मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने मोदी सरकार द्वारा लाया गया अध्यादेश दिनोंदिन गले की हड्डी बनता जा रहा है ,हालात यह है,कि सीएम हर संभव सवर्णों को मनाने का तरीका ढूंढ रहे हैं, सीएम ने ट्वीट करके संदेश दिया,कि मध्य प्रदेश में सवर्णों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा ,पहले जांच होगी उसके बाद दोषी होने पर गिरफ्तारी होगी,लेकिन हाल ही में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत द्वारा यह कहा गया एट्रोसिटी एक्ट में पहले एफ आई आर होगी ,बाद में जांच की जाएगी ,साथ ही उनका यह भी कहना है कि किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा, एक्ट को समझने की आवश्यकता है,ऐसे में जानकारों का कहना है कि सीएम अध्यादेश पर पर्दा डालकर स्वर्णा का आक्रोश कम करने के लिए ऐसा दिलासा दे रही है , जबकि वास्तविकता यह है कि शिवराज दोनों हाथों में लड्डू रखने की कोशिश कर रहे हैं ।
एक तरफ जहां शिवराज सरकार द्वारा सवर्णो को मनाने की कोशिश की जा रही है ,वहीं दूसरी ओर उज्जैन के दक्षिण क्षेत्र से विधायक डॉक्टर मोहन यादव द्वारा स्वर्णों के आंदोलन को लेकर एक विवादित बयान के चलते स्वर्णिम समाज में गहरा आक्रोश छा गया है ,हालांकि इस बयान का विधायक द्वारा खंडन किया जा रहा है , वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष द्वारा इसे निजी बता कर पल्ला झाड़ लिया गया ।
तमाम परिस्थितियां भाजपा के लिए 2018 की डगर दिनोंदिन टेढ़ी बनाती जा रही है ,और कांग्रेस की डगर पहले से ही टेढ़ी है, क्योंकि जनता का मानना है की एट्रोसिटी एक्ट का बनना एवं अध्यादेश लाने तक कांग्रेस भी बराबर की जिम्मेदार है, अब देखना यह है कि 2018 के चुनाव के चलते बीजेपी, कांग्रेस एवं स्वर्ण समाज की आगे की रणनीति क्या होगी।
