The post बहोत बड़ी साजिश की आशंका… appeared first on Nationalive....
]]>तब्लीगी जमात की करतूतों के कारण कोरोना वायरस का कहर लंबा खिंच सकता है, महाराष्ट्र के पुणे जिले की शिरूर से तबलीगी जमात के 11 सदस्य एक मस्जिद से कथित रूप से भाग निकले हैं,महाराष्ट्र के पुणे जिले की शिरूर तहसील में पृथकता की मुहर लगे तबलीगी जमात के 11 सदस्य एक मस्जिद से भाग निकले हैं।
महाराष्ट्र पुलिस के अनुसार वह 22 फरवरी से पुणे जिले में थे, पुणे (ग्रामीण) के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘वे मूलरूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा के रहने वाले हैं, उन 11 में से किसी ने भी निजामुद्दीन में हुए कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन उन्हें एक अप्रैल को ऐहतियातन संंक्रमण के लक्षण के चलते मुहर लगाई गई थी।
पिछले कई दिनों से यह देखा जा रहा है कि तब्लीगी जमात सहित कई मुस्लिम समुदाय के लोग कोरोना संक्रमण पाए जाने के बाद वे स्वास्थ्य विभाग का न सिर्फ सहयोग नहीं कर रहे हैं बल्कि वे उनके साथ बदसलूकी ,मारपीट भी कर रहे हैं,तब्लीगी जमात के लोगों द्वारा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों पर थूका जा रहा हैं, ओर महिला कर्मचारियों के साथ बदसलूकी की जा रही हैं, दूसरी ओर तब्लीगी जमात का मौलाना मोहम्मद साद 28 मार्च के बाद से ही फ़रार है ,मौलाना की तलाश जारी है इसी बीच, उसके आलीशान फार्म हाउस के बारे में व महंगी गाड़ियां होने का पता चला है। उसका फार्म हाउस स्वीमिंग पूल समेत सभी तरह की सुख सुविधाओं से लैस है,सब हालतों के मद्देनजर अंदेशा यह भी जताया जा रहा है एवं जांच एजेंसी यह पता लगाने में जुटी है की मौलाना के तार पड़ोसी मुल्क के किसी आतंकी संगठन के साथ तो नहीं जुड़े हुए हैं।
मध्य प्रदेश के इंदौर में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों पर जानलेवा हमला किया गया,वाट्सऐप पर अफवाह फैलाई जा रही है कि स्वास्थ्य विभाग के लोग ज़हर का इंजेक्शन लगा रहे हैं,अतः इनसे इलाज नहीं कराए,पुलिस अफवाह फैलाने वालों का भी पता लगा रही है।
बहरहाल पूरे देश में लगभग 3000 कोरोना संक्रमण से ग्रसित पाए गए हैं एवं करीब 250 लोग स्वस्थ हुए हैं वहीं 75 लोगों की मौत हो चुकी है ,अभी भी हजारों लोगों में संक्रमण की आशंका जताई जा रही हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि भारत मे मुस्लिम समुदाय की हटधर्मिता ,आइसोलेशन सेंटर से भागना ,स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों पर थूकना एवं उन पर जानलेवा हमला करना इस बात को बल देता है कि कहीं इसके पीछे कोई गहरी साजिश तो काम नहीं कर रही है ,क्योंकि पूरे विश्व में कोरोना ने कई देशों को तबाह कर दिया वही भारत कि सरकार ने सूझबूझ दिखाते हुए इसे काफी हद तक काबू में कर रखा है वहीं भारत की अर्थव्यवस्था भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा मजबूत स्थिति में है, इसे देखते हुए भारत विरोधी देशोंं में बसे आतंकी संगठनों के साजिश करने से इनकार नहीं किया जा सकता, इसके लिए भारत केे लोगों एवं भारत सरकार को सतर्क रहने की आवश्यकता है वहीं भारत में रह रहे मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरुओं को भी अपने समुदाय को समझाने एवं कोरोना से लड़ने के लिए सरकार का साथ देने की हिदायत देनी चाहिए।
The post बहोत बड़ी साजिश की आशंका… appeared first on Nationalive....
]]>The post दोहरे चरित्र में मध्य प्रदेश appeared first on Nationalive....
]]>The post दोहरे चरित्र में मध्य प्रदेश appeared first on Nationalive....
]]>The post आस्था पर आघात appeared first on Nationalive....
]]>इसके बाद आता है नवरात्रि का त्योहार उस समय भी कुछ इस प्रकार का दृश्य ही देखने को मिलता है ,होली खेलने पर भी जल प्रदूषण होने का हवाला दिया जाता है ऐसा प्रतीत होता है कि हिंदू संस्कृति को जमींदोज करने की कोशिश हो रही है ।
ऐसे में जल प्रदूषण की दुहाई देने वालों से जनता का सवाल है कि हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी उज्जैन की मोक्ष दायिनी शिप्रा में आज भी न सिर्फ खान (कान्ह) नदी का प्रदूषित पानी ,बल्कि कई गंदे नाले शिप्रा में मिलकर शिप्रा को प्रदूषित कर रहे हैं हालात यह है कि शिप्रा का जल आचमन योग्य भी नहीं है, भरे सिंहस्थ में शिप्रा नदी में गंदे नाले ने उफनकर शासन प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाया था, वहीं हर वर्ष ऐसा प्रतीत होता है मानो शिप्रा नदी एवं तालाबों में जलकुंभी की खेती होती है जोकि बाढ़ में बहकर लाखों का लाभ दे जाती है ,जल प्रदूषण पर शासन-प्रशासन की पोल उस समय खुल गई जब दो बार स्वच्छता में नंबर वन रहे इंदौर को थोड़ी सी बारिश मैं गंदे नाले उफनने के चलते सबसे गंदा शहर बना दिया ,और यह किस्सा सिर्फ मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है बल्कि भारत में कई नदियां प्रदूषण की हद को पार कर चुकी है, जिसमें प्रमुख गंगा नदी ,जिसकी सफाई में हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी गंगा आज भी मैली है, तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या हिंदू त्योहारों से ही जल प्रदूषण होता है ?और नहीं, तो आखिर क्यों हिंदू धर्म और आस्था पर आघात किया जाता है अगर मिट्टी के गणेश विसर्जन से जल प्रदूषण होता है तो गंदे नाले एवं उद्योगों के प्रदुषित जल के नदियों में मिलने पर शासन-प्रशासन आंखें क्यों मूंद लेते हैं ।
गणपति विसर्जन की इन तस्वीरों को देख कर हर शख्स दुख और आक्रोश से भर जाता है और वह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि हिंदू देवी देवताओं की स्तुति क्या हम उनका अपमान करने के लिए करते हैं, यह चिंतनीय विषय है, ऐसे में शासन-प्रशासन को अपनी कार्यप्रणाली दुरुस्त करने की आवश्यकता है ताकि किसी के धर्म और आस्था पर आघात ना हो एवम् जरूरत इस बात की भी है पूरे साल नदियों को प्रदूषित करने वाले स्रोतों की रोकथाम करने के उपाय खोजकर उनका निदान किया जाय।
The post आस्था पर आघात appeared first on Nationalive....
]]>The post अजनबी सहारे appeared first on Nationalive....
]]>आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में कभी-कभी ऐसा लगता है कि मानवता जैसे दुनिया में है ही नहीं, लेकिन जब इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल में सहायता और सुफलाम ग्रुप के लोगों को मरीजों की सेवा में लीन होते हुए देख कर लगता है कि मानवता कहीं तो आज जिंदा है इस ग्रुप के लोग तन मन और धन से मरीजों की सेवा करते हैं
60 साल की उम्र में अमूमन यह देखा गया है कि लोग सोच लेते हैं कि आप जीवन में शांति मिली लेकिन सहायता और सुफलाम ग्रुप के लोगों में सेवा भाव इतना कूट कूट कर भरा हुआ है कि जीवन के इस मोड़ पर बिना उम्र की परवाह किये ये लोगों की सेवा में सतत अग्रसर है ऐसा नहीं है कि कि कुछ सक्षम लोग उनकी सेवा में सहयोग नहीं देते हैं लेकिन उसकी संख्या बहुत कम है और मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जाती है ऐसे में यह लोग कुछ ऐसे दानी लोगों की तरफ आस लगाते हैं जो इनकी सेवा में धन से सहायता करें ताकि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा सहायता प्रदान की जा सके यह लोग मरीजों की दवाई ,उनकी जांच, ऑपरेशन में हुआ खर्चे ,यहां तक कि किसी को खून की आवश्यकता होती है तो उसका भी इंतजाम करते हैं ,कुछ मरीजों को तो इन्होंने गोद ले लिया हे जिनका जीवन भर के लिए आया हुआ पूरा खर्च ये वहन करते हैं और उन मरीजो के अंतिम समय तक का सहारा यही लोग हैं इस ग्रुप में कुछ रिटायर्ड बैंक के अधिकारी , इंजीनियर, आरबीआई से रिटायर्ड, कुछ बिजनेसमैन जो अपना सब कुछ छोड़ कर लगातार कई वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं इनको देख कर ऐसा लगता है कि मानवता इस संसार में कहीं तो मौजूद है हमें इन लोगों से जुड़ना चाहिए ,इनकी सहायता करनी चाहिए
पैसा तो सब कमाते हे ,लेकिन थोड़ा पुण्य कमा के तो देखिये,ये आपके जीवन के अंतिम पड़ाव को संतुष्टि से सराबोर कर देगा !
The post अजनबी सहारे appeared first on Nationalive....
]]>The post डीएफओ ऑफिस के पीछे चंबल का 10 डंपर रेत किया जब्त . appeared first on Nationalive....
]]>मुरैना। डीएफओ कार्यालय के पीछे एक बार फिर से शहर का सबसे बड़ा रेत का डंपिंग ग्राउंड मिला है। रविवार को पुलिस, वन विभाग, एसएएफ व प्रशासन के द्वारा संयुक्त रूप से इस इलाके में रेत जब्त करने और रेत को नष्ट कराने की कार्रवाई की गई। बताया जा रहा है कि पुलिस के अधिकारियों ने यहां डंपिंग देखी और अगले दिन यहां कार्रवाई की योजना बनाई। बताया जा रहा है कि प्रशासन ने भी टास्क फोर्स को हर रोज इस तरह की कार्रवाई के लिए निर्देशत किया है।
दिया तले अंधेरा वाली कहावत वन विभाग के साथ सटीक बैठ रही है। डीएफओ कार्यालय और निवास के पीछे खाली मैदानों को ही माफिया ने रेत की डंपिंग का अड्डा बना रखा है। यहां पर रेत के करीब 50 से 60 ढेर जमा हैं। इनमें से करीब 30 ढेरों को रविवार के दिन पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों ने प्रशासन के सहयोग से जब्त किया। आधे रेत को डंपरों के जरिए एक गुप्त जगह पर डंप कर रखवाया गया है।
जबकि इतनी ही मात्रा में रेत मैदानों में बिखेर कर नष्ट करा दिया गया है। इस काम के लिए नगर निगम के संसाधनों की सहायता मिलने के कारण वन अमले ने सुबह 5 बजे से साढ़े दस बजे तक लगातार कार्रवाई की। इस कार्रवाई में वन विभाग के गेम रेंज ऑफीसर डॉ. ऋषिकेश शर्मा, टीआई सिविल लाइन योगेंद्र सिंह जादौन उपस्थित रहे। इसके अलावा प्रशासनिक अधिकारी भी संसाधनों की आवश्यकता और अभियान की मॉनीटरिंग करते रहे।
शिवनगर में भी की कार्रवाई
डीएफओ कार्यालय के पीछे कार्रवाई करने के बाद टीम ने बायपास स्थित शिवनगर कॉलोनी में भी कार्रवाई की। यहां पर भी करीब चार डंपर रेत नष्ट कराया गया। इस इलाके में भी माफिया अब धीरे-धीरे अपने डंपिंग ग्राउंड बनाता जा रहा है। इसलिए अब वन विभाग की चुनौती भी बढ़ गई है। वन विभाग और पुलिस मिलकर यथा संभव कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल इसका माफिया पर कोई असर नहीं दिखा गया है।
यह है रणनीति
प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वन विभाग ने जो नई रणनीति बनाई है उसके तहत रेत माफिया का पीछा कर वाहन पकड़ने से अच्छा जिले में रेत की उन डंपिंग साइड को खत्म करना है जहां चोरी छिपे माफिया रेत की डंपिंग करता है। इन ढेरों को नष्ट करने के लिए प्रशासन और वन विभाग हर रोज इस तरह के अभियान चलाएगा। ताकि माफिया रेत डंप ही न कर सके।
The post डीएफओ ऑफिस के पीछे चंबल का 10 डंपर रेत किया जब्त . appeared first on Nationalive....
]]>The post रास-उल्लास : ‘परिवार सहित एक सी ड्रेस में खेलते हैं गरबा’ . appeared first on Nationalive....
]]>इंदौर, लाइव रिपोर्टर। गरबा रास में अलग दिखने के लिए शहर का अग्रवाल परिवार गरबा के लिए एक सी ड्रेस का चयन करते हैं, ताकि उनका परिवार सबसे अलग नजर आए। नईदुनिया, प्रभात किरण और कला अभिव्यक्ति के इस संयुक्त आयोजन में ऐसे कई परिवार हैं, जो 10 साल से भी ज्यादा समय से आ रहे हैं और रास उल्लास का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। इनका कहना है कि युवाओं के उत्साह के साथ पारिवारिक माहौल के कारण रास-उल्लास का गरबा उन्हें बहुत पसंद है, इसलिए वह हर साल यहां पर ही आकर प्रशिक्षण लेते हैं और पूरे नौ डिन डांडिया रास करते हैं।
कई ड्रेसेस कीं ऑर्डर
आतेश अग्रवाल अपनी पत्नी अर्पिता के साथ पिछले 10 साल से रास-उल्लास में आ रहे हैं, उनके लिए गरबा मतलब रास उल्लास ही है। अब तो उनके साथ उनका बेटा अर्णव भी रास-उल्लास का सदस्य है। आतेश ने बताया कि इस साल गरबा के लिए उन्होंने स्पेशल ऑर्डर देकर नौ दिन के लिए अलग-अलग ड्रेस बनवाई है। सारी ड्रेसेस पारंपरिक हैं और कुछ तो रास-उल्लास की थीम पर भी हैं। उन्होंने तीनों लोगों के लिए एक से ड्रेस मटेरियल का चयन किया है, ताकि गरबा में उनका परिवार एक ही रंग-रूप में नजर आए।
रास-उल्लास का पारिवारिक माहौल है पसंद
अपेक्षा अपनी शादी के पहले से रास-उल्लास में आ रही हैं। उन्हें यहां आते हुए 15 साल हो गए हैं। उनकी 11 साल की बेटी मन्न्त भी पिछले आठ साल से रास-उल्लास के गरबा में हिस्सा लेती है। अपेक्षा और मन्न्त ने बताया कि यहां का पारिवारिक माहौल उन्हें अच्छा लगता है। यहां आकर लगता ही नहीं कि वे घर से बाहर हैं। यहां आते हुए उनकी कई लोगों से मुलाकात हुई और अब वह उनके अच्छे दोस्त हैं। सबका सहयोग उन्हें हर साल यहां खींच लाता है।
हर साल सीखने को मिलता है कुछ नया
पूजा कोचर यहां पिछले दो साल से आ रही हैं। इस साल उनका भतीजा अषप कोचर भी उनके साथ गरबा सीख रहा है। पूजा ने बताया कि इस साल जो स्टेप्स सिखाए जा रहे हैं, वे पिछले साल से बिल्कुल अलग हैं। यहां आकर उन्हें गरबे का नया स्टाइल और ट्रैंड का पता चला। गरबे के स्टेप्स में फिल्मी और पारंपरिक तालों का मिक्स उन्हें बेहद पसंद आ रहा है। वहीं उनके भतीजे को यहां आकर खूब मजा आ रहा है। उसकी अपनी उम्र के कई बच्चों से अच्छी दोस्ती हो गई है।
रास उल्लास के ऑन स्पॉट रजिस्ट्रेशन के लिए आप 09752493696 संपर्क कर सकते हैं। रास उल्लास के सहयोगी अपोलो हॉस्पिटल, डीएचएल इंफ्राबुल, बैंक ऑफ बड़ौदा, शॉप इट डेली डॉट कॉम, देशी जायका हैं।
The post रास-उल्लास : ‘परिवार सहित एक सी ड्रेस में खेलते हैं गरबा’ . appeared first on Nationalive....
]]>The post पानी में मगरमच्छ हैं, लेकिन ऐसे ही जाना होता है स्कूल appeared first on Nationalive....
]]>The post पानी में मगरमच्छ हैं, लेकिन ऐसे ही जाना होता है स्कूल appeared first on Nationalive....
]]>