70 साल के इतिहास में पहली बार कोई ऐसा अन्न-जल शपथ विधि देखा गया जिसमें एक नेता रूपी राजा ने अपने कार्यकर्ता रुपी सेना को अपने ही खेमे में रहने के लिए अन्न जल की शपथ दिलाई हो ,गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवम मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह द्वारा संगत में पंगत कार्यक्रम में अपने ही कार्यकर्ताओं को अन्न जल की शपथ दिलाई, ऐसे में सवाल यह उठता है शपथ दिलाने की आखिर जरूरत क्यों पड़ी जानकार कहते हैं ,कहीं तीन बार BJP की सरकार बनने का यही कारण तो नहीं ?
और अब शिवराज सिंह चौका लगाने को तैयार खड़े हैं,चौका लगे ना लगे यह तो देखने वाली बात है लेकिन हालात यह हैं कि इस चौके रोकने के लिए अन्न जल की शपथ तक बात पहुंच गई है ,लेकिन ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि अपने ही लोगों को अपने ही खेमे में रखने के लिए अन्न-जल की शपथ तो फिर आम जनता को अपने खेमे में करने के लिए क्या उपाय ?,जानकारों का यह भी कहना है कि पिछले 15 सालों से कांग्रेस सत्ता से बाहर है जिसके चलते कार्यकर्ताओं में निराशा है एवं आगामी 2018 के चुनाव के चलते टिकट को लेकर खींचतान भी , कांग्रेस 2018 के चुनाव के लिए ना कोई ठोस मुद्दा उठा पा रही है और ना चुनाव से पूर्व घोषित मुख्यमंत्री का चेहरा ऐसे में गुटबाजी अपने पैर पसार सकती है,वहीं दूसरी और शिवराज सिंह चौहान के अपने 15 साल के लंबे कार्यकाल मैं जैसे उपलब्धियों का जैसे अकाल पड़ा हो और ना ही भविष्य में प्रदेश के विकास को लेकर कोई ठोस योजना ,शायद इसी के चलते शिवराज सिंह चौहान को जातिगत आरक्षण को ढाल बनाना ज्यादा उचित लग रहा है, ऐसे में मूल “विकास” (रोजगार ,बिजली ,पानी, सड़क, स्वास्थ्य ,शिक्षा) के मुद्दे को लेकर किसी भी पार्टी के पास कोई ठोस रणनीति नहीं लगती ।
अगर बात उज्जैन की करें तो 10 साल के कांग्रेस के शासनकाल मैं रोजगार के नाम पर जो था वह भी छिन गया और शिवराज का 15 साल का लंबा शासन काल भी कोई नया रोजगार का साधन नहीं दे पाया ,यहां तो जो आया वह बाबा महाकाल को नमन कर चलता बना,
हालात यह हैं कि जहां कोई तीन बार मुख्यमंत्री बनाने वालों को माई का लाल जैसे शब्दों से संबोधित कर रहा है तो कोई दिला रहा है अन्न जल की शपथ ।
