ऐसा कहा जाता है कि अति हर चीज की बुरी होती है, 2014 में मोदी सरकार के आते ही उसका सामना महंगाई से हुआ और उस दौर में महंगाई में प्रमुख भूमिका दालें ,सब्जियां थीं,जिस पर कुछ समय बाद मोदी सरकार लगाम लगाने में सफल रही ,लेकिन जब महंगाई की बात हो रही है तो हम वर्तमान मैं जिसके दामों में आग लगी है उसके बारे मे बात करेंगे और वह सर्वविदित है,” पेट्रोल” जिसके दाम 90 रुपया प्रति लीटर के पार जा पहुंचे हैं लेकिन यह सब हुआ कैसे इसके लिए थोड़ा पीछे जाकर हम पड़ताल करते हैं।
अप्रैल 2003 पेट्रोल में दाम 37. 25 पैसे प्रति लीटर था ,और सरकार थी अटल बिहारी वाजपेई की ,इसके बाद मनमोहन सिंह की सरकार आई और 2004 से 2014 तक रही 5 -2004 पेट्रोल के दाम 37 .25 पैसे थे और 2014 में पेट्रोल के दाम ₹80. 11 हो गए ,इसके बाद मई 2014 मैं आई मोदी सरकार और वर्तमान में पेट्रोल का दाम 88.67प्रति लीटर है( उपरोक्त सभी दाम मुंबई पर आधारित), भारत में कुछ जगह 90 रुपए प्रति लीटर के पार राज्य कर के चलते पहुंच चुके हैं ,मोदी सरकार के 4 साल के दौरान पेट्रोल में करीब ₹10 प्रति लीटर की बढ़ोतरी देखी गई, वही मनमोहन सिंह कि सरकार के 10 साल के कार्यकाल में पेट्रोल के दामों में दुगने से भी ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई जहां 2004 में पेट्रोल के दाम ₹37.25 पैसे थे ,वह 2014 में ₹80 11 पैसे हो गए, यानी करीब ₹42. 86 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी देखी गई अगर हम 5 साल का रेश्यो निकालते हैं तो करीब ₹21 प्रति लीटर की बढ़ोतरी 5 साल में देखिए अगर मोदी सरकार और मनमोहन सिंह की सरकार कि पेट्रोल के दामों से तुलना की जाए तो मोदी सरकार से लगभग दुगनी बढ़ोतरी मनमोहन सिंह सरकार में देखी गई ,आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो मोदी सरकार का पलड़ा भारी नजर आता है।
बेशक ₹90 प्रति लीटर पेट्रोल के दाम बहुत ज्यादा है लेकिन अगर मनमोहन सिंह सरकार मैं हुए दामों में वृद्धि के रेश्यो को देखें तो अब तक पेट्रोल के दाम सो रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच जाते हैं, हर सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वह जनता को कम से कम दामों में आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराएं।
जानकारों का कहना है कि अगर मोदी सरकार पेट्रोल के दामों को जीएसटी के अंतर्गत लाती है तो पेट्रोल के दामों में करीब ₹20 लीटर की कमी आ सकती है।
अगर हम यूएस डॉलर की बात करें तो 2004 में एक डॉलर की कीमत ₹45 थी जोकि 2014 में बढ़कर ₹63 हो गई और वर्तमान में 73.90 पहुंच गई है ,इसमें 2004 से 2014 तक करीब ₹18 प्रति डॉलर की बढ़ोतरी देखी गई एवं 2014 से 2018 तक लगभग ₹10 प्रति डॉलर की बढ़ोतरी देखी गई, मनमोहन सिंह कि सरकार के वक्त रुपए की गिरावट को देखते हुए नरेंद्र मोदी बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए कहा था कि रुपए की गिरावट से देश की साख भी गिरती है, इन दिनों रुपए में गिरावट, मोदी सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
बाहर हाल 2019 कि बिछात बिछ चुकी है और पासे मोदी सरकार के हाथ में है,अब कैसे और कब फेंकती है एवं जनता कितने अंक देती है यह देखने वाली बात होगी।
