शनिवार वह ऐतिहासिक दिन था जब अरबों के बोझ तले दबी मध्य प्रदेश सरकार करोड़ों स्वाहा करने के बाद अमित शाह ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जन आशीर्वाद यात्रा के हाईटेक रथ को हरी झंडी दिखाई और बदले में CM द्वारा उज्जैन के नौजवानों को आशीर्वाद स्वरुप आध्यात्मिक नगरी का झुनझुना दिया, इसे उज्जैन के नौजवानों के साथ मजाक नहीं तो ओर क्या कहेंगे।
जहां जनता के ही करोड़ों खर्च कर जनता से ही आशीर्वाद की बात हो रही थी वही दूसरी और मक्सी रोड पवांसा के नौजवान हितेश धाकड़ ने नौकरी जाने और नौकरी नहीं मिलने के बाद बेरोजगारी से जूझते हुए फांसी लगाकर आत्महत्या की गई ,ऐसे में मामा शिवराज से उज्जैन की जनता यह सवाल कर रही है कि 15 साल मुख्यमंत्री बनाने के योगदान का उज्जैन को यही उपहार मिलना था ,उज्जैन से ही करोड़ों खर्च कर जन आशीर्वाद यात्रा शुरू होने के बाद भी उज्जैन को एक ढेला तक नहीं मिला ,ऐसे में सवाल यह उठता है कि CM द्वारा उज्जैन को आध्यात्मिक नगरी का झुनझुना देकर वे उज्जैन के नौजवानों को क्या संदेश देना चाहते हैं की उज्जैन के नौजवान शिप्रा मैं डुबकी लगाकर देव दर्शन करें और आध्यात्म का ज्ञान प्राप्त करें और बेरोजगारी से जूझ कर फंदे पर लटक जाए, अपने 15 साल के लंबे शासनकाल के बावजूद भी मामा शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन के नौजवानों को रोजगार देने के लिए एक भी कदम नहीं उठाया ,शायद यही कारण है कि कांग्रेस नेता कमलनाथ द्वारा CM को इस यात्रा को जन माफी यात्रा का नाम देने की सलााह दी गई, इन 15 सालों में उज्जैन को पवित्र नगरी ,धार्मिक नगरी ,हेरिटेज सिटी, स्मार्ट सिटी और अब आध्यात्मिक नगरी जैसे नामों के झुंनझुने मिले लेकिन नौजवानों की बेरोजगारी को दूर करने के लिए अब तक कुछ भी नहीं मिला, इससे पूर्व 10 साल कांग्रेस के शासनकाल में भी उज्जैन की जनता को कुछ इस प्रकार का ही आशीर्वाद मिला था ।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि इन नामों से उज्जैन की जनता का पेट भरेगा?, शायद नहीं ,लेकिन चुनावी दौर शुरू हो चुका है एवम शक्ति प्रदर्शन का भी , अब आगे देखना यह है कि किन किन पार्टियों की और दिग्गज नेताओं की यात्रा निकलेगी और आने वाले समय में इन करोड़ों के चुनाव के तले कितने बेरोजगार और दबेंगे।
