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]]>पूरे देश में समस्त सनातनी अखाड़ा के संतों ने इस घटना पर कड़े शब्दों में निंदा करते हुए आक्रोष प्रकट करते हुए केंद्र सरकार एवं महाराष्ट्र की राज्य सरकार को इस नृशंस एवं निर्मम हत्या करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की गई वहीं पूरे भारत में हिंदू समाज में भी इस घटना को लेकर आक्रोश व्याप्त है देश के कई राज्यों से इस घटना की हिंदूवादी संगठनों द्वारा कड़े शब्दों में निंदा की जा रही है एवं महाराष्ट्र पुलिस पर भी सवालिया निशान लगाया जा रहा है जिनकी मौजूदगी में संतों की हत्या की गई।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्य नंद गिरी जी महाराज मिर्ची बाबा ने भी इस घटना पर कड़ा विरोध जताते हुए घटना में संलिप्त लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग की एवं इस घटना की सीबीआई जांच कराने की भी मांग की।
पालघर महाराष्ट्र में जूना अखाड़े के सन्तों की जघन्य हत्या को सनातन संस्कृति , हिन्दू धर्म एवं आद्य शंकराचार्य जी की पावन परम्परा पर हमला मानते हुए मैं इस हृदय विदारक घटना की घोर निन्दा करता हूँ । दिवंगत आत्माओं को विनम्र श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता हूँ ।
परमहंस डॉ अवधेशपुरी महाराज, स्वस्तिक पीठ पूर्व महामंत्री अखाड़ा परिषद उज्जैन ने भी इस घटना पर कड़ा विरोध जताते हुए इस घटना की निंदा की एवं हत्यारों को कड़ीी से कड़ी सजा देने की मांग की उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस घटना को हल्के में ना ले सनातन धर्म एवं हिंदू धर्म कभी भी इस घटना को माफ नहीं करेगा ।
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]]>स्वामी जी का कहना है कि लोगों को अफवाहों पर ध्यान ना देकर, मानसिक तनाव से दूर रहकर ,अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े इस प्रकार का भोजन करना चाहिए, खांसी और बुखार होने पर घरेलू एवं सोशल मीडिया पर प्रचलित इलाज ना करके स्थानीय प्रशासन द्वारा दिए हेल्पलाइन नंबर फोन लगाकर सरकार द्वारा पदस्थ डॉक्टरों से ही जांच एवं उपचार लेना चाहिए।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 1 दिन के जनता कर्फ्यू एवं संदेश के साथ अच्छे विचारों में सभी को साथ खड़ा होना चाहिए ,भारत में कोरोना को लेकर सभी मंदिर, मस्जिद ,गुरुद्वारा, चर्च, सभी प्रार्थना, घर पर ही कर लें, भीड़-भाड़ से हम सभी बचें,दवा और दुआ दोनों ही समय से करना चाहिए ।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्य नंद गिरी महाराज ने इस बात पर भी जोर दिया की CAA के विरोध में बेगम बाग उज्जैन में धरने पर बैठे मुस्लिम समाज के लोगों से भी अपील की है उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण से मुस्लिम समाज को भी बचने की आवश्यकता है ,धर्मगुरु आचार्य ने कहा कि जब हमारा शरीर स्वस्थ होगा तभी हम सरकार कि किसी नीति का विरोध कर पाएंगे ,कोरोना वायरस संक्रमण पूरी दुनिया में फैल रहा है यह संक्रमण किसी भी धर्म या संप्रदाय को देखकर नहीं फैल रहा, बल्कि जरा सी असावधानी से यह पूरे समाज को ,पूरे शहर को,ओर पूरे देश को अपनी चपेट में ले कर मनुष्य जीवन की लीला समाप्त कर सकता है, इसलिए मैं मुस्लिम समुदाय से आव्हान करता हूं कि न सिर्फ उज्जैन बल्कि दिल्ली के शाहीन बाग सहित पूरे भारत में जहां कहीं भी धरना प्रदर्शन हो रहा है उसे तुरंत समाप्त करने की आवश्यकता है।
ज्ञात रहे कि आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्य नंद गिरी महाराज जो मध्य प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के खास माने जाने वाले वाले ,मिर्ची बाबा के नाम से शुमार है एवं मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार में राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त थे।
सर्व राष्ट्र सुखाय नमः
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
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]]>The post बरसों पुराने विवाद पर पूर्ण विराम लगाया उच्चतम न्यायालय ने… appeared first on Nationalive....
]]>वहीं दूसरे पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन दी जाए. यह जमीन या तो अधिग्रहित जमीन हो या अयोध्या में कहीं भी हो,बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, उससे खुश हूं। मैं कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं।
इस फैसले पर देश प्रमुख लोगों के संदेश-
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि ये फैसला कई वजहों से बेहद अहम है.उन्होंने कहा कि इस फैसले को हार या जीत के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये फैसला न्यायिक प्रक्रियाओं में जन सामान्य के विश्वास को और मजबूत करेगा. पीएम ने कहा, हमारे देश की हजारों साल पुरानी भाईचारे की भावना के अनुरूप हम 130 करोड़ भारतीयों को शांति और संयम का परिचय देना है।
ग्रह मंत्री अमित शाह ने कहा-मुझे पूर्ण विश्वास है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया यह ऐतिहासिक निर्णय अपने आप में एक मील का पत्थर साबित होगा है. यह निर्णय भारत की एकता, अखंडता और महान संस्कृति को और बल प्रदान करेगा. दशकों से चले आ रहे श्री राम जन्मभूमि के इस कानूनी विवाद को आज इस निर्णय से अंतिम रूप मिला है. मैं भारत की न्याय प्रणाली व सभी न्यायमूर्तियों का अभिनन्दन करता हूं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अयोध्या पर फैसले पर कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है. इसे सभी को सहज रूप से स्वीकार करना चाहिए. इससे सामाजिक ताना-बाना भी मजबूत होगा।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया , कहा कि इस फैसले को जय और पराजय की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए, सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहये, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब हम सभी मिलकर राम मंदिर बनाएंगे।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया -सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मुद्दे पर अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट के इस फैसले का सम्मान करते हुए हम सब को आपसी सद्भाव बनाए रखना है. ये वक्त हम सभी भारतीयों के बीच बन्धुत्व,विश्वास और प्रेम का है।
यूपी सुन्नी वक्फबोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी – हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। अदालत द्वारा अयोध्या में दी जा रही पांच एकड़ जमीन लेने न लेने पर फैसला बाद में लेंगे।
बहरहाल माननीय उच्चतम न्यायालय के वर्षों पुराने ज़मीनी विवाद को सुलझाने वाले फैसले का शांति एवं सौहार्द के साथ पूरे भारत मे हर सम्प्रदाय द्वारा सम्मान एवम मान्य किया किया जा रहा है ,न्यायालय ने यह भी साफ किया कि रामलला के जन्म एवम अस्तित्व को लेकर कोई संशय नही है, न्यायिक व्यवस्था एक संवैधानिक व्यवस्था है ,न्यायालय का फैसला किसी धर्म की आस्था के आधार पर नहीं,बल्कि तथ्यों के आधार पर हुआ है।
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]]>श्री कृष्ण का बाल्यकाल कई कठिनाइयों को प्रदर्शित करता है वहीं यह सन्देश भी देता है की कठिनाई आने पर इंसान को कभी विचलित नहीं होना चाहिए ।
भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं के संदेश में मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग का उल्लेख किया गया है और वह है “मित्रता”, इंसान के जीवन में एक सच्चा मित्र का होना अति आवश्यक है ,वह कोई भी हो सकता है भाई ,बहन ,पत्नी ,संगी ,साथी ,मित्र के बगैर जीवन का अधूरा माना गया है भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीला मैं मित्रता को निभाने की पराकाष्ठा का प्रदर्शन किया है ,मित्र वही जो दुख सुख ,हानि लाभ, जस अपजस, मैं अपने मित्र का परछाई बनकर साथ दे और जिसके जीवन में एक ऐसा सच्चा मित्र हो उसका जीवन धन्य हो जाता है ।
भगवान श्री कृष्ण ने अपनी शिक्षा ऋषि सांदीपनि के उज्जैन स्थित आश्रम में ग्रहण की, जहां उनके सहपाठी थे “सुदामा”, सुदामा श्री कृष्ण के परम मित्र कहलाए, श्री कृष्ण के साथ जब सुदामा लकड़ी लेने जंगल की ओर रवाना हुए तब गुरु माता ने कुछ मुट्ठी चने पोटली में बांधकर सुदामा को दिये और कहा कि भूख लगे तो दोनों मिलकर खा लेना ,लकड़ी का गट्ठर लिए कृष्ण और सुदामा जंगल से गुजर रहे थे कि अचानक वर्षा प्रारंभ हो गई और वह एक स्थान पर रुक कर वर्षा के रुकने का इंतजार करने लगे ,बारिश के दौरान भूख लगने के चलते पूरे चने अकेले सुदामा के ही खा जाने पर भगवान श्री कृष्ण ने उपदेश दिया कि हे सुदामा मित्रता का मूल सिद्धांत है ,एक दूसरे के प्रति दृढ़ विश्वास, ईमानदारी ,एवम प्रेम होना आवश्यक है, मित्रता वही जो मित्र के बिना कहे उसके मन की बात जान ले।
जिस स्थान पर वह रुके थे उज्जैन के समीप उस स्थान को नारायणा ग्राम के नाम से जाना जाता है यहां आज भी वह लकड़ी के गट्ठर विद्यमान है एवं दुनिया में एकमात्र मित्रता के प्रतिक के रूप में कृष्ण एवं सुदामा का मंदिर है, ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति यहां मित्रता की मूरत के दर्शन करता है उसे जीवन में सच्चा मित्र जरूर मिलता है ,एवम मित्रता निभाने की प्रेरणा मिलती है ,श्री कृष्ण ने संदेश दिया की मित्रता करने से ज्यादा महत्वपूर्ण है मित्रता निभाना,श्री कृष्ण सुदामा मिलन इसका जिवंत प्रसंग है ,
सीस पगा न झगा तन में प्रभु, जानै को आहि बसै केहि ग्रामा।
धोति फटी-सी लटी दुपटी अरु, पाँय उपानह की नहिं सामा॥
द्वार खड्यो द्विज दुर्बल एक, रह्यौ चकिसौं वसुधा अभिरामा।
पूछत दीन दयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा॥
मित्रता में धनवान, निर्धन,लोभ, मोह ,ईर्ष्या, कपट ,अहंकार का कोई स्थान नहीं है,मित्रता तो प्रेम ,त्याग, तपस्या, एवम अटूट विश्वास का प्रतीक है।
भगवान श्री कृष्ण ने अपने भाई एवम सखा अर्जुन का महाभारत में अंतिम क्षण तक विपत्ति में साथ दिया ,वहीं सखी द्रोपदी की लाज के रक्षक बने।
भगवान श्री कृष्ण ने अपने उपदेश में कहा है कि जीवन मे विपदा ही सच्चे मित्र से परिचय कराती हैं।
मित्रता का प्रतीक स्थल नारायणा ,उज्जैन से 30 किलोमीटर महिदपुर जाने के रास्ते मे स्थित है ।
जीवन मे मित्र के महत्व को जानने के लिए ,हमे इस पवित्र स्थान के दर्शन का लाभ लेना चाहिए।
श्री कृष्ण जन्मोत्सव की शुभकामनाएं
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]]>The post हिंदुओं की आस्था पर प्रहार ,हिंदुओं को आत्ममंथन करना अति आवश्यक । appeared first on Nationalive....
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]]>The post खतरा मोदी से या सनातन धर्म की वापसी से ? appeared first on Nationalive....
]]>अभी आजादी को 100 साल भी नहीं बीते हैं की कांग्रेस के लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को लगता है कि 2019 में नरेंद्र मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने पर सनातन धर्म,एवम आर एस एस की हुकूमत होगी, लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि कांग्रेस पार्टी के नेता ,नरेंद्र मोदी के ना आने पर सनातन धर्म की जगह किस धर्म को और आर एस एस की जगह किस संगठन की हुकूमत भारत में लाना चाहते हैं ,इसका जवाब सही रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे जी ही बता सकते हैं ,लेकिन ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि किसी व्यक्ति विशेष से नफरत, ईर्ष्या ,द्वेष हो सकते हैं लेकिन नफरत की राजनीति आज उस चरम सीमा को छू गई है कि अब भारत में सनातन धर्म से भी खतरा होना बताया जा रहा है, यह हमारे राजनेताओं की मानसिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाता हैं ।
आजादी के 70 साल बाद आज हम अपने बच्चों को किताबों में राम और कृष्ण का इतिहास ना पढ़ाकर बाबर से लेकर अकबर तक के मुगल काल का बखान करते हैं ।
बहर हाल यह बयान और यह सोच कांग्रेस को किस दिशा में ले जाएगी यह कहना मुश्किल है, लेकिन ऐसे में भारत की जनता के मन में यह सोच जरूर पनप रही है कि मोदी 2019 में फिर आए ना आए ,लेकिन क्या भारत में अब किसी और धर्म की या किसी संगठन की हुकूमत आना बाकी है क्या ,और किस धर्म का या किस संगठन का अब भारत पर राज होना चाहिए इसका जवाब भी भारत की जनता कांग्रेस के नेता आदरणीय मलिकार्जुन खड़गे से चाहती है।
जबकि वास्तविकता यह है कि सनातन का अर्थ होता है हमेशा बना रहने वाला ,अर्थात ना आदि है ना अंत ।
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]]>इसके बाद आता है नवरात्रि का त्योहार उस समय भी कुछ इस प्रकार का दृश्य ही देखने को मिलता है ,होली खेलने पर भी जल प्रदूषण होने का हवाला दिया जाता है ऐसा प्रतीत होता है कि हिंदू संस्कृति को जमींदोज करने की कोशिश हो रही है ।
ऐसे में जल प्रदूषण की दुहाई देने वालों से जनता का सवाल है कि हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी उज्जैन की मोक्ष दायिनी शिप्रा में आज भी न सिर्फ खान (कान्ह) नदी का प्रदूषित पानी ,बल्कि कई गंदे नाले शिप्रा में मिलकर शिप्रा को प्रदूषित कर रहे हैं हालात यह है कि शिप्रा का जल आचमन योग्य भी नहीं है, भरे सिंहस्थ में शिप्रा नदी में गंदे नाले ने उफनकर शासन प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाया था, वहीं हर वर्ष ऐसा प्रतीत होता है मानो शिप्रा नदी एवं तालाबों में जलकुंभी की खेती होती है जोकि बाढ़ में बहकर लाखों का लाभ दे जाती है ,जल प्रदूषण पर शासन-प्रशासन की पोल उस समय खुल गई जब दो बार स्वच्छता में नंबर वन रहे इंदौर को थोड़ी सी बारिश मैं गंदे नाले उफनने के चलते सबसे गंदा शहर बना दिया ,और यह किस्सा सिर्फ मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है बल्कि भारत में कई नदियां प्रदूषण की हद को पार कर चुकी है, जिसमें प्रमुख गंगा नदी ,जिसकी सफाई में हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी गंगा आज भी मैली है, तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या हिंदू त्योहारों से ही जल प्रदूषण होता है ?और नहीं, तो आखिर क्यों हिंदू धर्म और आस्था पर आघात किया जाता है अगर मिट्टी के गणेश विसर्जन से जल प्रदूषण होता है तो गंदे नाले एवं उद्योगों के प्रदुषित जल के नदियों में मिलने पर शासन-प्रशासन आंखें क्यों मूंद लेते हैं ।
गणपति विसर्जन की इन तस्वीरों को देख कर हर शख्स दुख और आक्रोश से भर जाता है और वह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि हिंदू देवी देवताओं की स्तुति क्या हम उनका अपमान करने के लिए करते हैं, यह चिंतनीय विषय है, ऐसे में शासन-प्रशासन को अपनी कार्यप्रणाली दुरुस्त करने की आवश्यकता है ताकि किसी के धर्म और आस्था पर आघात ना हो एवम् जरूरत इस बात की भी है पूरे साल नदियों को प्रदूषित करने वाले स्रोतों की रोकथाम करने के उपाय खोजकर उनका निदान किया जाय।
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