मध्यप्रदेश में जातिगत आरक्षण के विरोधी संगठनों को एक बयान ने गहरी सोच में डाल दिया है, मध्य प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक अखबार मैं दिए हुए बयान जिसमें कि उन्होंने साफ साफ शब्दों में यह कहा कि हम तो आरक्षण के पक्षधर हैं एवं उनके अनुसार आर एस एस ,आरक्षण को खत्म करने की बात पहले ही कर चुकी है एवं आरक्षण को खत्म करना भाजपा के एजेंडे में है ,इस बयान से आरक्षण विरोधी संगठनों में खलबली मच गई है ।
अब इसमें देखने वाली बात यह है की जातिगत आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर पिछले कई महीनों से मध्य प्रदेश के CM को विरोध का सामना करना पड़ रहा है ,एक सभा मे भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि मध्य्प्रदेश से कोई माई का लालआरक्षण खत्म नही कर सकता तब से जातिगत आरक्षण को खत्म करने के लिए आरक्षण विरोधी संगठनों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है एवं ऐसा ना करने पर 2018 के चुनाव में भाजपा को धूल चटाने की बात तब कहीं गई ,लेकिन दूसरी ओर आरक्षण की जननी कहीं जाने वाली कांग्रेस आज भी आरक्षण रूपी पुत्र के पक्ष में खड़ी है ,ऐसे में आरक्षण विरोधी संगठन एवं स्वर्णिम समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है मध्यप्रदेश में 2018 में सिक्का उछलेगा तो या तो कांग्रेस आएगी या भाजपा ,सोचने वाली बात यह है कि आरक्षण विरोधी संगठन एवं स्वर्णिम समाज यहां सिर्फ मुख्यमंत्री का चेहरा ही बदल सकता है सोच नहीं, ऐसे में सवाल यह उठता है कि 21वी सदी में कोई कहता है सबका साथ सबका विकास तो इसमें जातिगत आरक्षण का कोई स्थान नहीं रह जाता ,वही कोई विकास को पागल ठहरा कर जातिगत आरक्षण का पक्षधर बन जाता है , सत्ताधारी पार्टी हो या विपक्ष किसी के पास भी विकास को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं है शायद यही कारण है कि राजनीतिक तबका जातिगत आरक्षण के नाम पर लोगों को आपस में बांट कर अपना मतलब सिद्ध करना चाहता है ,भाजपा की कार्यशैली से एवं ज्योतिराज सिंधिया के बयान से कोंग्रेस ,दोनों की जातिगत आरक्षण के प्रति सोच को प्रदर्शित किया है ऐसे में देखने वाली बात यह है कि आरक्षण विरोधी संगठन एवं स्वर्णिम समाज का आगे का रुख क्या होगा एवं 2018 के विधानसभा चुनाव में किसका पक्षधर होता है क्योंकि दोनों खेमे आरक्षण के पक्षधर है।
