सोमवार को नेशनल लाइव द्वारा खबर “प्रशासन को किसी बड़े हादसे का इंतजार” के माध्यम से उज्जैन में खुलेआम सड़कों पर घूम रहे मवेशियों से सड़क हादसे होने की आशंका को लेकर चेताया था, जिसे सुस्त प्रशासन ने नजरअंदाज कर दिया और प्रशासन की इसी लापरवाही के चलते मंगलवार को उज्जैन के देवास रोड पर गाय से वाहन की टक्कर होने के बाद दो लोगों की मौत एवं चार गंभीर रूप से घायल हो गए, इस हादसे में गाय की भी मृत्यु हो गई ,ऐसे में उज्जैन की जनता का प्रशासन से सवाल है कि आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है?, क्या वह गाय या गाय मालिक या गोरक्षा के नाम पर बड़ी-बड़ी डींगें हाँकने वाले गौ रक्षक या सब कुछ देख कर भी अनदेखा करने वाला सुस्त प्रशासन।
लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इस हादसे के बाद भी सुस्त प्रशासन की नींद नहीं खुली बुधवार को भी मवेशी उज्जैन की सड़कों पर खुलेआम चहल कदमी करते रोजमर्रा की तरह देखे गए ,यह प्रशासन की कार्यशैली और मंशा पर प्रश्न चिन्ह लगाता है ,आखिर और कितनी जान जाने के बाद प्रशासन हरकत में आएगा और सवाल यह भी उठता है कि आगे से इस तरह के दर्दनाक हादसों का जिम्मेदार कौन होगा इस प्रकार की कार्य शैली से लगता है कि उज्जैन अगले 20 सालों में भी स्मार्ट सिटी नहीं बन पाएगा।
लेकिन इन हादसों के लिए अकेले प्रशासन को जिम्मेदार ठहराना भी उचित नहीं होगा क्योंकि इसके लिए शहर के जनप्रतिनिधि भी बराबरी के हिस्सेदार हैं, प्रशासन की हर मवेशियों को पकड़ने की कार्यवाही के बाद जनप्रतिनिधि कार्रवाई में हस्तक्षेप कर मवेशियों को पूनः छोड़ने के लिए प्रशासन को मजबूर करते आए हैं ,यह जनप्रतिनिधियों की पशु मालिकों पर सरपरस्ती दर्शाती है ,पशुओं को पकड़ने की कार्रवाई हो, पशु मालिकों पर केस दर्ज करने के मामले हो या अतिक्रमण हटाने के ,उज्जैन के जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन की हर कार्रवाई में हस्तक्षेप कर उसे बंद करने पर मजबूर करते आए हैं ,ऐसे में उज्जैन के जनप्रतिनिधि उज्जैन के विकास को लेकर कितने गंभीर हैं इसे उज्जैन की जनता भली-भांति समझ रही है ।
बाहर हाल उज्जैन की सड़कों पर गाय ,सूअर ,कुत्ते खुलेआम घूम रहे हैं और लोगों की मौत का कारण बन रहे हैं ,और उज्जैन की जनता ऐसे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से उज्जैन को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना संजोय बैठी है।
