सन 1947 से आज तक हर राजनीतिक पार्टी चुनाव के वक्त मूलभूत सुविधाएं जैसे सड़क ,पानी, बिजली, शिक्षा ,स्वास्थ्य और सबसे महत्वपूर्ण रोजगार चुनावी मुद्दा बनाती आ रही है।
अमेरिकी परमाणु हमले के बाद पूरी तरह से तबाह होने वाला छोटा सा देश जापान महज कुछ ही सालों में क्यों पुनः विकसित देश बन जाता है ,और इतने सालों के बाद भी भारत पीछे क्यों है, आइए हम इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश करते हैं ,भारत सरकार के पास ,पूरे देश में कितना क्षेत्रफल है, कितनी जनसंख्या है ,और आने वाले सालों में कितनी हो सकती है ,किस प्रदेश में कितने शहर हैं ,कितने गांव हैं और किस प्रदेश में कौन-कौन सी मौसमी आपदाएं आती है यह सब जानकारी का ब्यौरा विस्तार पूर्वक सरकार के पास होता है अब सवाल यह उठता है कि सरकार देश की पूरी जानकारी है तो आखिर क्या कारण है कि सरकार अपने देश की जनता को मूलभूत सुविधाएं नहीं दे पा रही, अगर प्रदेश की बात करें तो हर सांसद एवं विधायक के पास अपने क्षेत्र की पूरी जानकारी होती है या यूं कहें कि इन्हीं मूलभूत सुविधाओं को मुद्दा बनाकर वह सत्ता में काबिज होते हैं ,तो क्या कारण है कि वह अपने क्षेत्र के लोगों को रोजगार,शिक्षा,स्वास्थ्य,सड़क ,पानी ,बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं दे पा रहे और यह उनकी कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाती है और इससे लगता है कि ज्यादातर नेताओ की मानसिकता यह होती है कि अगर समस्या को जड़ से खत्म कर दिया गया तो नेताओं का महत्व एवं पैसा कमाने का रास्ता बंद हो जाएगा ,क्योंकि ज्यादातर राज्य ऐसे हैं जो उनकी योजनाओं के क्रियान्वन कराना तो दूर केंद्र सरकार की योजनाओं को भी जनता तक नहीं पहुंचने देते।
आजादी के 70 साल से ज्यादा होने के बाद भी सरकारें जनता को उसकी मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति नहीं कर पा रही है । हर प्रदेश के मुखिया को अपने प्रदेश की पूरी जानकारी होती हैअपने प्रदेश की जनता के लिए अगर वह रोजगार के नए अवसर ,नए अस्पताल ,स्कुल ,कॉलेज ,सड़क पानी बिजली की व्यवस्था एवं किसानों को उन्नत करने की कोशिश करे तो हर प्रदेश विकसित हो सकता है और प्रदेश विकसित होगा तो देश स्वतः ही विकासशील हो जाएगा ।
आज जरूरत इस बात की भी है कि हम जापान, इज़राइल, ऑस्ट्रेलिया जैसे छोटे विकसित देशों से सीख ले ,हर देश की अर्थव्यवस्था तभी मजबूत होती है जब उस देश के हर नागरिक के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जाऐ। भारत का क्षेत्रफल बडा है ,पैसा भी है, जनसंख्या भी है, कमी है तो बस राजनेताओं के काम करने की इच्छाशक्ति की।
आज हमारा युवा दूसरे देशों में रोजगार तलाश रहा है और आश्चर्य की बात तो यह है कि वह उन देशो की जीडीपी को बढ़ा रहा है। इस विषय पर हर सरकार को चिंतन करने की आवश्यकता है ,क्योंकि सरकारें तो बदलती रहेंगी लेकिन देश की मूलभूत सुविधाएं वही रहेंगी और देश की जनता की मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी हर सरकार की होती है अन्यथा कब तक मूलभूत सुविधाएं चुनावी मुद्दा बनती रहेंगी।
