सांसद भी हो रहे ब्लैकमेलिंग का शिकार

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विक्रम और बेताल की कहानी तो आपने सुनी ही होगी, जिस तरह विक्रम की पीठ पर बैठ कर बेताल सवाल करता है और विक्रम के जवाब देने पर उड़ जाता है और जवाब ना देने पर सर के टुकड़े टुकड़े करने की धमकी देता है ,कुछ ऐसा ही हाल उज्जैन के सांसद डॉ चिंतामण मालवीय ने हाल ही में वैकल्पिक चिकित्सा संघ द्वारा हुए कार्यक्रम में बयां किया ,उन्होंने कहा कि मैंने सरकारी अस्पतालों में औचक निरीक्षण करना लगभग बंद सा कर दिया है ,कारण यह की जब भी निरीक्षण के लिए वे सरकारी अस्पतालों में जाते हैं ,डॉक्टरों की अनुपस्थिति ,कर्मचारियों का लापरवाही पूर्वक कार्य किया जाना एवं मरीजों को समय पर उपचार एवं दवाई न मिलने जैसी अव्यवस्थाओं से उनका सामना होता है जिस से रुष्ट होकर उनके द्वारा सरकारी डॉक्टरों को फटकार लगाई जाती है ,तो जवाब में सरकारी डॉक्टर कहते हैं कि आप तो हमको सस्पेंड कर दो, नया स्टाफ ना होने और जिला चिकित्सालय होने की वजह से कार्यरत डॉक्टर को सस्पेंड करने पर अव्यवस्था फैलने के डर से सांसद महोदय सरकारी डॉक्टरों की मनमानी को चुपचाप सहन कर उनके ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रहे हैं।

लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा करोड़ों का बजट स्वास्थ्य विभाग लिए देता है, हजार नहीं बल्कि लाख में सरकारी डॉक्टर एवं सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों को तनख्वाह के रूप में, लाखों रुपयों की मशीनरी ,दवाइयों आदि पर खर्च वहन करती है क्यों , क्योंकि कि जरूरतमंद को समय पर इलाज मिल सके एवं गरीब को फ्री दवाई एवं सुविधाएं मिल सके ,लेकिन वास्तविकता इनसे कोसों दूर है ।

दूसरा उनका कहना है कि प्राइवेट अस्पताल फल फूल रहे हैं बड़ी बीमारी तो दूर सर्दी जुखाम में 10-20 हजार रुपए वसूलना मामूली बात है ,आलम यह है कि सरकारी डॉक्टर कुछ ऐसे हैं जिनका बोर्ड पर नाम है बकायदा तनख्वाह सरकार से मिल रही है लेकिन डॉक्टर साहब के सरकारी अस्पताल में दर्शन दुर्लभ हैं, लेकिन प्राइवेट क्लीनिक एवं प्राइवेट अस्पताल में सरकारी डॉक्टर सदैव तत्पर रहते हैं ,ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि आखिर सरकार में बैठे जिम्मेदार, शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधि जो सब कुछ जानते हुए भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध एवं उनके ब्लैकमेलिंग का शिकार क्यों हो रहा है ,अपनी विवशता को यू जाहिर करना जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाती है, जिसका खामियाजा साल-दर-साल करोड़ों का चुना सरकार को लग रहा है ।

आज जरूरत इस बात की है कि सरकार इस विषय को संज्ञान में लेकर न सिर्फ आवश्यक कार्यवाही करें बल्कि इस समस्या का निदान भी करें अन्यथा सरकारी डॉक्टर यूं ही सरकार और जनप्रतिनिधियों को ब्लैकमेल करते रहेंगे और वह खा सरकार की रहे ,और बजा प्राइवेट की रहे हैं और  प्राइवेट पर भी सरकार का कोई अंकुश नहीं है।


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