहीं बल्कि मंदिर में ही कार्यरत पुजारी पुरोहित उनके प्रतिनिधि और मंदिर के कर्मचारी ही करते हैं, आए दिन भ्रष्टाचार के मामले उजागर होते हैं हाल ही में भ्रष्टाचार के एक मामले में महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पुरोहित के प्रतिनिधि के द्वारा भस्म आरती में दर्शन हेतु श्रद्धालुओं से हजारों रुपए लिए गए,बावजूद श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलने पर श्रद्धालुओं ने महाकाल थाने में शिकायत दर्ज कराई।

“क्या पुजारी पुरोहित प्रतिनिधियों को ढाल बनाकर कर रहे हैं भ्रष्टाचार?”

महाकालेश्वर मंदिर में 16 पुजारी और 22 पुरोहित पूजन व्यवस्था संभालते हैं, समय के साथ-साथ पुजारी पुरोहित ने अपने अधीनस्थ कई प्रतिनिधि और सेवक रखें हैं, हालात यह हैं कि पुजारी पुरोहित प्रतिनिधि और सेवक के भेष में अनगिनत लोग धोती और दुपट्टा डालकर मंदिर के गर्भ ग्रह में प्रवेश कर रहे हैं, कई बार तो पुजारी पुरोहित और प्रतिनिधियों के भेष में यजमान भी धोती लपेटकर गर्भ ग्रह में प्रवेश करते हुए केमरे में कैद हुए हैं।
महाकालेश्वर मंदिर में पुरोहित और पुजारी को महाकाल मंदिर प्रशासन की ओर से भस्म आरती के कोटे का निर्धारण किया गया है जिसके चलते पुरोहित और पुजारी भस्म आरती में प्रतिदिन अपने जजमानों को भस्म आरती में प्रवेश हेतु रजिस्टर्ड करवाते हैं और यहीं से भ्रष्टाचार का सिलसिला शुरू होता है भस्म आरती में प्रवेश करने के नाम पर श्रद्धालुओं से हजारों रुपए वसूले जाते हैं और कई बार जरूरत से ज्यादा लोगों से पैसा लेकर जब भस्म आरती में प्रवेश नहीं मिल पाता है तब भ्रष्टाचार का मामला श्रद्धालुओं के द्वारा उजागर होता है लेकिन ऐसे मामलों में महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी एवं पुरोहित सीधे-सीधे अपने आप को बचा ले जाते हैं और सिर्फ प्रतिनिधियों और सेवकों कि भ्रष्टाचार में संलिपतता पाई जाती है, पुजारी और पुरोहितों तक भ्रष्टाचार की आंच इसलिए भी नहीं पहुंच पाती है क्योंकि जब भी कोई भ्रष्टाचार का मामला सामने आता है तो मंदिर समिति एवं मंदिर प्रशासन इसकी जांच करता है और महाकालेश्वर मंदिर समिति में मंदिर के पुजारी एवं पुरोहित भी सदस्य होते हैं ऐसे में मामले को कुछ दिनों बाद रफा दफा कर दिया जाता है , और किसी मामले में अगर कोई प्रतिनिधि या सेवक दोषी पाया जाता है तो उसे पुजारी एवं पुरोहित के द्वारा हटा दिया जाता है और उनकी जगह दूसरे प्रतिनिधि और सेवक की नियुक्ति हो जाती है और भ्रष्टाचार का यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है।

हाल ही में एक भ्रष्टाचार का एक मामला उजागर हुआ जिसमें भ्रष्टाचार से पीड़ित श्रद्धालु के अनुसार महाकाल मंदिर के पुजारी बबलू गुरू एवं प्रदीप गुरु के सेवक राजू उर्फ दुग्गर ओर दीपक वैष्णव, भस्म आरती परमिशन के लिए ग्राहक तलाश करता था और पुजारी के माध्यम से परमिशन कराता था, ग्राहक से मिले रुपयों का समान रूप से बंटवारा होता था , विद्या भूमकर ने महाकाल थाने में उक्त लोगों के खिलाफ शिकायती आवेदन दिया था, इसकी शिकायत मंदिर समिति को भी की गई थी,मंदिर समिति के पत्र पर पुलिस ने दीपक वैष्णव और राजू उर्फ दुग्गर के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है, महाकालेश्वर मंदिर के अधिकारियों और महाकाल थाना पुलिस के अनुसार मामले की जांच की जा रही है।
लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि जब भस्म आरती में प्रवेश करने के लिए पुजारी के प्रतिनिधि एवं सेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला पंजीबद हुआ है लेकिन भस्म आरती की परमिशन जिन पुजारी और पुरोहित के कोटे से आबंटित हुई वह दोषी कैसे नहीं है?सूत्रों से जानकारी यह भी है कि मामले से संबंधित पुजारी पुरोहित महाकालेश्वर मंदिर समिति के सदस्य भी हैं ऐसे में जांच की आंच वहां तक पहुंचती है या नहीं यह वक्त ही बताएगा, या यह भी हमेशा की तरह संभव है कि जांच कि आंच को वहां तक पहुंचने के पहले ही उसमें पानी डालकर बुझा दिया जाए, लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि प्रायोगिक रूप से यह संभव नहीं है कि पुजारी का प्रतिनिधि दोषी है लेकिन पुजारी दोषी नहीं ।

“पुजारी पुरोहित और उनके प्रतिनिधियों के मंदिर में प्रवेश हेतु फेस रीडिंग प्रवेश प्रणाली लागू हो”

महाकालेश्वर मंदिर के गर्भग्रह में अनैतिक प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन को पुजारी पुरोहित एवं उनके प्रतिनिधियों का प्रवेश फेस रीडिंग प्रवेश प्रणाली के आधार पर किया जाना चाहिए ताकि अन्य लोगों का प्रवेश इस प्रणाली के माध्यम से रोका जा सके पुजारी पुरोहित और उनके प्रतिनिधियों के बारकोड वाले आईडी कार्ड मंदिर प्रशासन बनाकर उस प्रणाली से मंदिर में उनका प्रवेश निर्धारित करता है तब मंदिर के गर्भ ग्रह में अनैतिक प्रवेश और इससे जुड़े भ्रष्टाचार पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती है।

“महाकाल मंदिर एक्ट में भस्म आरती कोटे संबंधी कोई नियम नहीं है फिर यह भस्म आरती कोटा निर्धारण किसने किया ?, इसका आधार क्या है?

महाकालेश्वर मंदिर एक्ट का महाकालेश्वर मंदिर समिति और मंदिर प्रशासन के द्वारा खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि महाकालेश्वर मंदिर एक्ट में कहीं भी भस्म आरती में कोटा निर्धारित करके इसका आवंटन किया जाने का नियम नहीं है, वर्तमान में महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली भस्म आरती के लिए अलग-अलग कई प्रकार के मनघड़ंत कोटे निर्धारित किए गए हैं जिसमें महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पुरोहित के कोटे, राजनीति के दलों के भस्म आरती कोटे, शासकीय प्रोटोकॉल कोटे, वीआईपी और वि वीआईपी कोटे, महाकालेश्वर मंदिर समिति सदस्य एवं मंदिर प्रशासन के अधिकारियों के कोटे आदि निर्धारित किए गए हैं और यह सब कोटा प्रथा भ्रष्टाचार का मूल कारण है ऐसे में आम श्रद्धालु की पहुंच भस्म आरती तक नहीहो पाती है और कहीं ना कहीं आम श्रद्धालु भस्म आरती से वंचित रह जाता है और इन्हीं सब कारण से बाहर से आने वाले श्रद्धालु भस्म आरती में प्रवेश के लिए दलालों के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं और उनको हजारों रुपए की चपत लग जाती है, जबकि वास्तविक में महाकालेश्वर मंदिर एक्ट के अनुसार कोटा प्रथा बंद करके सभी आम श्रद्धालुओं के लिए भस्म आरती में प्रवेश निशुल्क रूप से किया जाना चाहिए ताकि भस्म आरती के नाम पर भ्रष्टाचार पूर्णतः समाप्त हो सके।
महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन व्यवस्था में सशुल्क व्यवस्था के चलते भी आम श्रद्धालुओं के साथ दर्शन व्यवस्था में भेदभाव उत्पन्न होता है और आम श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन कई फीट दूर से शीशे में से दर्शन कर पता है और पैसा देकर दर्शन करने वाले श्रद्धालु नंदीहाल ,गणेश हाल कार्तिक मंडप से दर्शन करते हैं ऐसे में सशुल्क प्रोटोकॉल व्यवस्था भी समाप्त की जानी चाहिए इसकी मांग भी कई साधु संतों के द्वारा की गई है, साधु संतों के द्वारा यह भी कहा गया है कि बाकी सभी धर्म या संप्रदाय के धर्म स्थलों पर शुल्क देकर दर्शन व्यवस्था कहीं नहीं है तब ऐसे में सनातन धर्म के धर्म स्थलों पर शुल्क देकर सनातन धर्म के अनुयायियों को अपने ही इष्ट देव के दर्शन करने का शुल्क क्यों देने पर बाध्य किया जा रहा है।
बहर हाल महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती में प्रवेश के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है और कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार करने वाली बड़ी मछली हमेशा बचकर निकल जाती है और छोटी मछलियों का उपयोग कांटे में दाना लगाने के रूप में उपयोग किया जाता है लेकिन महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन भस्म आरती कोटा प्रथा को समाप्त करता है और हर आम आदमी के लिए भस्म आरती में प्रवेश के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू करता है तब ही महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल के दर्शन हेतु भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती है।


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