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]]>वहीं दूसरे पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन दी जाए. यह जमीन या तो अधिग्रहित जमीन हो या अयोध्या में कहीं भी हो,बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, उससे खुश हूं। मैं कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं।
इस फैसले पर देश प्रमुख लोगों के संदेश-
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि ये फैसला कई वजहों से बेहद अहम है.उन्होंने कहा कि इस फैसले को हार या जीत के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये फैसला न्यायिक प्रक्रियाओं में जन सामान्य के विश्वास को और मजबूत करेगा. पीएम ने कहा, हमारे देश की हजारों साल पुरानी भाईचारे की भावना के अनुरूप हम 130 करोड़ भारतीयों को शांति और संयम का परिचय देना है।
ग्रह मंत्री अमित शाह ने कहा-मुझे पूर्ण विश्वास है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया यह ऐतिहासिक निर्णय अपने आप में एक मील का पत्थर साबित होगा है. यह निर्णय भारत की एकता, अखंडता और महान संस्कृति को और बल प्रदान करेगा. दशकों से चले आ रहे श्री राम जन्मभूमि के इस कानूनी विवाद को आज इस निर्णय से अंतिम रूप मिला है. मैं भारत की न्याय प्रणाली व सभी न्यायमूर्तियों का अभिनन्दन करता हूं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अयोध्या पर फैसले पर कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है. इसे सभी को सहज रूप से स्वीकार करना चाहिए. इससे सामाजिक ताना-बाना भी मजबूत होगा।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया , कहा कि इस फैसले को जय और पराजय की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए, सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहये, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब हम सभी मिलकर राम मंदिर बनाएंगे।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया -सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मुद्दे पर अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट के इस फैसले का सम्मान करते हुए हम सब को आपसी सद्भाव बनाए रखना है. ये वक्त हम सभी भारतीयों के बीच बन्धुत्व,विश्वास और प्रेम का है।
यूपी सुन्नी वक्फबोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी – हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। अदालत द्वारा अयोध्या में दी जा रही पांच एकड़ जमीन लेने न लेने पर फैसला बाद में लेंगे।
बहरहाल माननीय उच्चतम न्यायालय के वर्षों पुराने ज़मीनी विवाद को सुलझाने वाले फैसले का शांति एवं सौहार्द के साथ पूरे भारत मे हर सम्प्रदाय द्वारा सम्मान एवम मान्य किया किया जा रहा है ,न्यायालय ने यह भी साफ किया कि रामलला के जन्म एवम अस्तित्व को लेकर कोई संशय नही है, न्यायिक व्यवस्था एक संवैधानिक व्यवस्था है ,न्यायालय का फैसला किसी धर्म की आस्था के आधार पर नहीं,बल्कि तथ्यों के आधार पर हुआ है।
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