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उज्जैन Archives - Nationalive... https://nationallive.in/archives/category/उज्जैन Fri, 28 Feb 2025 07:17:26 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 https://nationallive.in/wp-content/uploads/2023/03/Mice-Logo-2.png उज्जैन Archives - Nationalive... https://nationallive.in/archives/category/उज्जैन 32 32 महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिबंधात्मक आदेश सिर्फ आम श्रद्धालुओं के लिए? महाकालेश्वर मंदिर के गर्भ ग्रह में प्रवेश पूर्णतः निषेध किए जाने की मांग https://nationallive.in/archives/4127 https://nationallive.in/archives/4127#respond Mon, 03 Apr 2023 11:39:10 +0000 https://nationallive.in/?p=4127 उज्जैन, मनोज उपाध्याय! मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  चौहान को उज्जैन के स्वस्तिक पीठाधीश्वर परमहंस डॉ अवधेश पुरी महाराज ने एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि महाकालेश्वर मंदिर में आम श्रद्धालुओं से दर्शन करने के नाम पर कर वसूलना और वीआइपी कल्चर बंद करने के बाबत, लेकिन महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन […]

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उज्जैन, मनोज उपाध्याय! मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  चौहान को उज्जैन के स्वस्तिक पीठाधीश्वर परमहंस डॉ अवधेश पुरी महाराज ने एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि महाकालेश्वर मंदिर में आम श्रद्धालुओं से दर्शन करने के नाम पर कर वसूलना और वीआइपी कल्चर बंद करने के बाबत, लेकिन महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन व्यवस्था के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश ऐसा प्रतीत होता है कि सिर्फ आम श्रद्धालुओं के लिए ही होते हैं वीआईपी और वीवीआईपी इस प्रकार के आदेशों के दायरे में नहीं आते हैं।
ज्ञात रहे कि दिनाँक 04 अप्रैल से कथावाचक प. प्रदीप मिश्रा जी की कथा में बडी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना के चलते दिनाँक 03 अप्रैल प्रातः 10 बजे से 10 अप्रैल तक गर्भगृह  से दर्शन-पूजन श्रद्धालुओं हेतु बन्द रहेगा.यह  फरमान महाकालेश्वर मंदिर समिति की तरफ से 1 दिन पहले आया था, लेकिन जानकारी यह भी है कि महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष एवं महाकाल मंदिर प्रशासक के पास कुछ विशेष अधिकार हैं जिसके तहत वीआईपी और वीवीआईपी गर्भ ग्रह में दर्शन इस दौरान भी कर सकेंगे, जिसके तहत आज महाकालेश्वर मंदिर गर्भ ग्रह में कथा वाचक  पंडित प्रदीप मिश्रा सहित कुछ वीवीआइपी ने पूजा अर्चना की, इससे स्पष्ट है कि महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा जारी किया गया फरमान सिर्फ आम जनता के लिए ही है क्योंकि वीआईपी और वीवीआईपी का गर्भ ग्रह में जाना दर्शन करना पूजा अर्चना करना बदस्तूर जारी है।

उज्जैन के स्वस्तिक पीठाधीश्वर परमहंस डॉ अवधेश पुरी महाराज ने प्रदेश के मुखिया से पत्र लिखकर गुजारिश की है कि विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकार समानता एवं धार्मिक स्वतंत्रता के हनन यानी दर्शन शुल्क एवं वीआईपी कल्चर को बन्द किया जाए , अपने पत्र में परमहंस डॉक्टर अवधेश पुरी महाराज ने लिखा है कि  मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है, जिसे हिन्दूवादी सरकार माना जाता है, किंतु यह घोर आश्चर्य एवं विडंबना ही है कि ऐसी हिन्दूवादी सरकार के कार्यकाल में भी विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के दरबार में नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकारों का हनन किया जा रहा है। दर्शन शुल्क व वीआईपी कल्चर द्वारा गरीब और अमीर के बीच भेदभाव किया जा रहा है। गरीब भक्तों को भगवान से दूर किया जा रहा है।

यह अत्यंत प्रासंगिक, आश्चर्यजनक एवं चिन्तनीय विषय है कि, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 विधि के

समक्ष समता का अधिकार देते हुए कहता है कि राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति के विधि के समक्ष समता से या विधियों के

समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। भारत के संविधान के आधारभूत ढांचे के अंतर्गत आने वाला यह अनुच्छेद नैसर्गिक न्याय (Natural Justice) और कानून का शासन (Rule of Law) के सिद्धांत का प्रतिपादन करता है। यह नागरिक के मानवाधिकारों की रक्षा का मौलिक अधिकार है, किंतु इसका उल्लंघन करते हुए जहाँ एक भी मस्जिद, गिरजाघर, चर्च या गुरुद्वारे में न ही वीआईपी कल्चर है और न ही दर्शन के नाम पर शुल्क लिया जाता है किंतु हिंदुओं के मंदिरों का पहले तो सरकारीकरण किया गया है और अब उन्हें व्यावसायिक केंद्र बनाते हुए हिंदू वीआईपी कल्चर विकसित करते हुए श्रद्धालुओं से दर्शन का शुल्क लिया जा रहा है।

अनुच्छेद 25 सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता धर्म को अवाध रूप से मानने, आचरण करने व प्रचार

करने का अधिकार देता है तो फिर शासन एवं प्रशासन वीआईपी कल्चर व दर्शन शुल्क के द्वारा भगवान महाकाल और

उनके गरीब भक्तों के बीच में बाधा क्यों बन रहा है? भक्तों को भगवान से दूर क्यों कर रहा है? अनुच्छेद 26 हमें धार्मिक स्वतंत्रता धार्मिक संस्थाओं की स्थापना, संपत्ति का अर्जन, पोषण, स्वामित्व, प्रशासन एवं धार्मिक कार्यों के प्रबंधन का अधिकार देता है तो फिर हिंदू मठ मंदिरों को शासन द्वारा प्रशासित कर हिंदुओं के संवैधानिक मूल अधिकारों के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है? अतः मैं एक संन्यासी होने के नाते अपने संन्यासी धर्म का पालन करते हुए आपसे आग्रह करता हूँ कि जब एक और आप एक धार्मिक स्वभाव के अति लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं। व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रहे हैं। गरीबों को बीपीएल कार्ड बना कर दे रहे हैं। उन्हें 5 किलो राशन देकर उपकृत कर रहे हैं। इतना ही नहीं अंतिम संस्कार के लिए कफन तक की

व्यवस्था कर रहे हैं तो फिर उन्हीं गरीब भांजे व भाजियों से आप भगवान महाकाल के दर्शन का शुल्क कैसे ले सकते हैं? गरीबों और अमीरों के बीच भेदभाव कर गरीबों को भगवान से दूर कैसे कर सकते हैं? अतः आप गरीब भक्तों को भगवान से दूर न करें भगवान महाकाल के दरबार में वीआईपी कल्चर के होने से भी गरीब भक्त अपने आपको छोटा एवं अपमानित अनुभव करता है। यह भी बन्द होनी चाहिए। इसे आप एक संत की पीड़ा, कर्तव्य, सुझाव अथवा आग्रह कुछ भी माने किंतु इस पर गंभीरतापूर्वक विचार कर दर्शन के नाम पर शुल्क की व्यवस्था एवं वीआईपी कल्चर को समाप्त करें। स्मरण रहे कि यह पत्र में सरकार के विरोधी के रूप में नहीं बल्कि एक शुभचिंतक होने के नाते लिख रहा हूँ क्योंकि इन व्यवस्थाओं को लेकर जनसामान्य में गहरा आक्रोश है, जिसका नुकसान हमें आगामी चुनावों में भी हो सकता है।
बहर हाल व्यवस्थाएं अगर अन्य मंदिरों की करें तो सोमनाथ, रामेश्वरम, तिरुपति बालाजी, आदि ऐसे कई मंदिर हैं जहां गर्भ ग्रह में प्रवेश पूर्णतः निषेध है चाहे वह कोई भी हो, बाबा महाकाल का शिवलिंग वैसे भी अधिक अभिषेक और पूजन सामग्री चढ़ाने की वजह से दिन प्रतिदिन क्षरण होता जा रहा है ऐसे में साधु-संतों सहित आम श्रद्धालुओं की भी यह मांग है कि बाबा महाकाल के गर्भ गृह में पूर्णतः प्रवेश निषेध किया जाना चाहिए सभी के लिए चाहे वह कोई भी हो।

 

 

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विश्वास का कार्यक्रम निरस्त होने की संभावना भोपाल से आयी खबर https://nationallive.in/archives/3918 https://nationallive.in/archives/3918#respond Wed, 22 Feb 2023 10:15:24 +0000 http://nationallive.in/?p=3918 उज्जैन। विक्रमोत्सव के अन्तर्गत उज्जैन में 21 से 23 फरवरी तक कुमार विश्वास द्वारा राम कथा के तहत प्रवचन दिए जाने थे। 21फरवरी को उन्होने अपने प्रवचन में जो कहा,उसे लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों से लेकर समग्र हिंदू समाज ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सूत्रों का दावा है कि कुमार […]

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उज्जैन। विक्रमोत्सव के अन्तर्गत उज्जैन में 21 से 23 फरवरी तक कुमार विश्वास द्वारा राम कथा के तहत प्रवचन दिए जाने थे। 21फरवरी को उन्होने अपने प्रवचन में जो कहा,उसे लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों से लेकर समग्र हिंदू समाज ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सूत्रों का दावा है कि कुमार विश्वास का 22 और 23 फरवरी को होनेवाला कार्यक्रम रद्द हो सकता है। बताया गया है कि उनकी तबियत नासाज है ?

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चकोर अपनी अंतिम सांसे ले रहा है,हत्या का दोषी नगर निगम https://nationallive.in/archives/3523 https://nationallive.in/archives/3523#respond Fri, 25 Nov 2022 04:20:00 +0000 http://nationallive.in/?p=3523 चकोर अपनी अंतिम सांसे ले रहा है,हत्या का दोषी नगर निगम चकोर के दिल के साथ साथ शहरवासियों का दिल भी हुआ तार तार उज्जैन, सिंहस्थ ही एक ऐसा आयोजन है जिसमे हर 12 साल में उज्जैन को गांव से शहर बनाने में अरबो रूपया खर्च हो जाता है लेकिन बड़े शर्म की बात है […]

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चकोर अपनी अंतिम सांसे ले रहा है,हत्या का दोषी नगर निगम
चकोर के दिल के साथ साथ शहरवासियों का दिल भी हुआ तार तार
उज्जैन, सिंहस्थ ही एक ऐसा आयोजन है जिसमे हर 12 साल में उज्जैन को गांव से शहर बनाने में अरबो रूपया खर्च हो जाता है लेकिन बड़े शर्म की बात है कि अगले 12 साल तक उज्जैन नगर निगम, गांव से शहर बने उज्जैन को संजो कर रख नहीं पाता है, और इस तरह उज्जैन शहर में अरबों रुपया खर्च होने के बाद भी नगर निगम के अधिकारियों की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के चलते शहर वीरान जंगल में तब्दील हो जाता है, इसका एक छोटा सा उदाहरण शहर के उद्यान हैं जोकि सिंहस्थ में करोड़ों रुपया लगाकर संवारे गए थे आज घोर बदहाली के शिकार हो रहे हैं।

शहर के लगभग सभी उद्यान जंगल में तब्दील हो रहे हैं लेकिन आज हम बात करेंगे चकोर पार्क की ,जिसे सिंहस्थ 2016 में 3 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करके सजाया और संवारा आ गया था, आज नगर निगम के अधिकारियों की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के चलते अपनी दुर्दशा को चीख चीख कर बयां कर रहा है, आलम यह है कि 20 बीघा के क्षेत्रफल में फैला चकोर पार्क जिसकी साल संभाल करने के लिए एक भी माली नहीं है इससे आपको अंदाजा लग गया होगा कि 20 बीघा के उद्यान में अगर एक भी माली नहीं है तो उसकी क्या दुर्दशा हो गई होगी, पूरे उद्यान में बड़ी-बड़ी जंगली झाड़ियां हो रही है, पानी और नियमित देखभाल की कमी से सभी पौधे और वृक्ष सुख रहे हैं, चारों तरफ सूखी लकड़ियां बिखरी पड़ी हैं, बच्चों के लिए लगाए गए झूले ,फिसल पट्टी, व्यायाम करने के उपकरण सब टूट चुके हैं ऐसी स्थिति में बच्चों एवं उनके अभिभावकों द्वारा इनका इस्तेमाल करने पर गंभीर चोट लगने का अंदेशा है बड़ी हास्यास्पद बात यह है कि उद्यान में पेड़ों से रस्सी बांधकर टायर के झूले पर्यटकों के लिए बनाए गए हैं जिस पर झूल कर पर्यटक घायल हो सके, उद्यान को देखने के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए जगह जगह महंगे ग्रेनाइट से बनी कुर्सियां बनाई गई थी अब वह टूट चुकी है उनके ऊपर के ग्रेनाइट गायब हो चुके हैं , यहां एक छोटा सा तालाब बनाया गया था जिस पर एक लकड़ी का ब्रिज बनाया गया था जोकि गुजरात में हुए हादसे की पुनरावृति करने को तैयार है जिसकी सारी लकड़ियां सड़ चुकी है लेकिन नगर निगम द्वारा यहां किसी का प्रकार का साइन बोर्ड नहीं लगाया गया है और ना ही इसको दुरुस्त कराया गया है, बावजूद इसके इस पर चलने पर प्रतिबंध भी नहीं लगाया गया है , इस ब्रिज पर कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है,जिस तालाब पर यह ब्रिज बनाया गया था वह तालाब भी पूरी तरह से सूख चुका है, चकोर पार्क में लगा दिल भी तार-तार हो चुका है,


इस तरह से चारों तरफ अव्यवस्थाओं के चलते पूरा चकोर पार्क वीरान बिहड़ का स्वरूप ले चुका है, लेकिन ताज्जुब की बात देखिए कि नगर निगम द्वारा इस वीरान बिहड़ जंगल को देखने के लिए ₹15 शुल्क भी पर्यटकों से वसूला जाता है, परिवार सहित पिकनिक मनाने की आस में पर्यटक यहां शुल्क देकर अंदर जाते हैं और जब वह अंदर के नजारों से रूबरू होते हैं तब उन्हें घोर निराशा होती है, चकोर पार्क में लाखों रुपए की लागत से बना म्यूजिकल फाउंटेन बनाया गया है, जिसका रोज शाम को शो हुआ करता था जिसे देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में पर्यटक यहां आते थे लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते महीनों से यह सूखा पड़ा हुआ है ,कर्मचारियों के अनुसार बोरिंग में मोटर फसी होने के कारण से महीनों से यह फाउंटेन शो बंद है नगर निगम के अधिकारियों की अनदेखी की वजह से महीनों से मोटर को दुरुस्त नहीं कराया गया है इसी के चलते पूरे पार्क में पानी की कमी के चलते पेड़ पौधे सूख रहे हैं लेकिन इन सबके बावजूद नगर निगम के उद्यान अधिकारी इसकी सुध लेने को तैयार नहीं है, नगर निगम के आला अधिकारी भी महीनों से यहां झांकने तक नहीं आए हैं ,साफ सफाई कर्मचारी चौकीदार सब मिलाकर कुल 8 का अस्थाई कर्मचारियों का स्टाफ है , अपनी अस्थाई नौकरी चली जाने के डर से चकोर पार्क का स्टॉप मुंह पर पट्टी बांधे बैठने को मजबूर है क्योंकि मुंह खुला और नौकरी गई , जबकि चकोर पार्क के मेंटेनेंस के लिए लाखों रुपए प्रतिमाह कागजों में दिखाकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है, बदहाली की हकीकत इससे ही स्पष्ट होती है कि 20 बीघा के इस बड़े चकोर पार्क में एक भी माली नहीं है।


बहर हाल नगर निगम के अधिकारियों द्वारा सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए भी फोन उठाना बंद कर दिया है क्योंकि इन बदहाली और दुर्दशा के लिए उनके पास कोई जवाब नहीं है, पूरे उज्जैन में 20 से अधिक बड़े पार्क हैं जो इसी तरह से अपनी दुर्दशा को बयां कर रहे हैं, आगे के अंक में शहर के और भी उद्यानों की हो रही दुर्दशा से आपको रूबरू कराएंगे, लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा लाखों रुपए का वेतन लेने के बाद भी अपने कर्तव्य के प्रति इतनी बेईमानी आखिर क्यों?, अब तो शहर में नगर निगम के जनप्रतिनिधि भी अपने-अपने वार्डों में विकास करने की शपथ ले चुके हैं, तो क्या नव निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी अपने-अपने वार्डों के उद्यानों की दुर्दशा का संज्ञान लेंगे?, जरूरत इस बात की है कि नगर निगम के आला अधिकारी और महापौर शहर के सभी उद्यानों की समय रहते सुध लें, और इन उद्यानों की साल संभाल के लिए आवश्यक कर्मचारी एवं संसाधन उपलब्ध कराएं ,एवम गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारियों पर आवश्यक कार्यवाही हो, अन्यथा जनता सब देख रही है और समझ भी नहीं है और इसका समय पर उत्तर देना भी जानती है।

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लोकतंत्र में तानाशाही, लोकतंत्र की गरिमा को कर रही है धूमिल https://nationallive.in/archives/2157 https://nationallive.in/archives/2157#respond Sat, 26 Jun 2021 11:00:31 +0000 http://nationallive.in/?p=2157   संपादकीय शासन एवम प्रशासन के नुमाइंदों की कार्यशैली ,लोकतंत्र को तानाशाही की ओर धकेल रही है, ओर इसका शिकार मीडिया को बनाया जा रहा है, लेकिन मीडिया की आवाज को बलपूर्वक दबाना या सरेबाजार उसका अपमान करने से उसके अस्तित्व को धूमिल करना संभव नहीं है, मीडिया आज स्पष्ट शब्दों में लोकतंत्र के सभी […]

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संपादकीय

शासन एवम प्रशासन के नुमाइंदों की कार्यशैली ,लोकतंत्र को तानाशाही की ओर धकेल रही है, ओर इसका शिकार मीडिया को बनाया जा रहा है, लेकिन मीडिया की आवाज को बलपूर्वक दबाना या सरेबाजार उसका अपमान करने से उसके अस्तित्व को धूमिल करना संभव नहीं है, मीडिया आज स्पष्ट शब्दों में लोकतंत्र के सभी तंत्रों को आगाह करता है कि सभी तंत्र संविधान के अनुसार मिले अधिकारों की सीमा रेखा को लांघकर दूसरे तंत्र को नीचा दिखाने का प्रयास न करे, क्योंकि यह प्रयास लोकतंत्र की गरिमा को धूमिल कर रहा है।
” मीडिया “लोकतंत्र का वह हिस्सा है जो लोकतंत्र को संचालित करता है ,प्रबंधन करता है और मार्गदर्शन भी, मीडिया लोकतंत्र का आईना है जो जनता के सामने लोकतंत्र के कार्यकलापों को प्रदर्शित करता है, वहीं जनता के प्रति लोकतंत्र के उत्तरदायित्व को भी दिखाता है, मीडिया के बिना लोकतंत्र का अस्तित्व संभव नहीं है।
लेकिन आजकल के परिदृश्य में कार्यपालिका और विधायिका यह दो तंत्र ऐसे हैं जो अपने निजी स्वार्थ और अहम के चलते तानाशाही की ओर लोकतंत्र को धकेल रहे हैं ,अगर हम कार्यपालिका की बात करें तो शासन और प्रशासनिक अधिकारी अपने पद में मदमस्त होकर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए अपनी सीमा को लांघते जा रहे हैं,
बात अगर पुलिस प्रशासन की करें तो उज्जैन के एक आईपीएस अधिकारी ने अपने पद के घमंड में चूर होकर मीडिया के एक वरिष्ठ पत्रकार एवं एक प्रतिष्ठित अखबार के संपादक के साथ निचले स्तर का दुर्व्यवहार, इस बात को प्रदर्शित करता है कि अधिकारी अपनी सीमा लांघते हुए लोकतंत्र के महत्वपूर्ण तंत्र मीडिया को लज्जित एवं नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसा करके पुलिस अधिकारी अपनी शपथ को भी लज्जित कर रहे हैं, वहीं अपने विभाग की गरिमा को भी तार-तार कर रहे हैं।
यह वाकिया कोई नया नहीं है, आए दिन प्रशासनिक अधिकारी अपने पद के घमंड में चूर होकर , अपनी लचर कार्यप्रणाली को दबाने के लिए बलपूर्वक मीडिया का मुंह बंद करने का प्रयास अक्सर किया जाता है, लेकिन वह यह भूल रहे हैं कि मीडिया का बलपूर्वक मुंह बंद करना उसका सारे बाजार अपमान करना एवं मीडिया के अस्तित्व को धूमिल करने का प्रयास लोकतंत्र को लज्जित करने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं ,यह भी अटल सत्य है कि मीडिया के बगैर लोकतंत्र का कोई अस्तित्व नहीं हो सकता।
अगर बात करें विधायिका की तो यहां भी तानाशाही का सुरूर सिर चढ़कर बोल रहा है ,जनप्रतिनिधि अपने आप को जनता का प्रतिनिधि कम बल्कि हिटलर बनने का प्रयास अधिक करते नजर आ रहे हैं ,जहां जनता की हितों की बात ना करते हुए निजी स्वार्थ को सिद्ध करने को प्राथमिकता दी जा रही है और इसी स्वार्थी कार्यप्रणाली को दबाने के लिए मीडिया का मुंह बलपूर्वक बंद करने का प्रयास किया जा रहा है, जनप्रतिनिधि जनता के हितों को नजरअंदाज करते हुए ,मनमाने अपने स्वार्थ सिद्धि के फैसले ले रहे हैं।

मीडिया लोकतंत्र का आईना है जिस पर अगर कोई कीचड़ उछालता है तो वह ऐसा करके अपने स्वयं को एवं अपने पूरे विभाग को उस कीचड़ से लथपथ कर रहा है।

मीडिया की कलम को भगवान श्री कृष्ण के उस सुदर्शन की भांति इस कलयुग में कहा गया है इस कलम में वह ताकत है जो बिना युद्ध लड़े शब्दों के बाण से अन्याय को परास्त कर ,न्याय और सत्य का परचम लहरा सकती है।
अंत में मैं इतना ही कहूंगा कि लोकतंत्र में समाहित सभी तंत्र अपनी हद और गरिमा का सम्मान करें एवं अपने पद और घमंड को संभालना सीखें ,क्योंकि घमंड ना बलशाली रावण का चला ना ही हिटलर का, अगर अनुशासन का पाठ किसी दूसरे को पढ़ाना है तो उसके लिए खुद का भी अनुशासित होना आवश्यक है।
मीडिया लोकतंत्र के हर तंत्र का सम्मान करता है लेकिन खुद के सम्मान पर कोई आंच आए ,यह भी बर्दाश्त नहीं , क्योंकि सम्मान से बढ़कर जीवन में कुछ नहीं होता और जिस दिन अपने सम्मान के रक्षा में “मीडिया” ने अपनी सीमा लाँघि , उस दिन लोकतंत्र अस्तित्व विहीन हो सकता है।

मनोज उपाध्याय
नेशनल लाइव

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बहुत बड़ी बात कह गए, राहुल गांधी और कमलनाथ https://nationallive.in/archives/2143 https://nationallive.in/archives/2143#respond Sat, 22 May 2021 14:56:53 +0000 http://nationallive.in/?p=2143 ब्लैक फंगस महामारी को लेकर सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि “मोदी सिस्टम के कुशासन के चलते सिर्फ भारत में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फ़ंगस महामारी है, उन्होंने कहा कि इस नई महामारी की दवा की  बाजार बहुत कमी है।   दरअसल ब्लैक फंगस बीमारी […]

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ब्लैक फंगस महामारी को लेकर सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि “मोदी सिस्टम के कुशासन के चलते सिर्फ भारत में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फ़ंगस महामारी है, उन्होंने कहा कि इस नई महामारी की दवा की  बाजार बहुत कमी है।

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दरअसल ब्लैक फंगस बीमारी नई नहीं  है ,ब्लैक फंगस  या म्यूकोरमाइकोसिस का संक्रमण नया तो नहीं है, लेकिन फिर भी कोविड-19 (Covid-19) की वजह से इसे नया कहा जा रहा है,इसका पहला मामला 1885 में जर्मनी के पाल्टॉफ नाम के एक पैथोलॉजीस्ट ने देखा था. इसके बाद म्यूकोरमाइकोसिस नाम अमेरिकी पैथोलॉजीस्ट आरडी बेकर ने दिया था. 1943 में इससे संबंधित एक शोध छपा था 1955 में इस बीमारी से बचने वाला पहला शख्स हैरिस नाम का व्यक्ति बताया जाता है. तब से अब तक इसके निदान आदि में ज्यादा बदलाव नहीं आया है।

लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो आरोप लगाया है की ब्लैक फंगस सिर्फ और सिर्फ भारत में ही तेजी से क्यों फैल रहा है ,जानकारों की इस पर अलग-अलग राय है कुछ का मानना है कि ब्लैक फंगस, पानी की खराबी से होता है एवं कुछ का मानना है कि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर यह रोग हो सकता है लेकिन बहुतायत जानकारों का मानना है कि ब्लैक फंगस इन दिनों भारत में होने का कारण कोरोना संक्रमण के समय दी जाने वाली ऑक्सीजन के समय दूषित पानी की वजह से होता है ,वहीं कोरोना संक्रमण के इलाज मे दिए जाने वाले स्ट्राइड रेमदेसीविर इंजेक्शन के साइड  इफेक्ट को भी वजह माना जा रहा  है,

ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब रेमदेसीविर इंजेक्शन जिससे कोरोना का इलाज नहीं होना बताया जा रहा है और जिसके इतने गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं तब भारत में यह इंजेक्शन किसकी इजाजत से लगाया जा रहा है ,क्या भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी इजाजत दी है? यह एक जांच का विषय है।

वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उज्जैन में मध्य प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 127000 मौतें मध्य प्रदेश में हुई इनमें से 80% कॉविड से हुई,शमशान और कब्रिस्तान में पहुंची लाशों का रिकॉर्ड प्रदेश सरकार सार्वजनिक करें, इंटरनेट पर डाले,रिकॉर्ड सार्वजनिक होते ही जनता खुद तय करेगी कि कौन झूठ बोल रहा, मरनेे वाले  को पांच लाख दिए जाएं ,प्रमाण पत्र नहीं उनसे एफिडेविट लिए जाए, 

दरअसल कमलनाथ के इस आरोप के पीछे कहा जा रहा है कि जब कोई करोना पॉजिटिव होता है एवं हॉस्पिटल में उसका इलाज चलता है ,एवं कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने पर डिस्चार्ज किया जाता है लेकिन इलाज के दौरान मरीज की मृत्यु होने पर डिस्चार्ज के समय अधिकांश लोगों की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव बताई जा रही है ,जिसके कारण यह संदेह  जताया जा रहा है, जो कि एक जांच का विषय है।

बाहर हाल कांग्रेस के दिग्गजों द्वारा लगाए गए केंद्र सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार पर इन आरोपों की निष्पक्ष जांच होती है या नहीं?

 

 

 

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ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार कर सकेंगे ,जन स्वास्थ्य रक्षक https://nationallive.in/archives/2136 https://nationallive.in/archives/2136#respond Wed, 21 Apr 2021 16:37:15 +0000 http://nationallive.in/?p=2136 उज्जैन ,कोरोना का नया रूप स्ट्रेन बहोत तेजी से फैल रहा है, हालात यह है कि अब ग्रामीण क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है,वहीं उज्जैन जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वेक्सीन लगाने की गति में अब तेजी आ रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार न मिलने की वजह से साधारण सर्दी जुखाम वायरल […]

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उज्जैन ,कोरोना का नया रूप स्ट्रेन बहोत तेजी से फैल रहा है, हालात यह है कि अब ग्रामीण क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है,वहीं उज्जैन जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वेक्सीन लगाने की गति में अब तेजी आ रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार न मिलने की वजह से साधारण सर्दी जुखाम वायरल टाइफाइड मलेरिया उल्टी दस्त बुखार आदि से ग्रसित लोग भी शहर का रुख कर रहे हैं,जबकि उज्जैन शहर के शासकीय एवं प्राइवेट अस्पतालों में ना तो बेड उपलब्ध है और ऑक्सीजन एवं इंजेक्शन में अनियमितता के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार करने वाले जन स्वास्थ रक्षक न सिर्फ कोरोना संक्रमण से रोकथाम के लिए ग्रामीण लोगों को जागरूक कर सकते हैं बल्कि वह कोरोना से बचने के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन लगाने के लिए भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जागरूक करने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं ।

भाजपा अध्यक्ष ग्रामीण बहादुर सिंह बोरमुंडला ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना फैलने से रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं एवं आपदा प्रबंधन की बैठक मैं भी ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण को रोकने के बारे में चर्चा की गई है उन्होंने बताया कि उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह से इस विषय में चर्चा हुई है कि ग्रामीण क्षेत्रों साधारण सर्दी जुखाम मलेरिया टाइफाइड उल्टी दस्त वायरल बुखार आदि में ग्रामीण लोगों को जन स्वास्थ्य रक्षकों द्वारा प्राथमिक उपचार मिलना आवश्यक है अन्यथा कोरोना के अलावा अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं में ग्रामीण शहरों की ओर आने पर बाध्य होगा एवं उज्जैन शहर में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले ग्रामीणों के भी कोरोना संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है।
बहादुर सिंह बोर मुंडला ने बताया कि उज्जैन कलेक्टर ने इस संबंध में कहा है कि जल्द ही वह एसडीएम को निर्देशित करेंगे कि ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहे जन स्वास्थ्य रक्षकों को प्राथमिक उपचार करने की छूट दी जाए।
उज्जैन प्रशासन के इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को साधारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में प्राथमिक उपचार ग्रामीण क्षेत्रों में ही जन स्वास्थ्य रक्षकों की मदद से मिल जाएगा एवं गंभीर मरीज ही शहरी क्षेत्र में आ सकेंगे इस तरह ग्रामीण लोगों का शहरी क्षेत्र में ना आने पर कोरोना संक्रमण से भी काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।

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“क्या अब उज्जैन में धार्मिक त्योहारों के हिसाब से लगेगा लॉकडाउन?” https://nationallive.in/archives/2130 https://nationallive.in/archives/2130#respond Mon, 12 Apr 2021 05:45:10 +0000 http://nationallive.in/?p=2130   सम्पादकीय क्या अब उज्जैन में धार्मिक त्योहारों के हिसाब से लगेगा लॉकडाउन?,यह सवाल आज उज्जैन के प्रत्येक नागरिक के मन में है,यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि उज्जैन के जनप्रतिनिधियों के मन में अपनी जनता की धार्मिक भावनाओं का कितना महत्व है, क्या जनता के जनप्रतिनिधि चुनने के बाद जनता की रॉय के कोई […]

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सम्पादकीय

क्या अब उज्जैन में धार्मिक त्योहारों के हिसाब से लगेगा लॉकडाउन?,यह सवाल आज उज्जैन के प्रत्येक नागरिक के मन में है,यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि उज्जैन के जनप्रतिनिधियों के मन में अपनी जनता की धार्मिक भावनाओं का कितना महत्व है, क्या जनता के जनप्रतिनिधि चुनने के बाद जनता की रॉय के कोई मायने नहीं रह जाते,क्या जनता को भरोसे में लेकर जनप्रतिनिधि ओर प्रशासन लॉक डाउन बढ़ाने का फैसला नहीं कर सकते थे, आज जनता लॉक डाउन के फैसले से पूरी तरह कंफ्यूज है, क्योंकि उज्जैन में लॉक डाउन शुक्रवार की शाम से सोमवार की सुबह तक था ,लेकिन इसे एक सप्ताह तक के लिए ओर बढ़ा दिया गया, इसके पीछे का कारण बढ़ता कोरोना है?, इसका कारण उज्जैन के जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों  ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से की गई विशेष गुजारिश  है जिसमें यह कहा गया कि सोमवती अमावस्या ओर हरिद्वार में चल रहे कुंभ के मेले के चलते उज्जैन में अधिक लोगों के आने की संभावना है,अधिक संख्या में लोग उज्जैन में जमा न हो पाएं ,इसलिए उज्जैन में एक सप्ताह का लॉक डाउन किया जाये, ऐसे में प्रश्न यह है कि क्या कोरोना के चलते धार्मिक त्यौहारों पर इस प्रकार प्रतिबंध लगाया जाएगा?,

जनता के मन में यह सवाल घर कर रहा है कि सरकार कोरोना की आड़ लेकर सिर्फ धार्मिक त्योहारों पर ही क्यों प्रतिबंध लगा रही है, आखिर क्यों राजनैतिक आयोजनों ओर चुनाव इससे अछूते हैं ।

बहरहाल उज्जैन के जनप्रतिनिधियों ओर प्रशासन द्वारा धार्मिक त्योहारों पर पूर्ण लॉक डाउन के फैसले को जल्दबाजी में लिया फैसला, जनता के बीच माना जा रहा है, जनता के बीच चर्चा यह भी है कि उज्जैन में विगत दिनों बिना कोरोना के भी शनिचरी अमावस्या पर समुचित व्यवस्था न कर पाने की वजह से कुछ बड़े प्रशासनिक अधिकारियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था, तो क्या प्रशासन द्वारा सोमवती अमावस्या पर समुचित व्यवस्था कर पाने में असमर्थता भी लॉक डाउन का कारण तो नहीं, क्योकि इस धार्मिक त्योहार सोमवती अमावस्या पर कोरोना के समय में भी समुचित व्यवस्था कर कुंभ में शाही स्नान किया जा रहा  है, तो  क्या मध्यप्रदेश सरकार लोगों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए जनता को क्षिप्रा में स्न्नान की व्यवस्था नहीं कर सकती थी?, आखिर उज्जैन के जनप्रतिनिधियों ओर प्रशासन ने सोमवती अमावस्या पर जनता को स्नान कराने में असमर्थता क्यों जताई?,प्रश्न यह कि क्या सोमवती अमावस्या पर क्षिप्रा स्न्नान की कोरोना गाइडलाइन के अनुसार व्यवस्था करने में असमर्थ प्रदेश सरकार है या उज्जैन  के जनप्रतिनिधि या प्रशासन?

इस प्रकार के सवाल उज्जैन की जनता आने वाले समय में ओर चुनाव में मौजूदा सरकार से ओर जनप्रतिनिधियों से पूछ सकती है, चूंकि प्रशासन तो सरकार के आदेशानुसार कार्य करता है।

 

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गैर पत्रकारों की होगी धरपकड़, सिटी प्रेस क्लब की पहल पर पुलिस छेड़ेगी अभियान… https://nationallive.in/archives/2124 https://nationallive.in/archives/2124#respond Tue, 16 Feb 2021 11:22:36 +0000 http://nationallive.in/?p=2124 उज्जैन,पत्रकारिता जगत में गैर पत्रकारों की बढ़ती घुसपैठ के चलते लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की गरिमा धूमिल होती जा रही है, इस घुसपैठ को रोकने के लिए उज्जैन सिटी प्रेस क्लब केे  पत्रकारों ने  उज्जैन  एसपी  सत्येंद्र कुमार शुक्ल को ज्ञापन सौंपकर उज्जैन जिले में प्रेस लिखें वाहन धारियों की तहकीकात करने का अभियान छेड़ने की अपील […]

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उज्जैन,पत्रकारिता जगत में गैर पत्रकारों की बढ़ती घुसपैठ के चलते लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की गरिमा धूमिल होती जा रही है, इस घुसपैठ को रोकने के लिए उज्जैन सिटी प्रेस क्लब केे  पत्रकारों ने  उज्जैन  एसपी  सत्येंद्र कुमार शुक्ल को ज्ञापन सौंपकर उज्जैन जिले में प्रेस लिखें वाहन धारियों की तहकीकात करने का अभियान छेड़ने की अपील की। दूध वाहन, लोडिंग वाहन, दोपहिया ,चौपहिया वाहनों पर प्रेस लिखकर गैर पत्रकार जिले में कई प्रकार की गैरकानूनी गतिविधियां संचालित कर रहे हैं जिसमें भू माफिया, शराब माफिया एवं कई अपराधिक एवं असामाजिक तत्व भी सम्मिलित हैं ,लोकतंत्र के चौथे स्तंंभ की गरिमा बनी रहे एवं गैर पत्रकारों की घुसपैठ को रोका जा सके इसके लिए सिटी प्रेस क्लब के आव्हान पर उज्जैन पुलिस प्रेस लिखे वाहन धारियों की चेकिंग करेगी ,जिसमें वाहन चालक को संबंधित मीडिया संस्थान द्वारा जारी किया गया अधिकृत प्रेस कार्ड दिखाना होगा, अधिकृत प्रेस कार्ड नहीं पाए जाने पर संबंधित वाहन चालक पर वैधानिक कार्यवाही की जा सकती है।

सिटी प्रेस क्लब अध्यक्ष शैलेंद्र कुल्मी ने बताया कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में गैर पत्रकारों का  कोई स्थान नहीं है  एवं पत्रकारिता जगत की गरिमा को  गैर पत्रकारों द्वारा धूमिल नहीं करने दिया जाएगा ,जो पत्रकार नहीं है उनकी पहचान एवं पड़ताल कर उन पर आवश्यक कार्रवाई हो।

 

 

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मध्यप्रदेश शासन और उज्जैन प्रशासन की नीतियों के खिलाफ मुखर हुए संत” https://nationallive.in/archives/2117 https://nationallive.in/archives/2117#respond Fri, 09 Oct 2020 07:59:52 +0000 http://nationallive.in/?p=2117 मध्यप्रदेश शासन और उज्जैन प्रशासन की नीतियों के खिलाफ मुखर हुए संत””शासन हिन्दू मंदिरों का अधिग्रहण ही क्यों करते हैं, गिरजाघर, गुरुद्वारा, मस्जिद को क्यों नहीं – संत अवधेश पुरी महाराज,पीठाधीश्वर स्वस्तिक पीठ” उज्जैन, उज्जैन प्रशासन के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन शुल्क एवम शासन की किसी एक धर्म के लिए एकतरफा नीति पर संत हुए […]

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मध्यप्रदेश शासन और उज्जैन प्रशासन की नीतियों के खिलाफ मुखर हुए संत””शासन हिन्दू मंदिरों का अधिग्रहण ही क्यों करते हैं, गिरजाघर, गुरुद्वारा, मस्जिद को क्यों नहीं – संत अवधेश पुरी महाराज,पीठाधीश्वर स्वस्तिक पीठ”

उज्जैन, उज्जैन प्रशासन के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन शुल्क एवम शासन की किसी एक धर्म के लिए एकतरफा नीति पर संत हुए मुखर,कहा शासन हिन्दू मंदिरों का अधिग्रहण ही क्यों करते हैं, गिरजाघर, गुरुद्वारा, मस्जिद को क्यों नहीं ?

स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर, संत अवधेश पुरी महाराज ने कहा कि तमाम तरह के प्रतिबंध शासन, प्रशासन हिन्दू सम्प्रदाय के लोगों एवम मंदिरों पर ही लगा रहा है ,उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में शासन ने 40 हजार मंदिरों का अधिग्रहण कर रखा है, जबकि दूसरे धर्म सम्प्रदाय के धार्मिक स्थलों को क्यों इससे दूर रक्खा गया है, हिंदू धर्म की परंपराओं से हिंदू धर्म की मान्यताओं से और हिंदू धर्म की श्रद्धा से छेड़छाड़ करने का अधिकार किसी प्रबंध समिति किसी शासन प्रशासन को नहीं है, शासन हिंदू धर्म के मंदिरों को ही अधिग्रहण कर निगरानी के लिए कैमरा लगाती है मनमाने निर्माण कार्य करती है एवं दर्शन के लिए टैक्स लगाती है लेकिन अन्य धर्मों के लिए यह नियम क्यों नहीं, शासन क्यों नहीं किसी मस्जिद पर कैमरा लगाती है ,नमाज पढ़ने पर शुल्क लगाती है यह लोकतंत्र है जहां आप किसी धर्म विशेष के लोगों को तरह-तरह के नियम लगाकर प्रताड़ित नहीं कर सकते, हम (संत समाज )शासन के हिंदू धर्म के धार्मिक स्थलों के अधिग्रहण की गलत नीति के खिलाफ आवाज उठाएंगे, संत अवधेश पुरी महाराज ने शासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि शासन बताएं की आपने किस गिरजाघर किस गुरुद्वारा किस मस्जिद का अधिग्रहण किया किस पर प्रार्थना करने एवं दर्शन करने के लिए टैक्स लगाया जब अन्य धर्म संप्रदाय के धार्मिक स्थल प्रतिबंध से मुक्त हैं तब हिंदू संप्रदाय पर ही सारे प्रतिबंध क्यों लागू के जाते हैं,शासन प्रशासन की नीतियों में हिन्दू धर्म की मर्यादा ओर शास्त्रों के खिलाफ हो रहा है ,ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि आपने (शासन)हिन्दू धर्म के धार्मिक स्थलों का अधिग्रहण कर लिया है,ये सरकारीकरण के दुष्परिणाम हैं।
शासन द्वारा हिंदुओं के धार्मिक स्थलों के अधिग्रहण करके मनमाने नियम और शर्तें हिंदू श्रद्धालुओं पर थोपना इन सारे सरकारी करण के दुष्परिणामों को दूर करने के लिए अब हमको जड़ पर वार करना पड़ेगा एवं हिंदुओं को जागना होगा और मठ मंदिरों के सरकारी करण के खिलाफ आवाज उठाना होगा अन्यथा 1 दिन ऐसा आएगा की अभी तो आप 100 और ₹500 देकर मंदिरों में दर्शन कर पाते हैं लेकिन आगे आप यह भी नहीं कर पाओगे।
शासन मंदिरों का अधिग्रहण कर करोड़ों रुपये शासन के कोष में जमा करते हो जिसका कोई हिसाब नहीं है, यह सरासर अनुचित है,हम(संत सम्प्रदाय)इसका विरोध करते हैं।

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प्रशासन हो जाये गंभीर अन्यथा 23 से टेंट हड़ताल… https://nationallive.in/archives/2110 https://nationallive.in/archives/2110#respond Wed, 19 Aug 2020 17:56:13 +0000 http://nationallive.in/?p=2110   उज्जैन टेंट समन्वय समिति ने सिटी प्रेस क्लब पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि कोरोना काल के चलते अब टेंट हाउस व्यवसाय एवं इससे जुड़े व्यवसाय कैटर्स, हलवाई, बैंड, लाइट, डेकोरेशन, फुल व्यवसाय आदि भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं, चर्चा में उज्जैन टेंट समन्वय समिति के सदस्य आशीष मल्होत्रा ने […]

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उज्जैन टेंट समन्वय समिति ने सिटी प्रेस क्लब पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि कोरोना काल के चलते अब टेंट हाउस व्यवसाय एवं इससे जुड़े व्यवसाय कैटर्स, हलवाई, बैंड, लाइट, डेकोरेशन, फुल व्यवसाय आदि भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं, चर्चा में उज्जैन टेंट समन्वय समिति के सदस्य आशीष मल्होत्रा ने बताया कि दिसंबर 2020 के बाद अप्रैल 2021 तक कोई शादी का मुहूर्त नहीं है ऐसे में नवंबर एवं दिसंबर 2 माह ही शादी हो पाएगी, उज्जैन टेंट समन्वय समिति का कहना है कि प्रशासन से हमारी मांग है कि शादी ब्याह के लिए 500 लोगों की अनुमति दी जाए, मौजूदा समय में कोरोना संक्रमण के कारण 50 लोगों की शादी के लिए परमिशन दी जा रही है 15 000 स्क्वायर फीट एरिया के लिए सिर्फ 500 लोगों की अनुमति की मांग की जा रही है एवं कोरोना संक्रमण रोकने के लिए यथासंभव एहतियातन कदम कर्मचारियों के लिये हेयर कैप ,सैनिटाइजर, हैंड ग्लव्स, मास्क आदि की व्यवस्था भी टेंट हाउस की तरफ से की जाएगी , उज्जैन टेंट समन्वय समिति की ओर से कहा गया कि हमारे साथ उज्जैन के 200 टेंट व्यवसाई जुड़े हुए हैं एवं प्रशासन द्वारा 500 लोगों की शादी के लिए अनुमति नहीं दी जाने की दशा में 23 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल एवं अपने व्यवसाय बंद करने की घोषणा की है इसके साथ ही किसी भी राजनीतिक धार्मिक आदि कार्यक्रमों में टेंट ना लगाए जाने की भी घोषणा की है इस दौरान सिर्फ किसी परिवार में मृत्यु होने पर होने पर टेंट उपलब्ध कराया जाएगा।
उज्जैन टेंट समन्वय समिति ने आरोप लगाया कि प्रशासन एवं राजनीतिक संगठनों द्वारा महाकाल की शाही सवारी में शक्ति प्रदर्शन किया गया एवं सैकड़ों की संख्या में कोरोना संक्रमित लोगों के साथ एकत्रित हुए एवं राजनीतिक दलों द्वारा सैकड़ों की संख्या में लोगों को इकट्ठाकर राजनीतिक कार्यक्रम किए जा रहे हैं ऐसे में शादी ब्याह में 500 लोगों की अनुमति देने में शासन प्रशासन क्यों ऐतराज़ कर रहा है अगर अगले कुछ दिनों में अनुमति नहीं दी गई तो टेंट हाउस से जुड़े हजारों परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएंगे एवं इसके चलते आत्महत्या जैसे कदम भी उठा रहे हैं प्रशासन को चाहिए कि शादी विवाह के लिए 500 लोगों की अनुमति देने का निवेदन किया जा रहा है अन्यथा हम हड़ताल के लिए बाध्य होंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उज्जैन टेंट समन्वय समिति की ओर से लक्ष्मी कांत सोनी रामबाबू गोयल प्रकाश शर्मा अंकित गोयल आशीष मल्होत्रा ओम प्रकाश गहलोत राजेंद्र राठौड़ सुमन माली महेश जयसवाल ने शिरकत की।

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