टूटती बुढ़ापे की लाठी।

0 minutes, 0 seconds Read
Spread the love

जीवन में ऊंचाइयों को छूने में हम इतने हैं मग्न हो गए हैं कि हमारे
अपने बुजुर्गों की लाठी हमने अनजाने में तोड़ दी
माता पिता बड़े लाड प्यार से अपने बच्चों को बड़ा करते हैं हर मांग को पूरी करते हैं हमारी आंखों में कभी आंसू नहीं आने देते, लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो कुछ मुट्ठी भर पैसों के लिए हम उन्हें छोड़ कर उनसे दूर चले जाते हैं और फिर मुड़कर कभी नहीं देखते और उन बूढ़े मां बाप के बुढ़ापे की लाठी मानो टूट जाती है उनके आंसू पोछने वाला कोई नहीं होता ।

हममे क़ाबलियत तो है तभी हमारे युवाओं ने माइक्रोसाफ्ट facebook google जैसी कंपनियों को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचा दिया है ,तो क्या हम भारत में रहकर मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं में सहभागिता करके न सिर्फ अपने देश का नाम रोशन कर सकते हैं अपितू हम उन बूढ़े मां बाप का सहारा भी बन सकते हैं।
हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है अन्यथा इन बूढ़े मां बाप की सिसकियां हमें कभी माफ नहीं करेगी, हमें अपने जीवन में सफलता तो मिलेगी पर जीवन सफल नहीं हो पायेगा ।


Spread the love

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *