आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में कभी-कभी ऐसा लगता है कि मानवता जैसे दुनिया में है ही नहीं, लेकिन जब इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल में सहायता और सुफलाम ग्रुप के लोगों को मरीजों की सेवा में लीन होते हुए देख कर लगता है कि मानवता कहीं तो आज जिंदा है इस ग्रुप के लोग तन मन और धन से मरीजों की सेवा करते हैं
60 साल की उम्र में अमूमन यह देखा गया है कि लोग सोच लेते हैं कि आप जीवन में शांति मिली लेकिन सहायता और सुफलाम ग्रुप के लोगों में सेवा भाव इतना कूट कूट कर भरा हुआ है कि जीवन के इस मोड़ पर बिना उम्र की परवाह किये ये लोगों की सेवा में सतत अग्रसर है ऐसा नहीं है कि कि कुछ सक्षम लोग उनकी सेवा में सहयोग नहीं देते हैं लेकिन उसकी संख्या बहुत कम है और मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जाती है ऐसे में यह लोग कुछ ऐसे दानी लोगों की तरफ आस लगाते हैं जो इनकी सेवा में धन से सहायता करें ताकि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा सहायता प्रदान की जा सके यह लोग मरीजों की दवाई ,उनकी जांच, ऑपरेशन में हुआ खर्चे ,यहां तक कि किसी को खून की आवश्यकता होती है तो उसका भी इंतजाम करते हैं ,कुछ मरीजों को तो इन्होंने गोद ले लिया हे जिनका जीवन भर के लिए आया हुआ पूरा खर्च ये वहन करते हैं और उन मरीजो के अंतिम समय तक का सहारा यही लोग हैं इस ग्रुप में कुछ रिटायर्ड बैंक के अधिकारी , इंजीनियर, आरबीआई से रिटायर्ड, कुछ बिजनेसमैन जो अपना सब कुछ छोड़ कर लगातार कई वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं इनको देख कर ऐसा लगता है कि मानवता इस संसार में कहीं तो मौजूद है हमें इन लोगों से जुड़ना चाहिए ,इनकी सहायता करनी चाहिए
पैसा तो सब कमाते हे ,लेकिन थोड़ा पुण्य कमा के तो देखिये,ये आपके जीवन के अंतिम पड़ाव को संतुष्टि से सराबोर कर देगा !
