घर में बेटी ने जन्म लिया है तो समझ लो की यह आपका सौभाग्य है – सुलभ शांतु गुरु महाराज कन्या देवी का रूप है ,घर में बेटी जन्म ले तो उसमें राधा सीता और मीरा का दर्शन कीजिए आपका कल्याण हो जाएगा
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घर में बेटी ने जन्म लिया है तो समझ लो की यह आपका सौभाग्य है – सुलभ शांतु गुरु महाराज
कन्या देवी का रूप है ,घर में बेटी जन्म ले तो उसमें राधा सीता और मीरा का दर्शन कीजिए आपका कल्याण हो जाएगा
उज्जैन,मनोज उपाध्याय! उज्जैन में हो रही सुलभ शांतु गुरु महाराज के मुखारविंद से श्री राम कथा के तीसरे दिन हिमाचल जी के यहां पार्वती जी के जन्म और सती माता के जीवन के अंत, अर्थात जीवन, मृत्यु कर्म और पुनर्जन्म के महत्व और संबंध को बड़ी सरलता से बताया ।
जीवन अनमोल है , इसे यूं ही न समाप्त कर दिया जाए ,कई बार जीवन में ऐसी परिस्थिति आ जाती है कि जब विपरीत परिस्थितियों ने आपको चारों तरफ से घेर लिया है और आपको लगता है कि यह जीवन का अंत करना ही अब आखरी रास्ता है, लेकिन जीवन एक प्रक्रिया है यह जहां समाप्त हुआ है वहीं से शुरू होता है यदि कर्मों के बिना जीवन को समाप्त कर लिया तो जहां भी जाएंगे और जन्म लेंगे वह पीड़ा कष्ट,संकट पुनः मिलेंगे, मनुष्य जीवन बड़े भाग्य से मिलता है 84 लाख योनियों में भटकने के बाद ईश्वर हमें एक मौका देता है और यह मनुष्य योनि प्रदान करता है की जा तेरा कल्याण कर ले,जा मुक्ति पा ले।
हिमाचल जी के यहां पुत्री ने जन्म लिया और जन्म के साथ ही रिद्धि सिद्धि शुभ संपत्ति का भंडार हो गया, नाम उमा अंबिका भवानी, घर में जब पुत्री का जन्म होता है तो वह आपका परम सौभाग्य है जन्म-जन्मांतर के पुण्य का फल है की जब किसी के घर में पुत्री का जन्म होता है। नारद मुनि ,हिमाचल जी से कहते हैं कि आपकी बेटी सुंदर सहज सुशील सयानी है लेकिन इनका विवाह जिससे होगा वह गुण रहित, मान रहित ,माता-पिता रहित, उदासीन होगा सब संशयों से रहित योगी से होगा,वह जटिल होगा,अमंगल वेश धारण करने वाले ,लेकिन नारद जी ने यह सब शिवजी के गुण कहें हैं संसार में इसे देखेंगे तो यह दोष दिखाई देंगे अगुण होना बहुत ही श्रेष्ठ स्थिति जो गुणों से परे है ,अमान जो सम्मान और अपमान दोनों से परे है , योगी,जटाधारी यह सभी शिव के गुण हैं।
भगवान महाकाल शिव के स्वभाव की वैभवशालिता है कि
शिखर पर बैठे हैं शिव कैलाश पर बैठे हैं शिव और शिखर पर बैठे व्यक्ति का यही लक्षण होता है कि ऊंचा व्यक्ति वही है जो किसी को निचा ना समझे, शिवजी में अपनी शरण में आए चंद्रमा को अपने शीश पर धारण कर लिया, सुंदर गंगा को अपने शीश पर धारण किया जो दूसरे के जीवन को पवित्र करती है शिव जी के श्रृंगार का वर्णन बड़ा विस्तृत है सत्यम शिवम सुंदरम शिव ही सुंदर है उनकी सत्यता ही उनकी सुंदरता है शिवजी दिगंबर होते हुए भी परम सुंदर है दिगंबर का अर्थ है जिसके पास छुपाने को कुछ नहीं।
भगवान के मंदिर में मांगने और चाहने की मानसिकता लेकर जाएंगे तो भगवान मंदिरों में आपको नहीं मिलेंगे और जिस दिन अपने मांगना और चाहना बंद कर दिया उसे दिन भगवान आपको चाहने लगेंगे आपके हो जाएंगे, तो मंदिरों में भीड़ तो बहुत है लेकिन भक्त कम है तो मंदिरों में भीड़ का हिस्सा न बनी भक्त बनाकर जाइए।
बिना तब और बिना श्रम के उपलब्धि असंभव है, अगर सफलता के लिए शॉर्टकट के चक्कर में रहोगे तो वह सफलता भी शॉर्टकट ही होगी, स्वार्थ के लिए किसी को भटकना गलत है प्रलोभन देकर बुलाना गलत है धर्म पर बैठे व्यक्ति का काम है व्यक्ति को राह दिखाना राह भटकना नहीं।
खुश रहने का मंत्र क्या है, हर हाल में खुश रहना संतो से सिख जाएं, झंझटों से भाग जाना सब लोग बताते हैं झंझटों से दूर रहना संतों से सीख जाएं सुख-दुख में हंसना रोना सब लोग बताते हैं सुख-दुख दोनों में मुस्कुराना रहे संतों से सीख जाएं, मरने के बाद मुक्ति सब लोग बताते हैं, जीते जी मुक्त रहना संतों से सीख जाएं ,हर हाल में खुश रहना संतों से सीख जाएं, दुनिया के लोग दौलत पाकर के मुस्कुराते हैं, पर भिक्षु बन के हंसना संतों से सीख जाएं,खुश रहना सीख जाएं ,जो प्राप्त है वही पर्याप्त है।
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् । सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि
कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले। करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं समस्त सृष्टि के जो सार हैं। जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं। जो भगवान् शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं उनको मेरा नमन है।
कथा में शिव पार्वती विवाह संपन्न हुआ।
कल प्रभु श्री राम का जन्म उत्सव होगा।
जय जय श्री राम