इन दिनों मध्य प्रदेश में CM शिवराज सिंह चौहान, आरक्षण के पक्ष में मंच से दिए गए भाषण जिसमें उन्होंने कहा कि कोई माई का लाल मध्यप्रदेश में आरक्षण समाप्त नहीं कर सकता जैसी तमाम आरक्षण के पक्ष में कही गई बातों के कारण कई आरक्षण विरोधी संगठन सक्रिय हो रहे है एवं भरी सभा में CM को घेर रहे हैं, हाल ही में हुए भोपाल में एक कार्यक्रम में उन्हें घोर विरोध का सामना करना पड़ा, ब्राह्मण संगठन के युवाओं ने जमकर नारेबाजी की, आरक्षण विरोधी पोस्टर दिखाएं और अपना आक्रोश जताया जिसके कारण CM शिवराज सिंह चौहान अपना भाषण तक नहीं दे पाए और कार्यक्रम को छोड़कर जाना पड़ा।
ज्ञात रहे कि पिछले कई दशक से स्वर्ण समाज जिसमें ब्राह्मण क्षत्रिय जैसे अनेक समाज आरक्षण का दंश झेल रहे हैं इन दिनों इस मुद्दे पर सब एक होते दिख रहे हैं और ऐसा लगता है कि उनका आरक्षण का विरोध आंदोलन का रूप ले रहा है ।
इससे पूर्व माननीय न्यायालय ने मध्य प्रदेश में पदोन्नति आरक्षण पर रोक लगाने का आदेश जारी किया जिसका मध्य प्रदेश सरकार ने भारी भरकम खर्च वहन कर आदेश के खिलाफ अपील की ,सवाल यह उठता है कि इस प्रकार का आदेश माननीय न्यायालय द्वारा देने पर मध्य प्रदेश सरकार को ऐसा कदम उठाने की क्या जरूरत महसूस हुई और इस कदम के पीछे मध्य प्रदेश सरकार की क्या मंशा है ?
बाहर हाल इन कारणों की वजह से मध्य प्रदेश केCM शिवराज सिंह चौहान कि ब्राम्हण विरोधी छवि बनती जा रही है ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि जब मध्य प्रदेश की जनता ने मिलकर 3 बार अपने प्रतिनिधि के रूप में उन्हें चुना है तो उस प्रतिनिधि को जनता में सामाजिक भेदभाव एवं आरक्षण पक्षीय चश्मा लगाने की क्या जरूरत महसूस ही रही हैं।
ऐसे में ब्राह्मण संगठनों का कहना है शिवराज सिंह चौहान को तीन बार मुख्यमंत्री बनाने के पीछे के मध्य प्रदेश के स्वर्णिम समाज का योगदान CM कैसे भुला रहे है ऐसे में आने वाले 2018 के चुनाव में आरक्षण विरोधी संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है ।
सिक्के के दूसरे पहलू को अगर देखा जाए तो इसका सीधा-सीधा फायदा किसको होगा यह आईने में साफ साफ नजर आ रहा है,यह CM के लिए सोचनीय ओर चिंतनीय विषय हैं।
