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200 वर्षों से अधिक ,मुगलों ने ,100 वर्षों से अधिक अंग्रेजों ने ,भारत पर राज किया, जिसमें हिंदुस्तान के लोगों पर इतने जुल्म किए गए, जिस पर कई ग्रंथ लिखे जा सकते हैं ,जिसमें हिंदू संस्कृति को मिटाने की पुरजोर कोशिश की गई, लेकिन छत्रपति शिवाजी ,महाराणा सांगा ,महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान जैसे कई महा योद्धाओं ने मुगलों से लोहा लेकर हिंदू संस्कृति को खत्म होने से बचाया, वहीं भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद ,रानी लक्ष्मीबाई जैसे देशभक्तों ने अंग्रेजों के साथ दो-दो हाथ किए ।
आजादी के 70 साल के बाद अब एक बार फिर हिंदू संस्कृति को धूमिल एवं बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है ,अनुभव सिन्हा द्वारा आर्टिकल 15 फिल्म बनाई गई जिसमें यह दर्शाने की कोशिश की जा रही है की 70 सालों में ब्राह्मणों ने, जिसका एक रूप राजाओं के गुरु, तो दूसरा जंगलों में आश्रम बनाकर ईश्वर की तपस्या करना ,तो वही एक रूप गरीब ब्राम्हण सुदामा का भी रहा है, लेकिन इस फिल्म के माध्यम से यह दुष्प्रचार फैलाने की कोशिश की जा रही है कि ब्राह्मण जाति की संस्कृति एक क्रूर एवं अत्याचारी रही है ,इस फिल्म के माध्यम से आज हिंदू संस्कृति को धर्म एवं जाति के आधार पर बांटने का प्रयास किया जा रहा है ताकि हिंदुओं में आपस में फूट एवं एक दूसरे के प्रति दुर्भावना फैले और हिंदू संस्कृति छिन्न-भिन्न हो सके, इस फिल्म का मध्य प्रदेश सहित कई प्रदेशों में ब्राह्मण संगठनों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है एवं राज्य शासन द्वारा फिल्म को दिखाने पर प्रतिबंध लगाया गया है ।
अभी तक तो आर्टिकल 15 फिल्म के माध्यम से ब्राह्मणों को ही अत्याचारी बताने का प्रयास हो रहा था लेकिन पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर के पुत्र प्रयाग अकबर ने नेटफ्लिक्स पर लीला फिल्म का निर्माण किया इस फिल्म में पूरी हिंदू संस्कृति को ही हिंसक एवं अत्याचारी दर्शाने की कोशिश की गई है ,लीला फिल्म के माध्यम से यह दर्शाने की कोशिश की गई है कि हिंदूराष्ट्र वह कल्पना है जहां गैर हिंदू को जीने का कोई हक नहीं है, जहां गैर हिंदुओं के लिए तानाशाही है और हिंदू असहिष्णु है ,दोनों ही फिल्मों का निचोड़ देखा जाए तो स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि हिंदू संस्कृति को धूमिल करने की साजिश हो रही है ,एवम दुनिया को दर्शाया जा रहा है कि हिंदू बाहुल्य भारत में हिंदू या हिंदू संस्कृति दूसरे धर्म एवं जाति के लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं, इस तरह की मनगढ़ंत कहानियों पर आधारित फिल्मों का यकायक बनना यह दर्शाता है कि एक बार फिर असहिष्णुता एवं अवार्ड वापसी गैंग फिर सक्रिय दिखाई पड़ रही है, जिनका मुख्य उद्देश्य हिंदू संस्कृति को बदनाम एवं धूमिल करना है ,यह सब तब हो रहा है जब मोदी सरकार एक बार फिर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने के बाद ,तीन तलाक के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं पर हो रहे अत्याचार से निजात दिलाने के लिए तीन तलाक को खत्म करना, सरकार की प्राथमिकता ,एवम सबका साथ सबका विकास की कार्यशैली है।
हिंदू संस्कृति तो “वसुदेव कुटुंबकम” वाली संस्कृति है जिस को धूमिल करने के लिए षडयंत्र रचा जा रहा है ऐसे में सवाल ये उठता है कि हिंदुस्तान के इतिहास की कड़वी सच्चाई जिसमें औरंगजेब, बाबर ,हुमायूं ,महमूद गजनवी, मोहम्मद गोरी जैसे अनेकों मुगल शासक, जिन्होंने हिंदुस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार की सारी सीमाएं लांघी थी, क्यों कोई उस अत्याचार को दर्शाने वाली फिल्में बनाने की हिमाकत नहीं करता, क्यों हजारों कश्मीरी पंडितों की हत्या एवं पलायन की विवशता को लेकर फिल्में बनाने की जुर्रत नहीं करता ?दरअसल इस प्रकार की फिल्मों का तथ्यों से कोई लेना देना नहीं होता, बल्कि इनका मूल उद्देश्य भारत की हिंदू संस्कृति को धूमिल एवं बदनाम करना एवं भारत के लोगों को धर्म और जाति के आधार पर बांटकर ,हिंदू संस्कृति को खत्म करना है।
ऐसे में भारत सरकार एवं सेंसर बोर्ड को चाहिए कि इस प्रकार की फिल्मों के प्रदर्शन पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाए एवं भविष्य में भारत को धर्म एवं जाति के आधार पर बांटने वाली फिल्मों के निर्माण पर भी प्रतिबंध लगे।

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आईएसएम एजुटेक के एमबीबीएस के छात्र छात्राओं ने एफएमजीई एग्जाम में किया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन एफएमजीई में उत्तीर्ण होने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया https://nationallive.in/archives/4346 https://nationallive.in/archives/4346#respond Sun, 23 Feb 2025 18:21:03 +0000 https://nationallive.in/?p=4346 आईएसएम एजुटेक के एमबीबीएस के छात्र छात्राओं ने एफएमजीई एग्जाम में किया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन एफएमजीई में उत्तीर्ण होने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया उज्जैन। इंडिया से बाहर एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं को भेजने वाली संस्था आईएसएम एजुटेक, जिनके स्टूडेंट ने भारत में आकर देने वाली एग्जाम एफएमजीई में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। रविवार को उज्जैन में आईएसएम […]

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आईएसएम एजुटेक के एमबीबीएस के छात्र छात्राओं ने एफएमजीई एग्जाम में किया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
एफएमजीई में उत्तीर्ण होने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया

उज्जैन। इंडिया से बाहर एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं को भेजने वाली संस्था आईएसएम एजुटेक, जिनके स्टूडेंट ने भारत में आकर देने वाली एग्जाम एफएमजीई में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। रविवार को उज्जैन में आईएसएम एजुटेक का एक सेमिनार आयोजित हुआ जिसमें इंडिया से बाहर किर्गिस्तान, रशीया जॉर्जिया, कजाकिस्तान आदि देश में एमबीबीएस करने के लिए भेजने वाली संस्था आईएसएम एजुटेक के एफएमजीई में उत्तीर्ण होने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया।
आईएसएम एजुटेक के मध्य प्रदेश के एग्जीक्यूटिव डॉ एच एम खान ने बताया कि भारत में गुड़गांव में स्थित आईएसएम एजुटेक संस्था जो की दुनिया के कई देशों मैं एमबीबीएस के लिए छात्र-छात्राओं को भेजती है, किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में स्थित आईएचएसएम के छात्र-छात्राओं ने एमबीबीएस कोर्स कंप्लीट करने के बाद भारत में आकर देने वाली एग्जाम एफएमजीई में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
डॉ फनी भूषण पौटू फाउंडर चेयरमेन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर आईएसएम एजुकेट मेड एज्यू केयर ने एफएमजीई में उत्तीर्ण हुए आईएसएम एजूटेक के 100 से अधिक स्टूडेंट्स को सम्मानित किया।
डॉ जी भानु प्रकाश, सीईओ प्रोसियम प्रायवेट लिमिटेड ने बताया कि आईएसएम एजूटेक के स्टूडेंट को एफएमजीई एग्जाम की तैयारी एमबीबीएस कोर्स करने के साथ-साथ सर्वश्रेष्ठ फैकल्टी के माध्यम से कराई जाती है जिसके चलते स्टूडेंट को भारत में आकर एफएमजीई की परीक्षा में उत्तीर्ण होने में आसानी हो जाती है।
इस सेमिनार में मध्यप्रदेश के आईएसएम एजुटेक के एग्जीक्यूटिव डॉ एच एम खान सहित संस्था के कई सदस्य एवं छात्र-छात्राओं के पालक मौजूद थे।

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क्या नगर निगम में भी चल रही है,रैगिंग? दी जा रही है मानसिक प्रताड़ना? सहायक यंत्री का इस्तीफा,निगम में षड्यंत्रकारी ताकतें जोरों पर महिला अधिकारी का इस्तीफा, शासन प्रशासन के लिए चिंतनीय  https://nationallive.in/archives/4228 https://nationallive.in/archives/4228#respond Fri, 04 Aug 2023 15:43:22 +0000 https://nationallive.in/?p=4228 क्या नगर निगम में भी चल रही है,रैगिंग? दी जा रही है मानसिक प्रताड़ना? सहायक यंत्री का इस्तीफा,निगम में षड्यंत्रकारी ताकतें जोरों पर महिला अधिकारी का इस्तीफा, शासन प्रशासन के लिए चिंतनीय उज्जैन, शासन प्रशासन के नुमाइंदों को अपने गिरेबान में झांकने की आवश्यकता है और अपनी कार्यशैली में अपने अधीनस्थ अधिकारियों के साथ किए […]

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क्या नगर निगम में भी चल रही है,रैगिंग? दी जा रही है मानसिक प्रताड़ना?

सहायक यंत्री का इस्तीफा,निगम में षड्यंत्रकारी ताकतें जोरों पर

महिला अधिकारी का इस्तीफा, शासन प्रशासन के लिए चिंतनीय

उज्जैन, शासन प्रशासन के नुमाइंदों को अपने गिरेबान में झांकने की आवश्यकता है और अपनी कार्यशैली में अपने अधीनस्थ अधिकारियों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर भी चिंतन करना आवश्यक है क्या नगर निगम के बड़े अधिकारी अपने अधीनस्थों को दे रहे हैं मानसिक प्रताड़ना? यह सवाल इसलिए है कि एक नगर निगम में महिला अधिकारी ,सहायक यंत्री विधु रानी कोराव द्वारा अचानक अपने पद से इस्तीफा दिया गया इससे स्पष्ट है कि नगर निगम में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, निगम के गलियारों में चर्चा है कि नगर निगम के अधिकारियों द्वारा अपने निचले अधिकारियों पर तानाशाही और प्रताड़ित किए जाने की सारी हदें पार कर चुके हैं जानकारी यह भी है कि चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक षड्यंत्र भी नगर निगम में जोरों पर है, जिसके चलते नगर निगम के सहायक यंत्री द्वारा अपनी बर्दाश्त करने की सारी हदें पार होने के बाद अंततः अपने पद से इस्तीफा दे दिया गया।

“क्या नगर निगम के अधिकारी अपने अधीनस्थों को दे रहे हैं मानसिक प्रताड़ना?

देश और प्रदेश के मुखिया महिला सशक्तिकरण बड़ी बड़ी डींगें हांकते हुए नजर आते हैं लेकिन इसकी वास्तविकता क्या है यह एक सरकारी विभाग की महिला अधिकारी द्वारा अपने पद से इस्तीफा दिए जाने से स्पष्ट है, जहां बड़े अधिकारियों के अपने अधीनस्थों के साथ किए जा रहे हैं व्यवहारों में कुटिलता, षड्यंत्रकारी मानसिकता अपनी चरम सीमा तक पहुंच चुकी है और जिसके चलते एक सरकारी विभाग में महिला अधिकारी द्वारा मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर अपने पद से इस्तीफा देना ही उचित समझा , इससे यह स्पष्ट हो गया है कि सरकारी विभागों में अफसरान पर षड्यंत्रकारी और कुटिल मानसिकता जोरों पर है।

“मध्य प्रदेश सरकार इस मामले की तह तक जाएगी?”

नगर निगम उज्जैन में कार्यरत सहायक यंत्री के अपने पद से इस्तीफा दिए जाने को शासन-प्रशासन एक सामान्य प्रक्रिया समझने की भूल ना ही करें तो अच्छा है क्योंकि यह एक बड़ा प्रश्न है कि एक सरकारी महिला मुलाजिम द्वारा अपने पद से इस्तीफा क्यों दिया गया, इसके पीछे का वास्तविक कारण क्या है यह जानना बहुत आवश्यक है क्योंकि यह प्रश्न चिन्ह न सिर्फ नगर निगम जैसे प्रशासनिक विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर उठ रहा है बल्कि आशंका यह भी है कि अन्य प्रशासनिक विभागों में भी महिला अधिकारी एवं कर्मचारी पर प्रताड़ित किए जाने वाली कार्यशैली हावी है, ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया नगर निगम उज्जैन में एक महिला अधिकारी द्वारा अचानक इस्तीफा दिए जाने के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए इस मामले की निष्पक्ष जांच कराएंगे?

बहर हाल नगर निगम की सहायक यंत्री विधु रानी कौरव द्वारा अपने पद से इस्तीफा दिए जाने का मामला, नगर निगम के अधिकारियों द्वारा अपने अधीनस्थों को मानसिक प्रताड़ना दिए जाने की और राजनीतिक षड्यंत्र की आशंका के चलते मामले की निष्पक्ष जांच कराने के लिए बाध्य कर सकता है, और यह जांच आवश्यक इसलिए भी है कि नगर निगम उज्जैन में अधिकारी भ्रष्टाचार की सारी चरम सीमाएं लांघ चुके हैं और जिसके चलते नगर निगम कंगाली के दौर से गुजर रहा है जहां के अधिकारी अपनी राजनीतिक सरपरस्ती के चलते अपने अधीनस्थों पर तानाशाही और मानसिक प्रताड़ना भरी कार्यशैली अपना रहे हैं जिसका उजागर होना आवश्यक है, ताकि दोषियों पर कार्रवाई की जा सके और आगे से कोई अधिकारी या कर्मचारी मानसिक प्रताड़ना की आशंका के चलते अपने पद से इस्तीफा ना दें।

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विश्वास का कार्यक्रम निरस्त होने की संभावना भोपाल से आयी खबर https://nationallive.in/archives/3918 https://nationallive.in/archives/3918#respond Wed, 22 Feb 2023 10:15:24 +0000 http://nationallive.in/?p=3918 उज्जैन। विक्रमोत्सव के अन्तर्गत उज्जैन में 21 से 23 फरवरी तक कुमार विश्वास द्वारा राम कथा के तहत प्रवचन दिए जाने थे। 21फरवरी को उन्होने अपने प्रवचन में जो कहा,उसे लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों से लेकर समग्र हिंदू समाज ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सूत्रों का दावा है कि कुमार […]

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उज्जैन। विक्रमोत्सव के अन्तर्गत उज्जैन में 21 से 23 फरवरी तक कुमार विश्वास द्वारा राम कथा के तहत प्रवचन दिए जाने थे। 21फरवरी को उन्होने अपने प्रवचन में जो कहा,उसे लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों से लेकर समग्र हिंदू समाज ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सूत्रों का दावा है कि कुमार विश्वास का 22 और 23 फरवरी को होनेवाला कार्यक्रम रद्द हो सकता है। बताया गया है कि उनकी तबियत नासाज है ?

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चकोर अपनी अंतिम सांसे ले रहा है,हत्या का दोषी नगर निगम https://nationallive.in/archives/3523 https://nationallive.in/archives/3523#respond Fri, 25 Nov 2022 04:20:00 +0000 http://nationallive.in/?p=3523 चकोर अपनी अंतिम सांसे ले रहा है,हत्या का दोषी नगर निगम चकोर के दिल के साथ साथ शहरवासियों का दिल भी हुआ तार तार उज्जैन, सिंहस्थ ही एक ऐसा आयोजन है जिसमे हर 12 साल में उज्जैन को गांव से शहर बनाने में अरबो रूपया खर्च हो जाता है लेकिन बड़े शर्म की बात है […]

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चकोर अपनी अंतिम सांसे ले रहा है,हत्या का दोषी नगर निगम
चकोर के दिल के साथ साथ शहरवासियों का दिल भी हुआ तार तार
उज्जैन, सिंहस्थ ही एक ऐसा आयोजन है जिसमे हर 12 साल में उज्जैन को गांव से शहर बनाने में अरबो रूपया खर्च हो जाता है लेकिन बड़े शर्म की बात है कि अगले 12 साल तक उज्जैन नगर निगम, गांव से शहर बने उज्जैन को संजो कर रख नहीं पाता है, और इस तरह उज्जैन शहर में अरबों रुपया खर्च होने के बाद भी नगर निगम के अधिकारियों की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के चलते शहर वीरान जंगल में तब्दील हो जाता है, इसका एक छोटा सा उदाहरण शहर के उद्यान हैं जोकि सिंहस्थ में करोड़ों रुपया लगाकर संवारे गए थे आज घोर बदहाली के शिकार हो रहे हैं।

शहर के लगभग सभी उद्यान जंगल में तब्दील हो रहे हैं लेकिन आज हम बात करेंगे चकोर पार्क की ,जिसे सिंहस्थ 2016 में 3 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करके सजाया और संवारा आ गया था, आज नगर निगम के अधिकारियों की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के चलते अपनी दुर्दशा को चीख चीख कर बयां कर रहा है, आलम यह है कि 20 बीघा के क्षेत्रफल में फैला चकोर पार्क जिसकी साल संभाल करने के लिए एक भी माली नहीं है इससे आपको अंदाजा लग गया होगा कि 20 बीघा के उद्यान में अगर एक भी माली नहीं है तो उसकी क्या दुर्दशा हो गई होगी, पूरे उद्यान में बड़ी-बड़ी जंगली झाड़ियां हो रही है, पानी और नियमित देखभाल की कमी से सभी पौधे और वृक्ष सुख रहे हैं, चारों तरफ सूखी लकड़ियां बिखरी पड़ी हैं, बच्चों के लिए लगाए गए झूले ,फिसल पट्टी, व्यायाम करने के उपकरण सब टूट चुके हैं ऐसी स्थिति में बच्चों एवं उनके अभिभावकों द्वारा इनका इस्तेमाल करने पर गंभीर चोट लगने का अंदेशा है बड़ी हास्यास्पद बात यह है कि उद्यान में पेड़ों से रस्सी बांधकर टायर के झूले पर्यटकों के लिए बनाए गए हैं जिस पर झूल कर पर्यटक घायल हो सके, उद्यान को देखने के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए जगह जगह महंगे ग्रेनाइट से बनी कुर्सियां बनाई गई थी अब वह टूट चुकी है उनके ऊपर के ग्रेनाइट गायब हो चुके हैं , यहां एक छोटा सा तालाब बनाया गया था जिस पर एक लकड़ी का ब्रिज बनाया गया था जोकि गुजरात में हुए हादसे की पुनरावृति करने को तैयार है जिसकी सारी लकड़ियां सड़ चुकी है लेकिन नगर निगम द्वारा यहां किसी का प्रकार का साइन बोर्ड नहीं लगाया गया है और ना ही इसको दुरुस्त कराया गया है, बावजूद इसके इस पर चलने पर प्रतिबंध भी नहीं लगाया गया है , इस ब्रिज पर कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है,जिस तालाब पर यह ब्रिज बनाया गया था वह तालाब भी पूरी तरह से सूख चुका है, चकोर पार्क में लगा दिल भी तार-तार हो चुका है,


इस तरह से चारों तरफ अव्यवस्थाओं के चलते पूरा चकोर पार्क वीरान बिहड़ का स्वरूप ले चुका है, लेकिन ताज्जुब की बात देखिए कि नगर निगम द्वारा इस वीरान बिहड़ जंगल को देखने के लिए ₹15 शुल्क भी पर्यटकों से वसूला जाता है, परिवार सहित पिकनिक मनाने की आस में पर्यटक यहां शुल्क देकर अंदर जाते हैं और जब वह अंदर के नजारों से रूबरू होते हैं तब उन्हें घोर निराशा होती है, चकोर पार्क में लाखों रुपए की लागत से बना म्यूजिकल फाउंटेन बनाया गया है, जिसका रोज शाम को शो हुआ करता था जिसे देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में पर्यटक यहां आते थे लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते महीनों से यह सूखा पड़ा हुआ है ,कर्मचारियों के अनुसार बोरिंग में मोटर फसी होने के कारण से महीनों से यह फाउंटेन शो बंद है नगर निगम के अधिकारियों की अनदेखी की वजह से महीनों से मोटर को दुरुस्त नहीं कराया गया है इसी के चलते पूरे पार्क में पानी की कमी के चलते पेड़ पौधे सूख रहे हैं लेकिन इन सबके बावजूद नगर निगम के उद्यान अधिकारी इसकी सुध लेने को तैयार नहीं है, नगर निगम के आला अधिकारी भी महीनों से यहां झांकने तक नहीं आए हैं ,साफ सफाई कर्मचारी चौकीदार सब मिलाकर कुल 8 का अस्थाई कर्मचारियों का स्टाफ है , अपनी अस्थाई नौकरी चली जाने के डर से चकोर पार्क का स्टॉप मुंह पर पट्टी बांधे बैठने को मजबूर है क्योंकि मुंह खुला और नौकरी गई , जबकि चकोर पार्क के मेंटेनेंस के लिए लाखों रुपए प्रतिमाह कागजों में दिखाकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है, बदहाली की हकीकत इससे ही स्पष्ट होती है कि 20 बीघा के इस बड़े चकोर पार्क में एक भी माली नहीं है।


बहर हाल नगर निगम के अधिकारियों द्वारा सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए भी फोन उठाना बंद कर दिया है क्योंकि इन बदहाली और दुर्दशा के लिए उनके पास कोई जवाब नहीं है, पूरे उज्जैन में 20 से अधिक बड़े पार्क हैं जो इसी तरह से अपनी दुर्दशा को बयां कर रहे हैं, आगे के अंक में शहर के और भी उद्यानों की हो रही दुर्दशा से आपको रूबरू कराएंगे, लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा लाखों रुपए का वेतन लेने के बाद भी अपने कर्तव्य के प्रति इतनी बेईमानी आखिर क्यों?, अब तो शहर में नगर निगम के जनप्रतिनिधि भी अपने-अपने वार्डों में विकास करने की शपथ ले चुके हैं, तो क्या नव निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी अपने-अपने वार्डों के उद्यानों की दुर्दशा का संज्ञान लेंगे?, जरूरत इस बात की है कि नगर निगम के आला अधिकारी और महापौर शहर के सभी उद्यानों की समय रहते सुध लें, और इन उद्यानों की साल संभाल के लिए आवश्यक कर्मचारी एवं संसाधन उपलब्ध कराएं ,एवम गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारियों पर आवश्यक कार्यवाही हो, अन्यथा जनता सब देख रही है और समझ भी नहीं है और इसका समय पर उत्तर देना भी जानती है।

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लोकतंत्र में तानाशाही, लोकतंत्र की गरिमा को कर रही है धूमिल https://nationallive.in/archives/2157 https://nationallive.in/archives/2157#respond Sat, 26 Jun 2021 11:00:31 +0000 http://nationallive.in/?p=2157   संपादकीय शासन एवम प्रशासन के नुमाइंदों की कार्यशैली ,लोकतंत्र को तानाशाही की ओर धकेल रही है, ओर इसका शिकार मीडिया को बनाया जा रहा है, लेकिन मीडिया की आवाज को बलपूर्वक दबाना या सरेबाजार उसका अपमान करने से उसके अस्तित्व को धूमिल करना संभव नहीं है, मीडिया आज स्पष्ट शब्दों में लोकतंत्र के सभी […]

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संपादकीय

शासन एवम प्रशासन के नुमाइंदों की कार्यशैली ,लोकतंत्र को तानाशाही की ओर धकेल रही है, ओर इसका शिकार मीडिया को बनाया जा रहा है, लेकिन मीडिया की आवाज को बलपूर्वक दबाना या सरेबाजार उसका अपमान करने से उसके अस्तित्व को धूमिल करना संभव नहीं है, मीडिया आज स्पष्ट शब्दों में लोकतंत्र के सभी तंत्रों को आगाह करता है कि सभी तंत्र संविधान के अनुसार मिले अधिकारों की सीमा रेखा को लांघकर दूसरे तंत्र को नीचा दिखाने का प्रयास न करे, क्योंकि यह प्रयास लोकतंत्र की गरिमा को धूमिल कर रहा है।
” मीडिया “लोकतंत्र का वह हिस्सा है जो लोकतंत्र को संचालित करता है ,प्रबंधन करता है और मार्गदर्शन भी, मीडिया लोकतंत्र का आईना है जो जनता के सामने लोकतंत्र के कार्यकलापों को प्रदर्शित करता है, वहीं जनता के प्रति लोकतंत्र के उत्तरदायित्व को भी दिखाता है, मीडिया के बिना लोकतंत्र का अस्तित्व संभव नहीं है।
लेकिन आजकल के परिदृश्य में कार्यपालिका और विधायिका यह दो तंत्र ऐसे हैं जो अपने निजी स्वार्थ और अहम के चलते तानाशाही की ओर लोकतंत्र को धकेल रहे हैं ,अगर हम कार्यपालिका की बात करें तो शासन और प्रशासनिक अधिकारी अपने पद में मदमस्त होकर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए अपनी सीमा को लांघते जा रहे हैं,
बात अगर पुलिस प्रशासन की करें तो उज्जैन के एक आईपीएस अधिकारी ने अपने पद के घमंड में चूर होकर मीडिया के एक वरिष्ठ पत्रकार एवं एक प्रतिष्ठित अखबार के संपादक के साथ निचले स्तर का दुर्व्यवहार, इस बात को प्रदर्शित करता है कि अधिकारी अपनी सीमा लांघते हुए लोकतंत्र के महत्वपूर्ण तंत्र मीडिया को लज्जित एवं नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसा करके पुलिस अधिकारी अपनी शपथ को भी लज्जित कर रहे हैं, वहीं अपने विभाग की गरिमा को भी तार-तार कर रहे हैं।
यह वाकिया कोई नया नहीं है, आए दिन प्रशासनिक अधिकारी अपने पद के घमंड में चूर होकर , अपनी लचर कार्यप्रणाली को दबाने के लिए बलपूर्वक मीडिया का मुंह बंद करने का प्रयास अक्सर किया जाता है, लेकिन वह यह भूल रहे हैं कि मीडिया का बलपूर्वक मुंह बंद करना उसका सारे बाजार अपमान करना एवं मीडिया के अस्तित्व को धूमिल करने का प्रयास लोकतंत्र को लज्जित करने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं ,यह भी अटल सत्य है कि मीडिया के बगैर लोकतंत्र का कोई अस्तित्व नहीं हो सकता।
अगर बात करें विधायिका की तो यहां भी तानाशाही का सुरूर सिर चढ़कर बोल रहा है ,जनप्रतिनिधि अपने आप को जनता का प्रतिनिधि कम बल्कि हिटलर बनने का प्रयास अधिक करते नजर आ रहे हैं ,जहां जनता की हितों की बात ना करते हुए निजी स्वार्थ को सिद्ध करने को प्राथमिकता दी जा रही है और इसी स्वार्थी कार्यप्रणाली को दबाने के लिए मीडिया का मुंह बलपूर्वक बंद करने का प्रयास किया जा रहा है, जनप्रतिनिधि जनता के हितों को नजरअंदाज करते हुए ,मनमाने अपने स्वार्थ सिद्धि के फैसले ले रहे हैं।

मीडिया लोकतंत्र का आईना है जिस पर अगर कोई कीचड़ उछालता है तो वह ऐसा करके अपने स्वयं को एवं अपने पूरे विभाग को उस कीचड़ से लथपथ कर रहा है।

मीडिया की कलम को भगवान श्री कृष्ण के उस सुदर्शन की भांति इस कलयुग में कहा गया है इस कलम में वह ताकत है जो बिना युद्ध लड़े शब्दों के बाण से अन्याय को परास्त कर ,न्याय और सत्य का परचम लहरा सकती है।
अंत में मैं इतना ही कहूंगा कि लोकतंत्र में समाहित सभी तंत्र अपनी हद और गरिमा का सम्मान करें एवं अपने पद और घमंड को संभालना सीखें ,क्योंकि घमंड ना बलशाली रावण का चला ना ही हिटलर का, अगर अनुशासन का पाठ किसी दूसरे को पढ़ाना है तो उसके लिए खुद का भी अनुशासित होना आवश्यक है।
मीडिया लोकतंत्र के हर तंत्र का सम्मान करता है लेकिन खुद के सम्मान पर कोई आंच आए ,यह भी बर्दाश्त नहीं , क्योंकि सम्मान से बढ़कर जीवन में कुछ नहीं होता और जिस दिन अपने सम्मान के रक्षा में “मीडिया” ने अपनी सीमा लाँघि , उस दिन लोकतंत्र अस्तित्व विहीन हो सकता है।

मनोज उपाध्याय
नेशनल लाइव

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शासन की साड़ी दिनोंदिन मैली, लेकिन प्राइवेट की साड़ी सफेद कैसे? https://nationallive.in/archives/2151 https://nationallive.in/archives/2151#respond Sun, 30 May 2021 12:23:42 +0000 http://nationallive.in/?p=2151 कहीं ऐसा तो नहीं कि हम अपने ही घर में दीमक बनकर उसे खोखला कर रहे हैं क्योंकि लोगों की जो मानसिकता है वह दिनोंदिन कुंठित होती जा रही है एवं वह दिन प्रतिदिन कालिदास की मानसिकता की ओर अग्रसर है और इस संदर्भ में वह अपना एवं अपने बच्चों के भविष्य को अंधकार की […]

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कहीं ऐसा तो नहीं कि हम अपने ही घर में दीमक बनकर उसे खोखला कर रहे हैं क्योंकि लोगों की जो मानसिकता है वह दिनोंदिन कुंठित होती जा रही है एवं वह दिन प्रतिदिन कालिदास की मानसिकता की ओर अग्रसर है और इस संदर्भ में वह अपना एवं अपने बच्चों के भविष्य को अंधकार की ओर धकेल रहा है, कैसे आइए हम जानते हैं ।

हर आदमी की  चाहत है कि उसे सरकारी नौकरी मिल जाए,एवं हर आदमी को अपनी लड़की के लिए सरकारी दामाद चाहिए, लेकिन जब किसी व्यक्ति कि सरकारी नौकरी लग जाती है तब वह अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारना शुरू कर देता है अर्थात
शिक्षा विभाग- शिक्षा विभाग की  बात करें तो शासकीय शिक्षक एवं प्राध्यापक बनने के लिए उच्च शिक्षित होना आवश्यक होता है एवं परीक्षाओं और विभिन्न ने इंटरव्यू के दौर से गुजरने के बाद एक व्यक्ति शासकीय शिक्षक या प्राध्यापक बनता है ,सरकार उसे मोटी तनखा देती है लेकिन बावजूद इसके सरकारी स्कूलों की शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है, हालात यह हैं कि मोटी तनख्वाह पाने वाला शिक्षक या प्राध्यापक खुद अपने बच्चों को भी सरकारी स्कूल एवं कॉलेजों में पढ़ाना पसंद नहीं करता है, वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों, जहां की बाहरी चकाचौंध से आकर्षित होकर वह अपने बच्चों का भविष्य को अंधकार की ओर धकेल देता है, आखिर क्या कारण है कि इतना शिक्षित व्यक्ति जिस पर सरकार भरोसा करती है कि वह बच्चों को शिक्षित कर उनके भविष्य को उज्जवल करेगा, लेकिन एक उच्च शिक्षित शिक्षक अपने ही सरकारी प्रतिष्ठान को बंद करने का प्रयास दिनोंदिन करता जा रहा है, लेकिन  उच्च शिक्षित शिक्षक की चाह यह रहती है कि उसके बच्चे को सरकारी नौकरी मिले, यह किस प्रकार की मानसिकता है?
स्वास्थ्य विभाग- स्वास्थ्य विभाग के भी वही हाल है , एक शासकीय डॉक्टर शासन से मोटी तनखा लेता है लेकिन प्राइवेट अस्पताल एवं प्राइवेट प्रैक्टिस पर उसका पूरा ध्यान केंद्रित होता है, पूरे संसाधन होने के बावजूद सरकारी अस्पताल से डॉक्टर ,मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में रेफर कर देते हैं, एक सरकारी डॉक्टर अपने परिवार का इलाज शत प्रतिशत प्राइवेट अस्पतालों में ही कराना पसंद करता है, वहीं एक आम आदमी भी पैसों के अभाव में ही सरकारी अस्पतालों में जाता है अन्यथा वह शत प्रतिशत प्राइवेट अस्पतालों में ही अपना उपचार कराना पसंद करता है अर्थात हम सब मिलकर अपने हाथों से सरकारी ढांचे को खत्म करना चाहते हैं, लेकिन चाहत यह  रहती है कि खुद को और अपने बच्चों को सरकारी नौकरी मिले।
अमूमन हर सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है ,सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली इतनी पेंचीदा है कि जहां किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए महीनों एवं सालों लग जाते हैं, इसी के चलते आम आदमी की मानसिकता पर प्राइवेट सेक्टर गहरा प्रभाव छोड़ जाते हैं और एक आम आदमी प्राइवेट सेक्टर की ओर आकर्षित होता है , एवं सरकारी उपक्रम दिनोंदिन गर्त में समाते जा रहे हैं।
सरकारी कर्मचारियों की मानसिकता का अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं कि भारत सरकार का उपक्रम भारत संचार निगम लिमिटेड अर्थात बीएसएन एल के हालात यह है कि वह बंद होने की कगार पर पहुंच चुका है जबकि बीएसएनएल के टावर का उपयोग करते हुए प्राइवेट कंपनियां प्रगति के नए आयाम को छू रही है, यही हाल हर दूसरे सरकारी उपक्रम की होती जा रही है।
और इस पूरे परिदृश्य में शासकीय निकायों को गर्त में जाने का श्रेय कहीं ना कहीं जनप्रतिनिधि एवं राजनेताओं को भी जाता है, क्योंकि अधिकांश जनप्रतिनिधि एवं राजनेताओं ने सरकारी उपक्रमों की प्रतिस्पर्धा में प्राइवेट संस्थानों या यूं कहें कि खुद की हिस्सेदारी के संस्थानों को स्थापित कर दिया है ,चाहे वह स्कूल ,कॉलेज, हॉस्पिटल एवं अन्य व्यापारिक क्षेत्र हों, हर जगह राजनेताओं के हस्तक्षेप विद्यमान है।
 वर्तमान परिदृश्य यह कहता है कि  जो लोग सरकारी विभागों में कार्यरत हैं, और जिस कार्य प्रणाली से वह कार्य कर रहे हैं उसे देखते हुए भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए सरकारी उपक्रम शायद जिंदा रहे ही ना।
इस विषय पर भारत के हर नागरिक ,विशेषकर सरकारी विभागों में कार्य करने वालों के लिए यह चिंतनीय विषय है।

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बहुत बड़ी बात कह गए, राहुल गांधी और कमलनाथ https://nationallive.in/archives/2143 https://nationallive.in/archives/2143#respond Sat, 22 May 2021 14:56:53 +0000 http://nationallive.in/?p=2143 ब्लैक फंगस महामारी को लेकर सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि “मोदी सिस्टम के कुशासन के चलते सिर्फ भारत में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फ़ंगस महामारी है, उन्होंने कहा कि इस नई महामारी की दवा की  बाजार बहुत कमी है।   दरअसल ब्लैक फंगस बीमारी […]

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ब्लैक फंगस महामारी को लेकर सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि “मोदी सिस्टम के कुशासन के चलते सिर्फ भारत में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फ़ंगस महामारी है, उन्होंने कहा कि इस नई महामारी की दवा की  बाजार बहुत कमी है।

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दरअसल ब्लैक फंगस बीमारी नई नहीं  है ,ब्लैक फंगस  या म्यूकोरमाइकोसिस का संक्रमण नया तो नहीं है, लेकिन फिर भी कोविड-19 (Covid-19) की वजह से इसे नया कहा जा रहा है,इसका पहला मामला 1885 में जर्मनी के पाल्टॉफ नाम के एक पैथोलॉजीस्ट ने देखा था. इसके बाद म्यूकोरमाइकोसिस नाम अमेरिकी पैथोलॉजीस्ट आरडी बेकर ने दिया था. 1943 में इससे संबंधित एक शोध छपा था 1955 में इस बीमारी से बचने वाला पहला शख्स हैरिस नाम का व्यक्ति बताया जाता है. तब से अब तक इसके निदान आदि में ज्यादा बदलाव नहीं आया है।

लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो आरोप लगाया है की ब्लैक फंगस सिर्फ और सिर्फ भारत में ही तेजी से क्यों फैल रहा है ,जानकारों की इस पर अलग-अलग राय है कुछ का मानना है कि ब्लैक फंगस, पानी की खराबी से होता है एवं कुछ का मानना है कि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर यह रोग हो सकता है लेकिन बहुतायत जानकारों का मानना है कि ब्लैक फंगस इन दिनों भारत में होने का कारण कोरोना संक्रमण के समय दी जाने वाली ऑक्सीजन के समय दूषित पानी की वजह से होता है ,वहीं कोरोना संक्रमण के इलाज मे दिए जाने वाले स्ट्राइड रेमदेसीविर इंजेक्शन के साइड  इफेक्ट को भी वजह माना जा रहा  है,

ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब रेमदेसीविर इंजेक्शन जिससे कोरोना का इलाज नहीं होना बताया जा रहा है और जिसके इतने गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं तब भारत में यह इंजेक्शन किसकी इजाजत से लगाया जा रहा है ,क्या भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी इजाजत दी है? यह एक जांच का विषय है।

वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उज्जैन में मध्य प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 127000 मौतें मध्य प्रदेश में हुई इनमें से 80% कॉविड से हुई,शमशान और कब्रिस्तान में पहुंची लाशों का रिकॉर्ड प्रदेश सरकार सार्वजनिक करें, इंटरनेट पर डाले,रिकॉर्ड सार्वजनिक होते ही जनता खुद तय करेगी कि कौन झूठ बोल रहा, मरनेे वाले  को पांच लाख दिए जाएं ,प्रमाण पत्र नहीं उनसे एफिडेविट लिए जाए, 

दरअसल कमलनाथ के इस आरोप के पीछे कहा जा रहा है कि जब कोई करोना पॉजिटिव होता है एवं हॉस्पिटल में उसका इलाज चलता है ,एवं कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने पर डिस्चार्ज किया जाता है लेकिन इलाज के दौरान मरीज की मृत्यु होने पर डिस्चार्ज के समय अधिकांश लोगों की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव बताई जा रही है ,जिसके कारण यह संदेह  जताया जा रहा है, जो कि एक जांच का विषय है।

बाहर हाल कांग्रेस के दिग्गजों द्वारा लगाए गए केंद्र सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार पर इन आरोपों की निष्पक्ष जांच होती है या नहीं?

 

 

 

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ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार कर सकेंगे ,जन स्वास्थ्य रक्षक https://nationallive.in/archives/2136 https://nationallive.in/archives/2136#respond Wed, 21 Apr 2021 16:37:15 +0000 http://nationallive.in/?p=2136 उज्जैन ,कोरोना का नया रूप स्ट्रेन बहोत तेजी से फैल रहा है, हालात यह है कि अब ग्रामीण क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है,वहीं उज्जैन जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वेक्सीन लगाने की गति में अब तेजी आ रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार न मिलने की वजह से साधारण सर्दी जुखाम वायरल […]

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उज्जैन ,कोरोना का नया रूप स्ट्रेन बहोत तेजी से फैल रहा है, हालात यह है कि अब ग्रामीण क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है,वहीं उज्जैन जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वेक्सीन लगाने की गति में अब तेजी आ रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार न मिलने की वजह से साधारण सर्दी जुखाम वायरल टाइफाइड मलेरिया उल्टी दस्त बुखार आदि से ग्रसित लोग भी शहर का रुख कर रहे हैं,जबकि उज्जैन शहर के शासकीय एवं प्राइवेट अस्पतालों में ना तो बेड उपलब्ध है और ऑक्सीजन एवं इंजेक्शन में अनियमितता के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार करने वाले जन स्वास्थ रक्षक न सिर्फ कोरोना संक्रमण से रोकथाम के लिए ग्रामीण लोगों को जागरूक कर सकते हैं बल्कि वह कोरोना से बचने के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन लगाने के लिए भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जागरूक करने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं ।

भाजपा अध्यक्ष ग्रामीण बहादुर सिंह बोरमुंडला ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना फैलने से रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं एवं आपदा प्रबंधन की बैठक मैं भी ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण को रोकने के बारे में चर्चा की गई है उन्होंने बताया कि उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह से इस विषय में चर्चा हुई है कि ग्रामीण क्षेत्रों साधारण सर्दी जुखाम मलेरिया टाइफाइड उल्टी दस्त वायरल बुखार आदि में ग्रामीण लोगों को जन स्वास्थ्य रक्षकों द्वारा प्राथमिक उपचार मिलना आवश्यक है अन्यथा कोरोना के अलावा अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं में ग्रामीण शहरों की ओर आने पर बाध्य होगा एवं उज्जैन शहर में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले ग्रामीणों के भी कोरोना संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है।
बहादुर सिंह बोर मुंडला ने बताया कि उज्जैन कलेक्टर ने इस संबंध में कहा है कि जल्द ही वह एसडीएम को निर्देशित करेंगे कि ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहे जन स्वास्थ्य रक्षकों को प्राथमिक उपचार करने की छूट दी जाए।
उज्जैन प्रशासन के इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को साधारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में प्राथमिक उपचार ग्रामीण क्षेत्रों में ही जन स्वास्थ्य रक्षकों की मदद से मिल जाएगा एवं गंभीर मरीज ही शहरी क्षेत्र में आ सकेंगे इस तरह ग्रामीण लोगों का शहरी क्षेत्र में ना आने पर कोरोना संक्रमण से भी काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।

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“क्या अब उज्जैन में धार्मिक त्योहारों के हिसाब से लगेगा लॉकडाउन?” https://nationallive.in/archives/2130 https://nationallive.in/archives/2130#respond Mon, 12 Apr 2021 05:45:10 +0000 http://nationallive.in/?p=2130   सम्पादकीय क्या अब उज्जैन में धार्मिक त्योहारों के हिसाब से लगेगा लॉकडाउन?,यह सवाल आज उज्जैन के प्रत्येक नागरिक के मन में है,यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि उज्जैन के जनप्रतिनिधियों के मन में अपनी जनता की धार्मिक भावनाओं का कितना महत्व है, क्या जनता के जनप्रतिनिधि चुनने के बाद जनता की रॉय के कोई […]

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सम्पादकीय

क्या अब उज्जैन में धार्मिक त्योहारों के हिसाब से लगेगा लॉकडाउन?,यह सवाल आज उज्जैन के प्रत्येक नागरिक के मन में है,यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि उज्जैन के जनप्रतिनिधियों के मन में अपनी जनता की धार्मिक भावनाओं का कितना महत्व है, क्या जनता के जनप्रतिनिधि चुनने के बाद जनता की रॉय के कोई मायने नहीं रह जाते,क्या जनता को भरोसे में लेकर जनप्रतिनिधि ओर प्रशासन लॉक डाउन बढ़ाने का फैसला नहीं कर सकते थे, आज जनता लॉक डाउन के फैसले से पूरी तरह कंफ्यूज है, क्योंकि उज्जैन में लॉक डाउन शुक्रवार की शाम से सोमवार की सुबह तक था ,लेकिन इसे एक सप्ताह तक के लिए ओर बढ़ा दिया गया, इसके पीछे का कारण बढ़ता कोरोना है?, इसका कारण उज्जैन के जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों  ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से की गई विशेष गुजारिश  है जिसमें यह कहा गया कि सोमवती अमावस्या ओर हरिद्वार में चल रहे कुंभ के मेले के चलते उज्जैन में अधिक लोगों के आने की संभावना है,अधिक संख्या में लोग उज्जैन में जमा न हो पाएं ,इसलिए उज्जैन में एक सप्ताह का लॉक डाउन किया जाये, ऐसे में प्रश्न यह है कि क्या कोरोना के चलते धार्मिक त्यौहारों पर इस प्रकार प्रतिबंध लगाया जाएगा?,

जनता के मन में यह सवाल घर कर रहा है कि सरकार कोरोना की आड़ लेकर सिर्फ धार्मिक त्योहारों पर ही क्यों प्रतिबंध लगा रही है, आखिर क्यों राजनैतिक आयोजनों ओर चुनाव इससे अछूते हैं ।

बहरहाल उज्जैन के जनप्रतिनिधियों ओर प्रशासन द्वारा धार्मिक त्योहारों पर पूर्ण लॉक डाउन के फैसले को जल्दबाजी में लिया फैसला, जनता के बीच माना जा रहा है, जनता के बीच चर्चा यह भी है कि उज्जैन में विगत दिनों बिना कोरोना के भी शनिचरी अमावस्या पर समुचित व्यवस्था न कर पाने की वजह से कुछ बड़े प्रशासनिक अधिकारियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था, तो क्या प्रशासन द्वारा सोमवती अमावस्या पर समुचित व्यवस्था कर पाने में असमर्थता भी लॉक डाउन का कारण तो नहीं, क्योकि इस धार्मिक त्योहार सोमवती अमावस्या पर कोरोना के समय में भी समुचित व्यवस्था कर कुंभ में शाही स्नान किया जा रहा  है, तो  क्या मध्यप्रदेश सरकार लोगों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए जनता को क्षिप्रा में स्न्नान की व्यवस्था नहीं कर सकती थी?, आखिर उज्जैन के जनप्रतिनिधियों ओर प्रशासन ने सोमवती अमावस्या पर जनता को स्नान कराने में असमर्थता क्यों जताई?,प्रश्न यह कि क्या सोमवती अमावस्या पर क्षिप्रा स्न्नान की कोरोना गाइडलाइन के अनुसार व्यवस्था करने में असमर्थ प्रदेश सरकार है या उज्जैन  के जनप्रतिनिधि या प्रशासन?

इस प्रकार के सवाल उज्जैन की जनता आने वाले समय में ओर चुनाव में मौजूदा सरकार से ओर जनप्रतिनिधियों से पूछ सकती है, चूंकि प्रशासन तो सरकार के आदेशानुसार कार्य करता है।

 

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