200 वर्षों से अधिक ,मुगलों ने ,100 वर्षों से अधिक अंग्रेजों ने ,भारत पर राज किया, जिसमें हिंदुस्तान के लोगों पर इतने जुल्म किए गए, जिस पर कई ग्रंथ लिखे जा सकते हैं ,जिसमें हिंदू संस्कृति को मिटाने की पुरजोर कोशिश की गई, लेकिन छत्रपति शिवाजी ,महाराणा सांगा ,महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान जैसे कई महा योद्धाओं ने मुगलों से लोहा लेकर हिंदू संस्कृति को खत्म होने से बचाया, वहीं भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद ,रानी लक्ष्मीबाई जैसे देशभक्तों ने अंग्रेजों के साथ दो-दो हाथ किए ।
आजादी के 70 साल के बाद अब एक बार फिर हिंदू संस्कृति को धूमिल एवं बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है ,अनुभव सिन्हा द्वारा आर्टिकल 15 फिल्म बनाई गई जिसमें यह दर्शाने की कोशिश की जा रही है की 70 सालों में ब्राह्मणों ने, जिसका एक रूप राजाओं के गुरु, तो दूसरा जंगलों में आश्रम बनाकर ईश्वर की तपस्या करना ,तो वही एक रूप गरीब ब्राम्हण सुदामा का भी रहा है, लेकिन इस फिल्म के माध्यम से यह दुष्प्रचार फैलाने की कोशिश की जा रही है कि ब्राह्मण जाति की संस्कृति एक क्रूर एवं अत्याचारी रही है ,इस फिल्म के माध्यम से आज हिंदू संस्कृति को धर्म एवं जाति के आधार पर बांटने का प्रयास किया जा रहा है ताकि हिंदुओं में आपस में फूट एवं एक दूसरे के प्रति दुर्भावना फैले और हिंदू संस्कृति छिन्न-भिन्न हो सके, इस फिल्म का मध्य प्रदेश सहित कई प्रदेशों में ब्राह्मण संगठनों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है एवं राज्य शासन द्वारा फिल्म को दिखाने पर प्रतिबंध लगाया गया है ।
अभी तक तो आर्टिकल 15 फिल्म के माध्यम से ब्राह्मणों को ही अत्याचारी बताने का प्रयास हो रहा था लेकिन पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर के पुत्र प्रयाग अकबर ने नेटफ्लिक्स पर लीला फिल्म का निर्माण किया इस फिल्म में पूरी हिंदू संस्कृति को ही हिंसक एवं अत्याचारी दर्शाने की कोशिश की गई है ,लीला फिल्म के माध्यम से यह दर्शाने की कोशिश की गई है कि हिंदूराष्ट्र वह कल्पना है जहां गैर हिंदू को जीने का कोई हक नहीं है, जहां गैर हिंदुओं के लिए तानाशाही है और हिंदू असहिष्णु है ,दोनों ही फिल्मों का निचोड़ देखा जाए तो स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि हिंदू संस्कृति को धूमिल करने की साजिश हो रही है ,एवम दुनिया को दर्शाया जा रहा है कि हिंदू बाहुल्य भारत में हिंदू या हिंदू संस्कृति दूसरे धर्म एवं जाति के लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं, इस तरह की मनगढ़ंत कहानियों पर आधारित फिल्मों का यकायक बनना यह दर्शाता है कि एक बार फिर असहिष्णुता एवं अवार्ड वापसी गैंग फिर सक्रिय दिखाई पड़ रही है, जिनका मुख्य उद्देश्य हिंदू संस्कृति को बदनाम एवं धूमिल करना है ,यह सब तब हो रहा है जब मोदी सरकार एक बार फिर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने के बाद ,तीन तलाक के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं पर हो रहे अत्याचार से निजात दिलाने के लिए तीन तलाक को खत्म करना, सरकार की प्राथमिकता ,एवम सबका साथ सबका विकास की कार्यशैली है।
हिंदू संस्कृति तो “वसुदेव कुटुंबकम” वाली संस्कृति है जिस को धूमिल करने के लिए षडयंत्र रचा जा रहा है ऐसे में सवाल ये उठता है कि हिंदुस्तान के इतिहास की कड़वी सच्चाई जिसमें औरंगजेब, बाबर ,हुमायूं ,महमूद गजनवी, मोहम्मद गोरी जैसे अनेकों मुगल शासक, जिन्होंने हिंदुस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार की सारी सीमाएं लांघी थी, क्यों कोई उस अत्याचार को दर्शाने वाली फिल्में बनाने की हिमाकत नहीं करता, क्यों हजारों कश्मीरी पंडितों की हत्या एवं पलायन की विवशता को लेकर फिल्में बनाने की जुर्रत नहीं करता ?दरअसल इस प्रकार की फिल्मों का तथ्यों से कोई लेना देना नहीं होता, बल्कि इनका मूल उद्देश्य भारत की हिंदू संस्कृति को धूमिल एवं बदनाम करना एवं भारत के लोगों को धर्म और जाति के आधार पर बांटकर ,हिंदू संस्कृति को खत्म करना है।
ऐसे में भारत सरकार एवं सेंसर बोर्ड को चाहिए कि इस प्रकार की फिल्मों के प्रदर्शन पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाए एवं भविष्य में भारत को धर्म एवं जाति के आधार पर बांटने वाली फिल्मों के निर्माण पर भी प्रतिबंध लगे।
