“सबसे बड़ा राष्ट्रधर्म”

संविधान के भाग 3 में समानता के अधिकार की भावना निहित है इसके अनुसार अनुच्छेद 15 में प्रावधान है कि किसी व्यक्ति के साथ जाति ,प्रजाति ,लिंग ,धर्म और जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा , 15( 4)के अनुसार यदि राज्य को लगता है कि कोई सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा […]

हल्के में लेना भारी पड़ सकता है।

अगर हम 2005 से 2018 के बीच की बात करें , विशेषतः पेट्रोल और डीजल की तो, कांग्रेस और BJP दोनों के शासनकाल मैं दाम 80रु से कम भी हुए और ज्यादा भी रहे ,और महंगाई का रेश्यो भी लगभग बराबर सा रहा , लेकिन लगातार दामों में बढ़ोतरी चिंता का विषय है ,और इसी […]

सरकार को “अ” का जवाब “आ” से देने की आवश्यकता

बच्चे को एक बार चॉकलेट देने के बाद उससे एकदम छीना नहीं जा सकता ,अन्यथा वह रोएगा व नाराज हो जाएगा, उसे समझाने की आवश्यकता है ,लोकसभा में एक भी मत एसटी-एससी एक्ट के विरोध में नहीं मिला ।(लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन के अनुसार)। इस मुद्दे पर स्वर्णिम वर्ग का कहना है कि “चॉकलेट” […]

न्यायतंत्र पर भारी लोकतंत्र

“अगर किसी एक तरफा बयान के आधार पर किसी सामान्य नागरिक के सिर पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी रहे तो समझिए कि हम सभ्य समाज मैं नहीं रह रहे “(जस्टिस आदर्श कुमार गोयल के अनुसार)। तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने अपने अंतिम पड़ाव में सितंबर 1989 को संसद में एससी एसटी एक्ट पास करवाया, कई […]