भड़ास सामान्य वर्ग डॉट कॉम

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मोदी सरकार हो या मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार , 2018 -19 के चुनावी पिटारे में हर वर्ग के लिए कुछ ना कुछ है ,विशेष तौर पर देखा जाए तो पिछड़ों और दलित वर्ग के लिए तो मानो कर्ज में डूबी मध्य प्रदेश सरकार ने इन दिनों खजाना खोल दिया है, वहीं सामान्य वर्ग के लिए मानो सभी पार्टियों ने अपने दरवाजे बंद कर रखे हैं।

इन दिनों सामान्य वर्ग में न सिर्फ सरकार बल्कि विपक्ष के लिए भी अति रोष व्याप्त है, उन्हें लगता है कि सरकार उनकी उपेक्षा कर रही हैं,जिसके चलते इन दिनो सोशल मिडिया पर मैसेज वायरल हो रहे जिनमे  कहा गया है कि “सामान्य वर्ग का निवेदन, आग्रह, प्रार्थना है की यह घर सामान्य वर्ग का है अतः राजनीतिक पार्टियां वोट मांग कर शर्मिंदा ना करें”, दूसरे मैसेज में कहा गया है कि ” काबिल नहीं ,दलित बनो ,कामयाबी # मार कर आपके पीछे आएगी”, इस प्रकार सामान्य वर्ग सोशल मीडिया पर अपना रोश व्यक्त करता देखा जा रहा है ,उनकी नाराजगी, कांग्रेस एवं भाजपा दोनों से है, उनका कहना है कि उनके वोटों ने कांग्रेस और भाजपा दोनों की  सरकारे बनाई, लेकिन कांग्रेस ने जातिगत आरक्षण की शुरुआत करके उनके साथ धोखा किया एवं भाजपा ने इसको खत्म करने के  बजाय उसको जारी रख और विभिन्न प्रकार से उसको बढ़ाने का प्रयास कर रही है, गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के प्रमोशन में आरक्षण को अमान्य करने के फैसले के विरोध में मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने खर्च पर अपील कर लड़ रही है, ऐसे मैं सामान्य वर्ग की ओर से यह मांग भी की जा रही है की आरक्षण जातिगत आधार पर ना होकर आर्थिक आधार पर दिया जाना चाहिए ,लेकिन राजनीतिक पार्टियों द्वारा दिनोंदिन जातिगत राजनीति कर जनता के बीच लक़ीर खींचती जा रही है ,और दिनोंदिन यह लक़ीर गहरी होती जा रही है, जिसके चलते सामान्य वर्ग इसे अपनी उपेक्षा मान रहा है।

सामान्य वर्ग की माने तो मोदी सरकार का नारा सबका साथ सबका विकास इसमे सामान्य वर्ग  कहीं नज़र नही आ रहा है, मध्यप्रदेश ही नही पूरे देश मे सामान्य वर्ग एक बड़े तबक़े में मौजूद है ऐसे में राजनैतिक दलों द्वारा इनकी उपेक्षा कितनी भारी पड़ेगी कहना जल्दबाज़ी होगी ।

बाहर हाल राजनेतिक पार्टियां, जातिगत राजनीति कर आगामी चुनाव मैं अपनी चुनावी रोटियां सेंकने का मन बना चुकी है, ऐसे में विकास का मुद्दा कहीं पीछे छूटता नज़र आ रहा है , अब 2018- 19 के चुनावी रण में राजनीतिक पार्टियों पर सामान्य वर्ग का यह रोष कितना,ओर किसपर भारी पड़ेगा यह तो समय ही बताएगा।


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