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मध्य-प्रदेश Archives - Nationalive... https://nationallive.in/archives/category/मध्य-प्रदेश Wed, 15 Mar 2023 10:29:57 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 https://nationallive.in/wp-content/uploads/2023/03/Mice-Logo-2.png मध्य-प्रदेश Archives - Nationalive... https://nationallive.in/archives/category/मध्य-प्रदेश 32 32 बहुत बड़ी बात कह गए, राहुल गांधी और कमलनाथ https://nationallive.in/archives/2143 https://nationallive.in/archives/2143#respond Sat, 22 May 2021 14:56:53 +0000 http://nationallive.in/?p=2143 ब्लैक फंगस महामारी को लेकर सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि “मोदी सिस्टम के कुशासन के चलते सिर्फ भारत में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फ़ंगस महामारी है, उन्होंने कहा कि इस नई महामारी की दवा की  बाजार बहुत कमी है।   दरअसल ब्लैक फंगस बीमारी […]

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ब्लैक फंगस महामारी को लेकर सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि “मोदी सिस्टम के कुशासन के चलते सिर्फ भारत में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फ़ंगस महामारी है, उन्होंने कहा कि इस नई महामारी की दवा की  बाजार बहुत कमी है।

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दरअसल ब्लैक फंगस बीमारी नई नहीं  है ,ब्लैक फंगस  या म्यूकोरमाइकोसिस का संक्रमण नया तो नहीं है, लेकिन फिर भी कोविड-19 (Covid-19) की वजह से इसे नया कहा जा रहा है,इसका पहला मामला 1885 में जर्मनी के पाल्टॉफ नाम के एक पैथोलॉजीस्ट ने देखा था. इसके बाद म्यूकोरमाइकोसिस नाम अमेरिकी पैथोलॉजीस्ट आरडी बेकर ने दिया था. 1943 में इससे संबंधित एक शोध छपा था 1955 में इस बीमारी से बचने वाला पहला शख्स हैरिस नाम का व्यक्ति बताया जाता है. तब से अब तक इसके निदान आदि में ज्यादा बदलाव नहीं आया है।

लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो आरोप लगाया है की ब्लैक फंगस सिर्फ और सिर्फ भारत में ही तेजी से क्यों फैल रहा है ,जानकारों की इस पर अलग-अलग राय है कुछ का मानना है कि ब्लैक फंगस, पानी की खराबी से होता है एवं कुछ का मानना है कि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर यह रोग हो सकता है लेकिन बहुतायत जानकारों का मानना है कि ब्लैक फंगस इन दिनों भारत में होने का कारण कोरोना संक्रमण के समय दी जाने वाली ऑक्सीजन के समय दूषित पानी की वजह से होता है ,वहीं कोरोना संक्रमण के इलाज मे दिए जाने वाले स्ट्राइड रेमदेसीविर इंजेक्शन के साइड  इफेक्ट को भी वजह माना जा रहा  है,

ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब रेमदेसीविर इंजेक्शन जिससे कोरोना का इलाज नहीं होना बताया जा रहा है और जिसके इतने गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं तब भारत में यह इंजेक्शन किसकी इजाजत से लगाया जा रहा है ,क्या भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी इजाजत दी है? यह एक जांच का विषय है।

वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उज्जैन में मध्य प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 127000 मौतें मध्य प्रदेश में हुई इनमें से 80% कॉविड से हुई,शमशान और कब्रिस्तान में पहुंची लाशों का रिकॉर्ड प्रदेश सरकार सार्वजनिक करें, इंटरनेट पर डाले,रिकॉर्ड सार्वजनिक होते ही जनता खुद तय करेगी कि कौन झूठ बोल रहा, मरनेे वाले  को पांच लाख दिए जाएं ,प्रमाण पत्र नहीं उनसे एफिडेविट लिए जाए, 

दरअसल कमलनाथ के इस आरोप के पीछे कहा जा रहा है कि जब कोई करोना पॉजिटिव होता है एवं हॉस्पिटल में उसका इलाज चलता है ,एवं कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने पर डिस्चार्ज किया जाता है लेकिन इलाज के दौरान मरीज की मृत्यु होने पर डिस्चार्ज के समय अधिकांश लोगों की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव बताई जा रही है ,जिसके कारण यह संदेह  जताया जा रहा है, जो कि एक जांच का विषय है।

बाहर हाल कांग्रेस के दिग्गजों द्वारा लगाए गए केंद्र सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार पर इन आरोपों की निष्पक्ष जांच होती है या नहीं?

 

 

 

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ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार कर सकेंगे ,जन स्वास्थ्य रक्षक https://nationallive.in/archives/2136 https://nationallive.in/archives/2136#respond Wed, 21 Apr 2021 16:37:15 +0000 http://nationallive.in/?p=2136 उज्जैन ,कोरोना का नया रूप स्ट्रेन बहोत तेजी से फैल रहा है, हालात यह है कि अब ग्रामीण क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है,वहीं उज्जैन जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वेक्सीन लगाने की गति में अब तेजी आ रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार न मिलने की वजह से साधारण सर्दी जुखाम वायरल […]

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उज्जैन ,कोरोना का नया रूप स्ट्रेन बहोत तेजी से फैल रहा है, हालात यह है कि अब ग्रामीण क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है,वहीं उज्जैन जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वेक्सीन लगाने की गति में अब तेजी आ रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार न मिलने की वजह से साधारण सर्दी जुखाम वायरल टाइफाइड मलेरिया उल्टी दस्त बुखार आदि से ग्रसित लोग भी शहर का रुख कर रहे हैं,जबकि उज्जैन शहर के शासकीय एवं प्राइवेट अस्पतालों में ना तो बेड उपलब्ध है और ऑक्सीजन एवं इंजेक्शन में अनियमितता के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार करने वाले जन स्वास्थ रक्षक न सिर्फ कोरोना संक्रमण से रोकथाम के लिए ग्रामीण लोगों को जागरूक कर सकते हैं बल्कि वह कोरोना से बचने के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन लगाने के लिए भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जागरूक करने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं ।

भाजपा अध्यक्ष ग्रामीण बहादुर सिंह बोरमुंडला ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना फैलने से रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं एवं आपदा प्रबंधन की बैठक मैं भी ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण को रोकने के बारे में चर्चा की गई है उन्होंने बताया कि उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह से इस विषय में चर्चा हुई है कि ग्रामीण क्षेत्रों साधारण सर्दी जुखाम मलेरिया टाइफाइड उल्टी दस्त वायरल बुखार आदि में ग्रामीण लोगों को जन स्वास्थ्य रक्षकों द्वारा प्राथमिक उपचार मिलना आवश्यक है अन्यथा कोरोना के अलावा अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं में ग्रामीण शहरों की ओर आने पर बाध्य होगा एवं उज्जैन शहर में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले ग्रामीणों के भी कोरोना संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है।
बहादुर सिंह बोर मुंडला ने बताया कि उज्जैन कलेक्टर ने इस संबंध में कहा है कि जल्द ही वह एसडीएम को निर्देशित करेंगे कि ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहे जन स्वास्थ्य रक्षकों को प्राथमिक उपचार करने की छूट दी जाए।
उज्जैन प्रशासन के इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को साधारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में प्राथमिक उपचार ग्रामीण क्षेत्रों में ही जन स्वास्थ्य रक्षकों की मदद से मिल जाएगा एवं गंभीर मरीज ही शहरी क्षेत्र में आ सकेंगे इस तरह ग्रामीण लोगों का शहरी क्षेत्र में ना आने पर कोरोना संक्रमण से भी काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।

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“क्या अब उज्जैन में धार्मिक त्योहारों के हिसाब से लगेगा लॉकडाउन?” https://nationallive.in/archives/2130 https://nationallive.in/archives/2130#respond Mon, 12 Apr 2021 05:45:10 +0000 http://nationallive.in/?p=2130   सम्पादकीय क्या अब उज्जैन में धार्मिक त्योहारों के हिसाब से लगेगा लॉकडाउन?,यह सवाल आज उज्जैन के प्रत्येक नागरिक के मन में है,यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि उज्जैन के जनप्रतिनिधियों के मन में अपनी जनता की धार्मिक भावनाओं का कितना महत्व है, क्या जनता के जनप्रतिनिधि चुनने के बाद जनता की रॉय के कोई […]

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सम्पादकीय

क्या अब उज्जैन में धार्मिक त्योहारों के हिसाब से लगेगा लॉकडाउन?,यह सवाल आज उज्जैन के प्रत्येक नागरिक के मन में है,यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि उज्जैन के जनप्रतिनिधियों के मन में अपनी जनता की धार्मिक भावनाओं का कितना महत्व है, क्या जनता के जनप्रतिनिधि चुनने के बाद जनता की रॉय के कोई मायने नहीं रह जाते,क्या जनता को भरोसे में लेकर जनप्रतिनिधि ओर प्रशासन लॉक डाउन बढ़ाने का फैसला नहीं कर सकते थे, आज जनता लॉक डाउन के फैसले से पूरी तरह कंफ्यूज है, क्योंकि उज्जैन में लॉक डाउन शुक्रवार की शाम से सोमवार की सुबह तक था ,लेकिन इसे एक सप्ताह तक के लिए ओर बढ़ा दिया गया, इसके पीछे का कारण बढ़ता कोरोना है?, इसका कारण उज्जैन के जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों  ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से की गई विशेष गुजारिश  है जिसमें यह कहा गया कि सोमवती अमावस्या ओर हरिद्वार में चल रहे कुंभ के मेले के चलते उज्जैन में अधिक लोगों के आने की संभावना है,अधिक संख्या में लोग उज्जैन में जमा न हो पाएं ,इसलिए उज्जैन में एक सप्ताह का लॉक डाउन किया जाये, ऐसे में प्रश्न यह है कि क्या कोरोना के चलते धार्मिक त्यौहारों पर इस प्रकार प्रतिबंध लगाया जाएगा?,

जनता के मन में यह सवाल घर कर रहा है कि सरकार कोरोना की आड़ लेकर सिर्फ धार्मिक त्योहारों पर ही क्यों प्रतिबंध लगा रही है, आखिर क्यों राजनैतिक आयोजनों ओर चुनाव इससे अछूते हैं ।

बहरहाल उज्जैन के जनप्रतिनिधियों ओर प्रशासन द्वारा धार्मिक त्योहारों पर पूर्ण लॉक डाउन के फैसले को जल्दबाजी में लिया फैसला, जनता के बीच माना जा रहा है, जनता के बीच चर्चा यह भी है कि उज्जैन में विगत दिनों बिना कोरोना के भी शनिचरी अमावस्या पर समुचित व्यवस्था न कर पाने की वजह से कुछ बड़े प्रशासनिक अधिकारियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था, तो क्या प्रशासन द्वारा सोमवती अमावस्या पर समुचित व्यवस्था कर पाने में असमर्थता भी लॉक डाउन का कारण तो नहीं, क्योकि इस धार्मिक त्योहार सोमवती अमावस्या पर कोरोना के समय में भी समुचित व्यवस्था कर कुंभ में शाही स्नान किया जा रहा  है, तो  क्या मध्यप्रदेश सरकार लोगों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए जनता को क्षिप्रा में स्न्नान की व्यवस्था नहीं कर सकती थी?, आखिर उज्जैन के जनप्रतिनिधियों ओर प्रशासन ने सोमवती अमावस्या पर जनता को स्नान कराने में असमर्थता क्यों जताई?,प्रश्न यह कि क्या सोमवती अमावस्या पर क्षिप्रा स्न्नान की कोरोना गाइडलाइन के अनुसार व्यवस्था करने में असमर्थ प्रदेश सरकार है या उज्जैन  के जनप्रतिनिधि या प्रशासन?

इस प्रकार के सवाल उज्जैन की जनता आने वाले समय में ओर चुनाव में मौजूदा सरकार से ओर जनप्रतिनिधियों से पूछ सकती है, चूंकि प्रशासन तो सरकार के आदेशानुसार कार्य करता है।

 

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प्रख्यात पत्रकार अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी चौथे स्तंभ पर हमला https://nationallive.in/archives/2121 https://nationallive.in/archives/2121#respond Wed, 04 Nov 2020 16:09:53 +0000 http://nationallive.in/?p=2121 सिटी प्रेस क्लब उज्जैन ने राष्ट्रपति के नाम दिया ज्ञापन  उज्जैन। पत्रकार अर्नब गोस्वामी को मुंबई में महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया तथा जिस अमानवीय तरीके से उनकी गिरफ्तारी की गई है उसका विरोध करते हुए सिटी प्रेस क्लब ने बुधवार शाम एक ज्ञापन सौंपा। राष्ट्रपति के नाम दिये गये ज्ञापन में कलेक्टर को संबोधित […]

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सिटी प्रेस क्लब उज्जैन ने राष्ट्रपति के नाम दिया ज्ञापन 
उज्जैन। पत्रकार अर्नब गोस्वामी को मुंबई में महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया तथा जिस अमानवीय तरीके से उनकी गिरफ्तारी की गई है उसका विरोध करते हुए सिटी प्रेस क्लब ने बुधवार शाम एक ज्ञापन सौंपा।
राष्ट्रपति के नाम दिये गये ज्ञापन में कलेक्टर को संबोधित करते हुए उल्लेखित किया गया कि अर्नब गोस्वामी विगत कई वर्षों से राष्ट्रीय पत्रकारिता कर रहे हैं लेकिन पुलिस जिस बर्बर तरीके से उनके साथ व्यहार कर रही है और महाराष्ट्र पुलिस उनके कई पुराने मामले निकालकर उन्हें फंसा रही है इससे पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त है। कलेक्टर आशीष सिंह को सौंपे गये ज्ञापन में मांग की गई कि केन्द्र सरकार एवं सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप करें। इस अवसर पर मुख्य संगठक शैलेन्द्र कुल्मी, अध्यक्ष संदीप मेहता, सचिव राजेश कुल्मी, वरिष्ठ पत्रकार निरूक्त भार्गव, सचिन गोयल, अनिल तिवारी, उपाध्यक्ष महेन्द्रसिंह बैस, सुदीप मेहता, जितेन्द्र दुबे, उमेश चौहान, संजय शुक्ल, धर्मेन्द्र सिरोलिया, अरविंद देवधरे, राहुल मिश्रा, संजय माथुर, जय कौशल, गोविंद सोलंकी, जितेन्द्र दुबे, पल्लवी शर्मा, हरिमोहन ललावत, मनोज उपाध्याय,धर्मेन्द्र राठौर, अर्पण शर्मा, मलय यती, अमित नागर, खोजेमा, भरत पाडलिया, राज जोशी आदि मौजूद रहे।

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St. Thomas स्कूल ने ICSE बोर्ड में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन… https://nationallive.in/archives/2081 https://nationallive.in/archives/2081#respond Sat, 11 Jul 2020 08:06:06 +0000 http://nationallive.in/?p=2081 आईसीएसई बोर्ड के 10th के नतीजे 10 जुलाई को ऑनलाइन घोषित किए गए एवं मक्सी रोड उज्जैन स्थित आईसीएसई बोर्ड के सेंट थॉमस स्कूल के बच्चों ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया । सेंट थॉमस स्कूल के प्रिंसिपल फादर विजू ने बताया कि 2020 में सेंट थॉमस स्कूल का 100% रिजल्ट रहा, आईसीएसई बोर्ड के सेंट थॉमस […]

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आईसीएसई बोर्ड के 10th के नतीजे 10 जुलाई को ऑनलाइन घोषित किए गए एवं मक्सी रोड उज्जैन स्थित आईसीएसई बोर्ड के सेंट थॉमस स्कूल के बच्चों ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया ।

सेंट थॉमस स्कूल के प्रिंसिपल फादर विजू ने बताया कि 2020 में सेंट थॉमस स्कूल का 100% रिजल्ट रहा, आईसीएसई बोर्ड के सेंट थॉमस स्कूल से 97.4 % अंक लेकर  पंशुल व्यास, एवं प्रणवी चौहान टॉपर रहे इसके साथ ही स्कूल से 15 स्टूडेंट ऐसे रहे जिनके अंक 90% से ज्यादा है एवं  47 बच्चों को डिस्टेंशन मिला एवं 34 बच्चे फर्स्ट्ट क्लास से दसवीं कक्षा में उत्तीर्ण हुए।
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पंशुल व्यास(97.4)

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प्रणवी चौहान(97.40)

सेंट थॉमस स्कूल ने कुछ ही सालों में अपने क्वालिफाइड टीचिंग स्टाफ, अनुशासित वातावरण एवं बच्चों को पढ़ाने के अत्याधुनिक संसाधनों के चलते उज्जैन शहर में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देकर शीर्षस्थ स्थान अर्जित किया है, स्कूल के प्रिंसिपल फादर बीजू ने बताया कि बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं बल्कि उन्हें व्यवहारिक ज्ञान भी दिया जाना चाहिए जिसके चलते बच्चे भविष्य में आत्मनिर्भर बन सकें।

 

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फैसले पर पुनर्विचार करें प्रशासन अन्यथा स्थिति गंभीर हो सकती है… https://nationallive.in/archives/2058 https://nationallive.in/archives/2058#respond Wed, 17 Jun 2020 14:33:42 +0000 http://nationallive.in/?p=2058 इन दिनों मौसम में परिवर्तन हो रहा है ,गर्मी भी है और उमस भी ,जिसके कारण बारिश भी है और ठंडक भी, ऐसे मौसम में देखा जा रहा है कि सर्दी ,जुकाम ,खांसी ,बुखार के पेशेंट बढ़ते जा रहे हैं इस प्रकार के पेशेंट शहरों में भी हैं और ग्रामीण क्षेत्र में भी हैं। कोरोना […]

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इन दिनों मौसम में परिवर्तन हो रहा है ,गर्मी भी है और उमस भी ,जिसके कारण बारिश भी है और ठंडक भी, ऐसे मौसम में देखा जा रहा है कि सर्दी ,जुकाम ,खांसी ,बुखार के पेशेंट बढ़ते जा रहे हैं इस प्रकार के पेशेंट शहरों में भी हैं और ग्रामीण क्षेत्र में भी हैं।

कोरोना संक्रमण लॉकडाउन के पहले अर्थात मई के महीने में मरीजों की संख्या जून की अपेक्षा ज्यादा थी एवं लॉक डाउन खुलने के पश्चात दिन प्रतिदिन कोरोना संक्रमित पॉजिटिव मरीजों की संख्या में अचानक कमी देखी जा रही है और अब प्रशासन ने टेस्टिंग सुविधा भी बढ़ा दी है लेकिन अभी भी शहरों में विभिन्न स्थानों पर कोरोना संक्रमण के मरीज मिल रहे हैं एवं होम क्वॉरेंटाइन एवं कंटेनमेंट क्षेत्र शहर में किए जा रहे हैं।

ऐसे समय में जब मौसम परिवर्तन के कारण से भी लोगों में सर्दी जुकाम खांसी बुखार हो रहा है ,बरसात होने की वजह से भी पानी में खराबी होने  से भी लोगों में हर साल इस तरह की परेशानियां हो जाती है ,ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि पानी को साफ एवं उबालकर इस्तेमाल करना चाहिए लेकिन इन सब परिस्थितियों में परेशानियां यह आ रही है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी सर्दी जुकाम खांसी बुखार जैसी समस्याएं लोगों में देखी जा रही है लेकिन प्रशासन के आदेश अनुसार डॉक्टर विशेषकर एलोपैथिक डॉक्टरों को छोड़कर बाकी सभी पैथी के डॉक्टर इस प्रकार के मरीजों का इलाज नहीं कर रहे हैं,  सर्दी जुकाम खांसी बुखार के पेशेंट में कोरोना की संभावना के चलते हैं डॉक्टरों द्वारा इलाज न करने का फरमान जारी किया गया है, तब एलोपैथिक डॉक्टर इसका इलाज क्यों कर रहे हैं?, जो डॉक्टर कोरोना संक्रमण काल के दौरान घर में दुबक कर बैठ गए थे और अपने कर्तव्य एवं जनता के साथ धोखा कर रहे थे वे डॉक्टर अब मोटी फीस लेकर सभी प्रकार के मरीजों का इलाज कर रहे हैं जबकि कोरोना संक्रमण का किसी भी पेथी में कोई इलाज कारगर सिद्ध नहीं हुआ है ,ऐसे में एलोपैथिक डॉक्टरों को इलाज करने की छूट क्यों ? जबकि कोरोना का इलाज एलोपैथी से भी संभव नहीं है।

ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी डिस्पेंसरी में स्टाफ एवं डॉक्टरों की कमी के चलते कई डिस्पेंसरी या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बंद पड़े हैं एवं ग्रामीण क्षेत्र के लोग आयुर्वेदिक ,होम्योपैथिक एवं जन स्वास्थ्य रक्षक से अपना प्राथमिक उपचार कराते हैं लेकिन प्रशासन के आदेश अनुसार सर्दी जुकाम खांसी बुखार के मरीजों को ग्रामीण क्षेत्र में स्थानीय प्राथमिक उपचार करने वाले डॉक्टर इलाज नहीं कर रहे हैं ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को साधारण सर्दी जुकाम खांसी बुखार में भी जिला अस्पताल में आना उनकी मजबूरी हो रही हैं एवं जिला अस्पताल में शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों की संख्या बढ़ने से प्रशासन की व्यवस्था अस्त व्यस्त हो सकती है, क्योंकि जिला चिकित्सालय में भी ओपीडी बंद है और अगर इसको चालू भी कर दी जाती है तब भी पूरे जिले ,जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के मरीज भी अगर जिला चिकित्सालय में आते हैं तब प्रशासन हजारों सर्दी जुकाम खांसी बुखार के मरीजों का इलाज करने में सक्षम नहीं हो पाएगा।

बाहर हाल  ग्रामीण क्षेत्रों में भी मौसम परिवर्तन के कारण से सर्दी जुकाम खांसी बुखार के मरीज बढ़ते जा रहे हैं एवं वे विवश होकर इलाज न मिलने के कारण शहर में आ रहे हैं और ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों से लोग सर्दी जुकाम खांसी बुखार के इलाज के लिए शहर में आकर कोरोना संक्रमण को साथ में ग्रामीण क्षेत्र में ले जा सकते हैं इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता अभी ग्रामीण क्षेत्र कोरोना संक्रमण से काफी हद तक बचा हुआ है और ऐसे में इससे ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण बढ़ने की संभावना बढ़ सकती है , इन परिस्थितियों में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का कहना है कि प्रशासन को अपने आदेश (जिसमें सर्दी जुखाम खांसी बुखार के पेशेंट का इलाज पर प्रतिबंध) पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, एवं स्थानीय डॉक्टरों को प्राथमिक उपचार की अनुमति प्रशासन को देनी चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का प्राथमिक उपचार ग्रामीण क्षेत्रों में ही हो सके उन्हें शहर आने की आवश्यकता ना हो ताकि ग्रामीण क्षेत्रों को कोरोना संक्रमण से दूर रखा जा सके, क्योंकि एक बार ग्रामीण क्षेत्रों में अगर कोरोना फैल गया तो प्रशासन को उस परिस्थिति को संभालना मुश्किल हो सकता है इसके लिए प्रशासन को आदेश में संशोधन करने जा सकता है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को प्राथमिक उपचार के लिए शहर में आना पड़े।

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मध्यप्रदेश सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करें… https://nationallive.in/archives/2028 https://nationallive.in/archives/2028#respond Sun, 07 Jun 2020 18:15:07 +0000 http://nationallive.in/?p=2028    देश भर में कोरोना वायरस के चलते 70  दिनों से अधिक समय से लॉकडाउन जारी है, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल, पर्यटन स्थल से लेकर बच्चों के स्कूल-कॉलेज तक पर ताला लगा था, ऐसे में बोर्ड के एग्जाम्स दे रहे बच्चों के पेपर भी टल गए,केंद्र सरकार ने लॉकडाउन 5 के तहत नियमों में कुछ […]

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 देश भर में कोरोना वायरस के चलते 70  दिनों से अधिक समय से लॉकडाउन जारी है, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल, पर्यटन स्थल से लेकर बच्चों के स्कूल-कॉलेज तक पर ताला लगा था, ऐसे में बोर्ड के एग्जाम्स दे रहे बच्चों के पेपर भी टल गए,केंद्र सरकार ने लॉकडाउन 5 के तहत नियमों में कुछ छूट दी है, एमपी बोर्ड की परीक्षा भी वापस शुरू होने जा रही है,12वीं की परीक्षा को लेकर बोर्ड ने कई दिशा निर्देश जारी किए हैं, जिनका छात्रों को पालन करना अनिवार्य होगा. इन नियमों का पालन ना करने पर छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी,
हालांकि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण मध्यप्रदेश में कई जगह छात्र एवं शिक्षक इस परीक्षा का विरोध कर रहे हैं।
शिक्षा विभाग 9 जून से शुरू होने वाली एमपी बोर्ड की 12 वीं की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को लेकर नए दिशा निर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की परीक्षा केंद्र में थर्मल स्क्रीनिंग होगी. इसके लिए छात्रों को परीक्षा से 1 घंटे पहले परीक्षा केंद्र पहुंचना होगा, स्क्रीनिंग के दौरान अगर किसी भी छात्र का तापमान अधिक होगा, तो उन्हें केंद्र में बनाए गए आईसोलेशन रूम बैठाया जाएगा ।
 बाहर हाल 12वीं की परीक्षा  की तारीख में परिवर्तन हो सकता है,यह संभावना इसलिए जताई जा रही है क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने परीक्षा की तारीख बदलने की मांग की है और भारतीय जनता पार्टी के शासन में अक्सर शिक्षा क्षेत्र से जुड़े फैसले ABVP की सहमति से ही लिए जाते हैं। 
मध्य प्रदेश के भोपाल में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को ज्ञापन देकर 9 जून से होने वाली 12वीं बोर्ड की शेष परीक्षाओं को आगे बढ़ाने की मांग की गई है, ज्ञापन में लिखा है कि कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए छात्र और अभिभावक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, इसलिए विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए आगामी तिथि में परीक्षा का आयोजन किया जाए। 
मध्य प्रदेश मैं कोरमा संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए छात्रों एवं छात्र संगठनों ने मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री मामा शिवराज सिंह चौहान से परीक्षा की तारीख को आगे बढ़ाने की मांग की है एवं 9 जून से शुरू होने वाले परीक्षा पर पुनर्विचार करने की मांग की है।

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ये मदद है या अपमान ?,जवाब दें मोदी सरकार… https://nationallive.in/archives/1937 https://nationallive.in/archives/1937#respond Sun, 17 May 2020 09:13:12 +0000 http://nationallive.in/?p=1937 पूरे विश्व के हालात सामान्य नहीं है ,अर्थव्यवस्था  पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है और यह सब चीन से निकले कोरोनावायरस के चलते हुआ है ,भारत भी इससे अछूता नहीं है पिछले दो माह से करोना संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है और लॉक डाउन का तीसरा चरण […]

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पूरे विश्व के हालात सामान्य नहीं है ,अर्थव्यवस्था  पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है और यह सब चीन से निकले कोरोनावायरस के चलते हुआ है ,भारत भी इससे अछूता नहीं है पिछले दो माह से करोना संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है और लॉक डाउन का तीसरा चरण खत्म होने को है और सरकार कुछ नियम और शर्तों के साथ में चौथा चरण लागू करने की तैयारी में है और ऐसी स्थिति में समाज का हर वर्ग आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है ,जहां एक और मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज घोषित किया है जिसमें कहा गया है कि इस पैकेज के माध्यम से हर वर्ग की मदद की जा रही है लेकिन हकीकत कुछ और ही कहती है।

सरकार की ओर से कहा गया है कि एक देश एक राशन कार्ड मान्य होगा एवं जहां अब तक गरीबी रेखा वाले पीले राशन कार्ड पर ही राशन दिया जाता था वहीं परिस्थितियों को देखते हुए मध्यमवर्ग की परेशानियों के मद्देनजर सरकार नया निर्णय लिया है कि अब सफेद राशन कार्ड जोकि अमूमन मध्यमवर्गीय के पास होता है एवं सामान्य परिस्थितियों में इस राशन कार्ड पर सरकार की और से दिए जाने वाले राशन का लाभ मिल नहीं मिलता है ,अब कोरोना संक्रमण के कारण लंबे समय का लॉक डाउन होने के कारण मध्यमवर्गीय को भी सफेद राशन कार्ड पर राशन उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है, यहां तक कि सरकार की ओर से कहा गया कि अगर किसी के पास राशन कार्ड नहीं भी है उन्हें भी राशन दिया जाएगा।

लेकिन ऐसी कहावत है कि एक चना भाड़ नहीं पाड़ सकता, सरकार चाहे कितने भी आदेश एवं घोषणा करें लेकिन वास्तविकता में उसका पालन नहीं होता है या यूं कहें कि राज्य सरकार एवं प्रशासन उसका सख्ती से पालन करवाने में असमर्थ साबित होती है।

कुछ ऐसा ही इस घोषणा में भी हो रहा है सरकार ने सभी राशन कार्ड पर राशन देने की बात कही है लेकिन हकीकत में सरकारी राशन दुकानदारों द्वारा सफेद राशन कार्ड पर राशन नहीं दिया जा रहा है और कारण यह बताया जा रहा है कि सरकार की तरफ से सफेद राशन कार्ड के राशन का आवंटन नहीं हुआ है एवं एक मध्यमवर्गीय जब राशन की दुकान पर राशन लेने पहुंचता है तब उसका मजाक उड़ाया जाता है की आप तो मध्यम वर्गीय हैं, सक्षम है आपको राशन की क्या आवश्यकता है ,आपको यहां राशन लेने नहीं आना चाहिए ,आपको शर्म आनी चाहिए आप किसी गरीब का हक मार रहे हैं इस प्रकार के ताने एक मध्यमवर्गीय को इस को रोना संकट की घड़ी में दिए जा रहे हैं जबकि इस कोरोना संकट से हर वर्ग आर्थिक संकट से जूझ रहा है और इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने मध्यमवर्ग  की मदद के लिए यह आदेश दिया है लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि राज्य सरकार एवं प्रशासन क्या कर रहा है ?वह सिर्फ और सिर्फ मूकदर्शक बना हुआ है यहां हालात मध्य प्रदेश के उज्जैन नहीं बल्कि भारत के हर राज्य के हर जिले के हैं।

हालात यह है कि कालाबाजारी अपनी चरम सीमा छू रही हैं और हालातों का फायदा उठाकर जमकर लूटपाट मचाई जा रही है, इससे पहले भी सरकारी राशन की दुकानों पर आवंटित राशन ओने पौने दाम में होटलों एवं रेस्टोरेंट में बेचा जाता रहा है एवं सरकारी आंकड़ों में कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं, और ऐसा भी नहीं है कि सरकारी नुमाइंदों को इसका ज्ञान नहीं है लेकिन सब जानकर अनजान बने हुए हैं।

बाहर हाल इस देश की जनता विशेषकर मध्यमवर्ग, मोदी सरकार से यह सवाल पूछना चाहती है कि क्या एक मध्यम वर्गीय जिसे देश की रीड की हड्डी भी कहा जाता है एवं जो अपने स्वाभिमान और देश की आर्थिक व्यवस्था को अपने कंधे पर उठाए हुए हैं, क्या उसका इस महामारी के दौर एवं आर्थिक संकट के दौर में क्या यूं ही सरे बाजार अपमानित किया जाएगा ?और अगर नहीं तो मोदी सरकार अपने सिस्टम में झांक कर देखें कि उनके आदेश का अंतिम छोर तक पालन हो रहा है या नहीं, और अगर इसमें कोई रुकावट है तो उस पर उचित कार्रवाई की जाने की भी आवश्यकता है।

मैं आज बहुत दुखी और व्यथित मन से यह खबर लिख रहा हूं,जब एक मध्यमवर्गीय ने अपनी आप बीती सुनाई,दुःख इस बात का भी है कि 70 सालों की आजादी के बाद अपने खून पसीने से भारत की अर्थव्यवस्था को सींचने वाला मध्यमवर्गीय ,आज भी अपने वजूद को तलाश रहा है, सरकार  को इस विषय पर प्राथमिकता से चिन्तन करने की आवश्यकता है।

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उज्जैन की जनता करे पुकार,जान बचाने का जतन करो हे शिवराज… https://nationallive.in/archives/1920 https://nationallive.in/archives/1920#respond Mon, 04 May 2020 14:13:45 +0000 http://nationallive.in/?p=1920 मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री तक आज अर्थात 40 दिन के लॉक डाउन एवं कोरोना हॉटस्पॉट बनने के बाद, उज्जैन के जनप्रतिनिधियों द्वारा मदद की गुहार लगाई जा रही है, जब उज्जैन में कोरोना संक्रमण के बढ़ने के चलते हर दिन न सिर्फ मरीजों के आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं बल्कि कोरोना […]

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री तक आज अर्थात 40 दिन के लॉक डाउन एवं कोरोना हॉटस्पॉट बनने के बाद, उज्जैन के जनप्रतिनिधियों द्वारा मदद की गुहार लगाई जा रही है, जब उज्जैन में कोरोना संक्रमण के बढ़ने के चलते हर दिन न सिर्फ मरीजों के आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं बल्कि कोरोना संक्रमण से ग्रसित मरीजों की मृत्यु दर का आंकड़ा भी बढ़ रहा है ,शासन प्रशासन द्वारा एक ऐसे अस्पताल को चुने जाने की वजह से जहां न सिर्फ संसाधन की कमी है बल्कि डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों में भी कमी देखी जा रही है, वहीं यहां भर्ती किए जाने वाले मरीजों को गंभीर असुविधाओ का सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते उज्जैन में लगातार मृत्यु दर का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है, हालात बिगड़ने की शुरुआत तब से हुई जब उज्जैन के माधव नगर अस्पताल से लोगों को आरडी गार्डी अस्पताल में शिफ्ट करना शुरू किया गया और दिन प्रतिदिन बिगड़ते हालातों पर प्रशासन काबू नहीं कर पाया।

आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के प्रबंधक डॉ महाडिक का अपने बीमार भाई को इंदौर से उज्जैन लाने एवं कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद भी उनका इलाज आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में ही किया जाना एवं बाद में पूरे आरडी गार्डी अस्पताल को कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए रिजर्व कर देना एवं शासन के निर्देशों पर 4 करोड रुपए प्रतिमाह पर आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज को शासन द्वारा अधिग्रहण किया जाना एवं उसके बाद लगातार स्थिति का बिगड़ना यह कुछ ऐसे सवाल है जिसने शासन प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगता है।

नेशनल लाइव ने जब जिला कलेक्टर शशांक मिश्र से आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज की अव्यवस्थाओं के बारे में सवाल किए और यह प्रश्न उठाया कि लगभग 15 लाख रुपए प्रतिदिन आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज पर खर्च किए जा रहे हैं लेकिन सुविधाओं के नाम पर वहां वेंटिलेटर तक मौजूद नहीं है जबकि वेंटिलेटर के अभाव में बेगम बाग निवासी स्वास्थ्य कर्मी नियाज खान की मृत्यु होने का कारण सामने आया था ,जवाब में कलेक्टर महोदय का कहना है कि कुछ मरीजों की मृत्यु हुई थी लेकिन उन्हें मरणासन्न स्थिति में ही लाया गया था एवं आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में वेंटिलेटर की आवश्यकता अभी महसूस नहीं हो रही है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब वेंटीलेडर की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है तब मरीजों को माधव नगर अस्पताल से भारी भरकम खर्च पर आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में क्यों शिफ्ट किया गया और सवाल यह भी है कि जब शासन ,प्रशासन लाखों रुपए रोज आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों पर खर्च कर रहा है तब मरीजों की जान क्यों नहीं बचा पा रहा है, मृत्यु दर लगातार बढ़ने का क्या कारण है?, उज्जैन की जनता के मन में आक्रोष सहित कई सवाल उत्पन्न हो रहे हैं , पुष्पा मिशन , बिरला हॉस्पिटल , माधव नगर अस्पताल,  चरक हॉस्पिटल  एवं सीएचएल अपोलो जैसे सर्व सुविधा युक्त अस्पताल होने के बावजूद अव्यवस्था से संपन्न आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज को ही क्यों चुना, जनता का आक्रोश जब जनप्रतिनिधियों तक पहुंचा तब जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से मदद की गुहार लगाई है और उज्जैन के विधायक पारस जैन का कहना है कि अस्पताल में परिवर्तन की आवश्यकता है एवं शासन अरविंदो हॉस्पिटल में भी उज्जैन के कोरोना पॉजिटिव मरीजों को शिफ्ट कर सकता है जबकि चर्चा शहर में यह भी है कि आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज का चयन जनप्रतिनिधियों की सहमति से ही हुआ था, जबकि इलाज में लापरवाही के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं।

चर्चा आज यह भी गर्म है कि उज्जैन की तहसील बडनगर जो कोरोनावायरस हॉटस्पॉट बना हुआ है कई लोगों की कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि होने के चलते उन्हें बड़नगर में ही अस्पताल में इलाज के लिए रखा गया है एवं कुछ मरीजों की मृत्यु भी हो चुकी है वहीं सुबे के विधायक मुरली मोरवाल सहित अन्य लोगों के भी कोरोना पॉजिटिव होने की खबर आ रही है लेकिन इसमें चर्चा इस बात पर गर्म है कि खुद विधायक भी कोरोना का इलाज उज्जैन के आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में कराने से बचते नज़र आ रहे हैं उनका कहना है कि बड़नगर के कुछ लोग जो पॉजिटिव थे वे इंदौर में इलाज कराने पर स्वस्थ हो चुके हैं इसलिए उनकी भी मंशा यही है कि वह भी इंदौर में ही स्वास्थ्य लाभ लेंगें, इस चर्चा से स्पष्ट होता है कि अव्यवस्थाओं के चलते मशहूर हो गए आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में खुद जनप्रतिनिधि ही इलाज नहीं कराना चाहते ,तब आम जनता से वहां इलाज कराने की अपेक्षा क्यों की जा रही है, कांग्रेस भी अभी इस मुद्दे पर  चुप्पी साधे स्थिति  पर नज़र बनाए हुए हैं ,26 अप्रैल को  सूबे  के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने  आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज  की व्यवस्थाओं को सुधारने के निर्देश दिए थे  बावजूद दिन प्रतिदिन हालात बिगड़ते ही चले गए  हाल ही में उज्जैन के एक नौजवान पार्षद की भी इलाज के दौरान मृत्यु हो चुकी है।

अब फैसला मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को करना है की वह अपने मंत्रिमंडल के विस्तार के पूर्व उज्जैन में बढ़ रहे मृत्यु दर की सुध ले ताकि व्यवस्थित अस्पताल में लोगों को शीघ्रता से स्वास्थ्य लाभ हो और इस तरह उज्जैन में कोरोना से हो रहे मृत्यु दर पर रोक लगाई जा सके।

चर्चा यह भी जोरों पर है कि आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर महाडिक जो अपने परिवार को न सिर्फ इंदौर से यहां लेकर आए बल्कि संक्रमण का विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ,इसकी शासन द्वारा जांच कराने की मांग भी जोर पकड़ रही है एवं दोषियों पर निष्पक्ष कार्रवाई की मांग भी की जा रही है।

उज्जैन की जनता की मांग है कि वक्त रहते हैं शिवराज सरकार उचित कदम उठाएं एवं इस महाकाल की नगरी में हो रहे विनाश पर रोक लगाएं

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किसान इससे दूर है, दूर ही रहने दो… https://nationallive.in/archives/1889 https://nationallive.in/archives/1889#respond Fri, 10 Apr 2020 14:02:05 +0000 http://nationallive.in/?p=1889 कोरोना संक्रमण के कारण लॉक डाउन पूरे देश में लागू है ,देश में कई राज्य इसकी  चपेट में है, मध्यप्रदेश के भी कई जिलों में संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं, इंदौर, उज्जैन और भोपाल मध्य प्रदेश के जिले हॉटस्पॉट की गिनती में आ रहे हैं, ऐसे में इन जिलों में शासन, प्रशासन ने […]

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कोरोना संक्रमण के कारण लॉक डाउन पूरे देश में लागू है ,देश में कई राज्य इसकी  चपेट में है, मध्यप्रदेश के भी कई जिलों में संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं, इंदौर, उज्जैन और भोपाल मध्य प्रदेश के जिले हॉटस्पॉट की गिनती में आ रहे हैं, ऐसे में इन जिलों में शासन, प्रशासन ने अतिरिक्त सुरक्षा, सतर्कता के चलते एहतियातन कई कदम उठाए हैं।

शहरी क्षेत्र में अभी कोरोना संक्रमण ज्यादा सक्रिय है, कोरोना संक्रमण ,डब्ल्यूएचओ के मुताबिक छूने से फैलता है, ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में बहादुर सिंह बोर मुंडला, भाजपा जिला अध्यक्ष ग्रामीण ने कहा कि ईश्वर की कृपा से ग्रामीण अंचल अभी कोरोना संक्रमण से लगभग दूर है एवं शहरी क्षेत्र में भी इसके संक्रमण को रोकने के लिए सरकार प्रशासन एहतियातन कई कदम उठा रही है, लॉक डाउन के चलते शहरी क्षेत्र में जिला चिकित्सालय एवं प्राइवेट अस्पतालों में ओपीडी बंद कर दी गई है शहरी क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग का अमला मुस्तैदी से काम कर रहा है एवं शहरी क्षेत्र के लोगों के प्राथमिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निदान  भी हो  रहा है, वहीं ग्रामीण अंचल में लॉक डाउन के चलते प्राथमिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निदान  ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक उपचार करने वाले डॉक्टरों के भी उपचार ना करने के कारण, किसान प्राथमिक चिकित्सा से वंचित हो रहा है, ऐसा इसलिए भी है कि तहसील स्तर के उन्हेल एवं अन्य स्वास्थ्य अधिकारी के गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के कारण ग्रामीणों को परेशानी हो रही है जिसकी शिकायत भी उज्जैन जिलाधीश को मिल रही है,  ग्रामीण अंचल में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्टाफ की कमी भी है वहीं कई जिलों में पैरामेडिकल स्टाफ भी काम नहीं कर रहा है।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि ग्रामीण अंचल में ग्रामीणों को प्राथमिक चिकित्सक(एम पी डब्यू ,जन स्वास्थ्य रक्षक) आदि द्वारा प्राथमिक चिकित्सा ना मिलने एवं समस्या बढ़ने के चलते ग्रामीणों के शहर में आने की संभावना बढ़ जाती है एवं साथ ही शहर में आने पर ग्रामीणों के कोरोना संक्रमित होने की आशंका भी बढ़ जाती है एवं इस तरह यह संक्रमण ग्रामीण क्षेत्रों में भी पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है, ऐसे में सरकार एवं प्रशासन को ग्रामीण जनों को ग्राम में ही प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना आवश्यक है ,क्योंकि अभी दूर  सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से किसान प्राथमिक उपचार के लिए तहसील स्तर पर भी लॉक डाउन के चलते साधन उपलब्ध ना होने की वजह से जाने में असमर्थ है, ऐसे में ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के उपचार से वे वंचित हो रहे हैं, शासन प्रशासन को ग्रामीणों के प्राथमिक उपचार ग्रामीण क्षेत्रों में ही हो सके इसके लिए ग्रामीणों का कहना है कि प्राथमिक चिकित्सकों को प्राथमिक उपचार करने की अनुमति दी जाना चाहिए, वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सकों का कहना है कि हम ग्रामीणजनों के प्राथमिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं ,स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों के अनुसार करके इस महामारी से ग्रामीणों को बचाने के लिए ग्रामीणों का ग्राम में ही प्राथमिक उपचार कर उन्हें शहरों में जाने से रोक कर उनकी मदद कर पाएंगे ,वहीं शासन-प्रशासन की भी ग्रामीण अंचल के लोगों को कोरोना संक्रमण की रोकथाम में मदद कर पाएंगे।

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