इन दिनों आरक्षण का मुद्दा गरमा रहा है ,और इस मुद्दे पर सवाल अनेक संगठनों द्वारा किए जा रहे हैं
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, सपाक्स एवं समस्त ब्राह्मण समाज आदि आदि , इन दिनों उज्जैन शहर में मौजूद संघ प्रमुख मोहन भागवत से कर रहे हैं, लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है की इस मुद्दे को हवा सिर्फ 3 साल से ही क्यों दी जा रही है क्या आरक्षण को जारी रखने या खत्म करने के लिए सिर्फ BJP या संघ जिम्मेदार है|इसमें देखने वाली बात यह भी है कि आरक्षण की जननी कांग्रेस इसको सिर्फ 10 साल के लिए परीक्षण के तौर पर अमल में लाई थी तो क्यों कांग्रेस के इतने लंबे शासनकाल के बाद भी ना तो इस मुद्दे पर कोई संगठन सवाल करने आगे आया और ना ही कांग्रेस ने आरक्षण को खत्म करने की कोई पहल की |
तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि सिर्फ संघ प्रमुख या BJP के आरक्षण के प्रति रुख स्पष्ट करने से काम बन जाएगा ,क्या आरक्षण को खत्म करने के लिए कांग्रेस का साथ नहीं चाहिए |
पहले भी बिहार चुनाव के वक्त संघ प्रमुख ने इस मुद्दे पर अपनी बात कही थी जिसका नतीजा सर्वविदित है तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस क्यों चुप है या क्यों कोई कांग्रेस के नेताओं से इस पर सवाल नहीं करता, इन दिनों BJP के सांसद, एवं विधायकों से भी यह सवाल किये जा रहा है कि आने वाले 2018 एवं 2019 के चुनाव मैं बीजेपी को स्वर्ण वोट नहीं चाहिए, और नहीं चाहिए तो बीजेपी को धूल चटाने की बात भी कही जा रही है तो ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि जब BJP धूल चाटेेगी, तो सत्ता में कांग्रेस आएगी, तो क्या मध्य प्रदेश के भावी मुख्यमंत्री एवं सांसद ,विधायक उम्मीदवार एवं दिल्ली में बैठे कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व यह वादा करता है की सत्ता में अगर कांग्रेस आई तो आरक्षण को पूर्ण रुप से समाप्त करेगी, लेकिन शायद ऐसा संभव नहीं दिखता ,क्योंकि हाल ही में गुजरात के चुनाव में कांग्रेस ने आरक्षण के पक्ष में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल से हाथ मिलाया और यह कहा कि हम अगर सत्ता में आए तो पाटीदारों को आरक्षण देंगे जबकि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार 50% से ज्यादा आरक्षण देना संभव नहीं|तो क्या सत्ता परिवर्तन इसका हल है,शायद नही।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या मोदी सरकार या संघ के चाहने से आरक्षण खत्म हो जाएगा ,तो जवाब है नहीं ,आरक्षण को खत्म करने के लिए राज्यों और केंद्र में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को भी आगे आना होगा ।
देश में सबसे ज्यादा शासनकाल कांग्रेस का ही रहा है ओर पूर्ण बहुमत के साथ भी रहा है, इतने सालों में कांग्रेस ने आरक्षण को पाल पोस कर बड़ा किया ,खत्म करने की पहल क्यों नहीं की ,तो जनता को सवाल BJP और कांग्रेस दोनों से ही करना होगा क्योंकि हाथ के एक हिस्से को दबाने और बजाने से ताली नहीं बजेगी, और आवाज भी तभी आएगी जब ताली दोनों हाथ से बजेगी ,और ताली बजाने में कांग्रेस का हाथ भी बराबर भूमिका निभाएगा
अब देखना यह है कि आरक्षण विरोधी संगठन ये सवाल कोंग्रेस से भी पूछेंगे ओर कांग्रेस से उत्तर क्या आएगा।
