कितने आश्चर्य की बात है कि अमेरिकन कंपनी प्रोक्टर एंड गैंबल जो कि भारत में “विक्स” बनाकर बेच रहा है ,जिसे अमेरिका एवं यूरोपियन देशों ने अपने देश में बनाने एवं बेचने पर सख्त प्रतिबंध लगा रखा है एवं सजा का भी प्रावधान है यह जानकारी मध्य प्रदेश भाजपा नेता अभिमन्यु सिंह द्वारा एक कार्यक्रम में दी ,उन्होंने कहा की खुद डब्ल्यूएचओ ने भी यह माना है कि इससे कैंसर ,अस्थमा ,टीबी जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती है ,लेकिन भारत एक ऐसा देश है जहाँ दुनिया कि प्रतिबंधित दवाइयों को आसानी से बनाने एवं बेचने की अनुमति मिल जाती है वह भी TV विज्ञापन के साथ ,तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय भारत में बिकने वाली दवाइयों को बिना जांचे-परखे बेचने की अनुमति आखिर कैसे दे देता है।
अभी हाल ही में स्वास्थ विभाग द्वारा कुछ दवाइयों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें से एक लाइकोपीन भी है इस पर प्रतिबंध लगाने का प्रमुख कारण गर्भवती महिला से होने वाले बच्चे को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होना पाया गया है, भारत में पिछले कई सालों से विक्स ,लाइकोपीन जैसी दवाइयां जिनसे की कैंसर ,टीबी,अस्थमा जैसी गम्भीर बीमारियां होना पाया गया है, और ऐसा देखा भी गया है कि भारत में इन बीमारियों के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इन बढ़ती हुई बीमारियों का जिम्मेदार कौन है ,क्या यह माना जाए कि भारत में “भ्रष्टाचार “यहां की जनता के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है ।
ऐसे में भारत सरकार को इस विषय पर न सिर्फ संज्ञान लेेनेे की आवश्यकता है बल्कि इस तरह कि दवाइयों की जांच कराकर उन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए ताकि इन दवाइयों से होने वाली गंभीर बीमारियों से बचा जा सके,एवम यह भी जांच का विषय है कि इन दवाइयों से होने वाले दुष्परिणाम को जाने बिना इसे बनाने एवं बेचने की अनुमति किसने दी।
समय सावधान रहने का है क्योंकि विदेशी कंपनियां उनके देश में सख्त कानून होने की वजह से जो चीज नहीं बेच पाती हैं वह अपने फ़ायदे के लिए भारत में भ्रष्टाचार फैलाकर यहां की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं क्योंकि भारत में भ्रष्टाचारियों को सजा देने वाला कानून लचीला है। और सरकारें भी सुस्त है।
