” स्मार्ट सिटी से बना स्मार्ट गांव”

0 minutes, 0 seconds Read
Spread the love

अगर हम कहे कि कोई शहर 30 साल पहले स्मार्ट शहर की श्रेणी में आता था और आज स्मार्ट गांव बन चुका है तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए ऐसा हमने क्यों कहा क्योंकि आज से लगभग 30 साल पहले उज्जैन शहर के पास वह सब कुछ था जो एक शहर को स्मार्ट बनाता है
तो आइए हम आपको बताते हैं कि पिछले 30 सालों में उज्जैन ने क्या क्या खोया |
यह कहना भी गलत होगा कि कांग्रेस के शासनकाल में शहरों को स्मार्ट नहीं बनाया जाता था ,कांग्रेस के शासनकाल में ही उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध उद्योग लगाए गए थे जिनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं यहां पर एशिया का नंबर वन सोयाबीन प्लांट स्थापित किया गया जोकि एशिया में ख्याति प्राप्त था , केन्द्र सरकार द्वारा संचालित इस्को पाइप फैक्ट्री जिसमें की एडवांस बुकिंग पर पाइप बनते थे जिसकी क्वालिटी विश्व विख्यात थी, हीरा मिल, विनोद मिल, इंदौर टेक्सटाइल मिल जैसी विश्व विख्यात कपड़ा बनाने वाली मिलें, जिसका कपड़ा विदेशों में निर्यात किया जाता था, श्री सिंथेटिक जिसका विश्व प्रसिद्ध सिंथेटिक धागा निर्यात किया जाता था ,देशी घी का सबटिट्यूट “डालडा” उज्जैन की ही पहचान थी, इन सब उद्योगों ने उज्जैन की लगभग 2 लाख जनता को रोजगार दिया था जिस समय उज्जैन की जनसंख्या लगभग छह लाख थी और किसी भी शहर की जनता की प्रति व्यक्ति आय के आधार पर ही उसे स्मार्ट सिटी का दर्जा प्राप्त होता है ऐसे में आज से 30 साल पहले उज्जैन को स्मार्ट सिटी कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा।
आज इस आधुनिक दौर में जब हम आधुनिक स्मार्ट सिटी की बात करते हैं तो हम पाते हैं कि उज्जैन इन सभी विश्व प्रसिद्ध उद्योगों को खो चुका है और पिछले 30 सालों में लगातार बदहाली की ओर बढ़ रहा है, याने स्मार्ट सिटी से स्मार्ट गांव की ओर अग्रसर है, यहां के नौजवान आज दूसरे शहरों में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं ,उज्जैन को स्मार्ट सिटी से स्मार्ट गांव बनाने में प्रमुख कारण यहां के नेताओं की उदासीनता है, जिन्होंने उज्जैन के विकास को प्राथमिकता ना देकर खुद के विकास को सर्वोपरि माना और ऐसा हुआ भी|
आज उज्जैन की जनता की प्रति व्यक्ति आय एक मजदूर से भी कम है ऐसे में उज्जैन को स्मार्ट गांव कहे तो गलत नहीं होगा।
बहर हाल मोदी सरकार आने के बाद उज्जैन को आधुनिक स्मार्ट सिटी में 2 साल पहले शामिल किया गया था ,अब देखना यह है की यहघोषणा सिर्फ एक जुमला साबित होगा या उज्जैन पुनः स्मार्ट सिटी बन पायेगा।


Spread the love

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *