“पालक हो रहे हैं ब्लैक मेलिंग का शिकार ,प्रशासन बना मूकदर्शक”

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पिछले 1 साल यानी जुलाई 2016 को तत्कालीन कलेक्टर श्री कियावत द्वारा स्कूल बस किराए के संबंध में एक आदेश जारी किया जिसमें दूरी के हिसाब से किराया तय किया गया जिसमें कहा गया कि शून्य से 5 किलोमीटर तक ₹400 एवं 5 किलोमीटर से 10 किलोमीटर तक 550 रूपये स्कूल बस संचालकों द्वारा पालको से लिया जाए लेकिन उसके बाद भी स्कूल बस संचालकों द्वारा 5 किलोमीटर तक 500 से 570 रुपए तक किराया वसूल किया गया उसके बाद अगस्त माह में कार्यकारी कलेक्टर श्री लवानिया रहे और उनके जाने के बाद सितंबर माह में नए कलेक्टर के रूप में श्री संकेत भोंडवे ने पदभार संभाला उन्होंने आने के बाद 19 सितंबर को पालको, स्कूल संचालको एवं बस संचालको की मीटिंग बुलाई और सर्वसम्मति से पूर्व कलेक्टर द्वारा लिए गए फैसले को यथावत रखा गया एवं इस मीटिंग में आरटीओ और डी ई ओ भी शामिल हुए लेकिन स्कूल बस संचालकों द्वारा मनमाना किराया वसूला जाता रहा पूरा सत्र बीत गया और स्कूल बस संचालकों द्वारा अपनी मनमानी जारी रही अब नया सत्र जुलाई 2017 से शुरू हुआ लेकिन अभी भी स्कूल बस संचालकों द्वारा वही मनमाना किराया पालको से वसूला जा रहा है पिछले 1 साल से इस तरह कलेक्टर के आदेश की अवहेलना की जा रही है और पालको को निरंतर स्कूल बस संचालकों एवं स्कूल प्रशासन की ओर से डराया और धमकाया जा रहा है कि किराया उनके द्वारा जो मांगा जा रहा है वही देना होगा कलेक्टर द्वारा जो किराया तय किया गया है उसे हम मान्य नहीं करेंगे आप या तो यह किराए दीजिए या अपने बच्चे को स्कूल से निकाल लीजिए या अपने पर्सनल वाहन से बच्चों को स्कूल भेजिए ऐसे में पालिका के पास स्कूल बस संचालकों द्वारा मन माना किराया देने के अलावा कोई चारा नहीं बचता लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या कलेक्टर के आदेश की अवहेलना क्या इसी तरह से होती रहेगी अगर इसी तरह से चलता रहा तो कलेक्टर के आदेश के क्या मायने रह जाएंगे ,स्कूल प्रशासन द्वारा लगातार पालको को ब्लैकमेल किया जा रहा है और जबरन मनमाना किराया देने पर मजबूर किया जा रहा है अब देखना यह है कि क्या कलेक्टर के आदेश का पालन कराने के लिए क्या प्रशासन कुछ सख्त कदम उठाएगा या इसी तरह से स्कूल बस संचालक एवं स्कूल प्रशासन द्वारा कलेक्टर के आदेश की अवहेलना की जाती रहेगी.


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