बच्चे को एक बार चॉकलेट देने के बाद उससे एकदम छीना नहीं जा सकता ,अन्यथा वह रोएगा व नाराज हो जाएगा, उसे समझाने की आवश्यकता है ,लोकसभा में एक भी मत एसटी-एससी एक्ट के विरोध में नहीं मिला ।(लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन के अनुसार)।
इस मुद्दे पर स्वर्णिम वर्ग का कहना है कि “चॉकलेट” किसी भी सरकार ने दी हो, चाहे वह SC ST एक्ट रूपी हो या आरक्षण रूपी ,लेकिन चॉकलेट छीनने की कोशिश किसी भी सरकार ने नहीं की, अगर SC ST एक्ट की बात कहें तो माननीय न्यायालय ने इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए यह कहा की “पहले चॉकलेट देख ले कि खाने लायक है कि नहीं, सही है तो तो खिलाए”,( “” पंक्ति उदाहरण के लिए है वास्तविक नही), संसद में SC ST एक्ट के विरोध में एक भी मत नहीं मिलना, हर राजनैतिक पार्टी की मंशा को प्रदर्शित करता है।
स्वर्णिम वर्ग के मुख्यतः दो मुद्दे हैं पहला आरक्षण और दूसरा एससी एसटी एक्ट हम दोनों मुद्दों पर प्रकाश डालते हैं
अगर हम SC ST एक्ट की बात करें तो एक पक्षीय फैसले के न्याय संगत होने की संभावना कम होती है, इसलिए दोनों पक्षों की सुनना न्याय संगत फैसले के लिए अति आवश्यक होगा।
अगर बात करें आरक्षण की तो बाबा साहब भीमराव अंबेडकर कि मंशा दलितों और पिछड़ों की सहायता कर उन्हें काबिल बनाने की थी ,लेकिन राजनैतिक पार्टियों ने अपनी वोट बैंक की राजनीति के चलते इस आरक्षण रूपी चॉकलेट को गलत तरीके से बांटते हुए 50 %तक कर दिया ,यहां पर भी माननीय न्यायालय ने राजनैतिक पार्टियों के हाथ 50 % पर बांध दिए अन्यथा राजनैतिक पार्टियों की मंशा का अंदाजा लगाना मुश्किल था, यहां पर स्वर्णिम वर्ग का कहना है कि आरक्षण रूपी चॉकलेट उसे मिलना चाहिए जिसको इसकी वास्तव में आवश्यकता है ,गरीब चाहे जिस वर्ग का हो उसकी मदद करना सरकार का फर्ज है, हर वर्ग के गरीब को सरकार सहायता के रूप में (अनाज ,कपड़े ,पैसा ,घर ,मुफ्त शिक्षा आदि)दें, लेकिन 0 नंबर पर आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर ,इंजीनियर बनाना न्याय संगत नहीं लगता, आरक्षण सही मायने में समाज के हर गरीब तबके को सहायता कर काबिल बनाने का है ,लेकिन राजनैतिक पार्टियों ने अपने स्वार्थ के लिए इसमें सामाजिक लकीर खींच कर, इसे कुरूप कर दिया।
अंत में बात चॉकलेट छीनने पर रोने की एवं नाराज होने की, तो कहावत है कि “रोने पर राज नहीं दिया जाता”, मोदी सरकार ने नोटबंदी की ,जीएसटी लागू किया ,तब भी जनता को परेशानी हुई ,नाराज भी हुई लेकिन सरकार ने अपने कदम पीछे नहीं किए ,लेकिन न्यायालय द्वारा एसटी-एससी एक्ट के संशोधन के जनता में विरोध के चलते सरकार ने अध्यादेश लाने में देर नहीं की ,एवम अब आर्थिक आधार पर आरक्षण देने में देर क्यों,क्यो कोई भी राजनैतिक पार्टी इसके लिए आगे नही आती,ऐसा ना करना हर राजनैतिक पार्टी की विचारधारा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
बुद्धिजीवियों का कहना है कि इस परिस्थिति में सरकार द्वारा स्वर्णिम वर्ग के लिए एक “आयोग” का गठन करता है तो वह एक स्वागत योग्य कदम होगा, यह ” स्वर्णिम आयोग ” उनकी सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थिति को समझने एवं सरकार को समझाने का मंच होगा, मोदी सरकार स्वर्णिम वर्ग के हितों की रक्षा के लिए स्वर्णिम आयोग का गठन करता है, तो यह एक ऐतिहासिक कदम होगा ,जो स्वर्णिम वर्ग की वास्तविक परिस्थिति का आईना सरकार को दिखाएगा।
अब देखना है कि सरकार ने “अध्यादेश” लाने में जिस प्रकार तेजी दिखाई, क्या उसी प्रकार स्वर्णिम “आयोग” गठन करने में दिखाएगी।
