“क्या मध्यप्रदेश लेगा गुजरात से सीख”

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हाल ही में आए गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम ने भाजपा को सोचने पर मजबूर कर दिया है, भाजपा गुजरात के चुनाव तो जीती लेकिन जीत फिकी सी प्रतीत होती है
राजनीतिक विश्लेषक इसके पीछे जातिगत वोटों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं क्योंकि जातिगत राजनीति के कारण भाजपा को गुजरात के चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ा है|
ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है की आगामी 2018 में होने वाले मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव मैं भी क्या आरक्षण की आंच आएगी और कहीं ना कहीं चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकती है
ऐसा विश्लेषक क्यों सोचते हैं इसके पीछे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिया गया भाषण जिसमें उन्होंने कहा कि आरक्षण कोई माई का लाल खत्म नहीं कर सकता यहां तक की उन्होंने पदोन्नति मै आरक्षण की भी पैरवी की ,साथ हाई कोर्ट द्वारा पदोन्नति में आरक्षण के विरोध में फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कहीं|
ऐसे में लगता है कि क्या मध्यप्रदेश में भी जातिगत राजनीति “विकास” पर भारी पड़ेगी ,क्या मामा शिवराज सिंह चौहान के 15 साल के शासन काल में विकास जैसी कोई चीज लोगों को दिखाने के लिए नहीं है ,आखिर क्या कारण है कि राजनीतिक पार्टियां अपने चुनावी एजेंडे मैं विकास के मुद्दे को प्रमुखता से शामिल करते हैं लेकिन ऐन चुनाव के वक्त विकास को भूलकर आरक्षण यह जातिवाद का सहारा लेना पड़ता है
कहते हैं मामा मां का दूसरा रूप होता है और शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के मामा कहलाते हैं तो क्या ब्राह्मण और क्षत्रिय के बच्चों के मामा आप नहीं हैं क्यों ब्राह्मण और क्षत्रिय के बच्चो (भांजो) के साथ अन्याय करने के लिए सहज तैयार हैं
सवाल यह उठता है कि क्या ब्राह्मण और क्षत्रिय वोटर नहीं है क्या तीन बार मुख्यमंत्री बनाने में ब्राह्मण क्षत्रिय का कोई योगदान नहीं था ऐसे में यह कहना लाज़मी है कि क्यों मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ब्राह्मण क्षत्रिय विरोधी छवि बना रहे हैं ,क्या बिना आरक्षण पाने वाली जातियों का चुनाव में कोई योगदान नहीं होता,या राजनेतिक पार्टियां ब्राम्हण ,क्षत्रिय को वे जन्मजात धनवान मानती है, जबकि इतिहास में देखा जाय तो ब्राम्हण गरीब सुदामा कहलाया ओर क्षत्रिय सुरक्षा करने वाला।
ऐसे में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मामा शिवराज सिंह चौहान को चिंतन तो करना ही होगा अन्यथा राजनेतिक विश्लेषको का ऐसा मानना है कि, मध्य प्रदेश को भी गुजरात जैसे परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।


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