उज्जैन की लोकायुक्त पुलिस ने सिटी बसों की खरीदी और सब्सिडी में अनियमितता के चलते एसडीएम , सिटी ट्रांसपोर्ट  सीओओ और बस कम्पनी संचालक के खिलाफ मामला दर्ज किया”

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उज्जैन की लोकायुक्त पुलिस ने सिटी बसों की खरीदी और सब्सिडी में अनियमितता के चलते एसडीएम , सिटी ट्रांसपोर्ट सीओओ और बस कम्पनी संचालक के खिलाफ मामला दर्ज किया”

” पूर्व निगम आयुक्त के आदेश के बाद भी इन दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं?”

“उज्जैन निगम आयुक्त द्वारा कार्रवाई नहीं करने के पीछे राजनीतिक दबाव का अंदेशा”

उज्जैन,सिटी बस खरीदी , टेंडर प्रक्रिया,सब्सिडी एवं संचालन में हुई घोर अनियमितता के चलते उज्जैन की लोकायुक्त पुलिस ने देवास में अमृत योजना के तहत यात्री बसों की खरीदी और सब्सिडी का अनुचित लाभ उठाकर स्वीकृत मार्ग की जगह दूसरे मार्ग पर बसे चलाने के मामले में शिकायत मिलने पर देवास एसडीएम प्रदीप सोनी, देवास सिटी ट्रांसपोर्ट के सीओओ और बस कम्पनी संचालक के खिलाफ मामला दर्ज किया ।

“क्या है पूरा मामला, बस संचालक द्वारा क्या-क्या अनियमितताएं की गई”
बता दें कि इस संबंध में पुलिस अधीक्षक, विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त उज्जैन संभाग अनिल विश्वकर्मा को 10 जनवरी 2023 को शिकायत प्राप्त हुई थी,दरअसल नगर निगम देवास ने अमृत योजना के अंतर्गत यात्री बसों के टेण्डर निकाले थे तथा इसमें शासन की ओर से 40 फीसदी तक सब्सिडी का प्रावधान था,
इसमें नगर निगम देवास ने विश्वास ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड को निर्धारित मार्गों पर यात्री बस संचालन हेतु टेण्डर स्वीकृत कर निर्धारित मार्गों पर बसों के संचालन की अनुमति दी गई थी परंतु विश्वास ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अधिकारियों के साथ मिलकर टेण्डर में स्वीकृत मार्ग से भिन्न मार्गो पर यात्री बसों का संचालन किया जाने लगा तथा कुछ बसों का विक्रय भी कर दिया गया,
जिसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने उक्त शिकायत में जांच एवं सत्यापन हेतु उपपुलिस अधीक्षक सुनील कुमार तालान को जांच सौंपी गई। जांच के में पाया गया कि देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड द्वारा आरएफपी के अनुसार टेण्डर जारी किये गये थे। इस टेण्डर में क्लस्टर 2, 3 एवं 4 पर बसों के संचालन हेतु निविदाएं मांगी गई थी,

उक्त तीनों क्लस्टर की निविदाएं विश्वास ट्रांसपोर्ट को प्राप्त हुई तथा कुल 39 बसों का संचालन 7 वर्ष के लिए दिया जाना था, इसके लिए विश्वास ट्रांसपोर्ट को बसें क्रय करने पर कुल लागत की 34.2 प्रतिशत से 39.78 प्रतिशत तक सब्सिडी प्राप्त हुई। विश्वास ट्रांसपोर्ट द्वारा वर्ष 2022 में 3 बसें विक्रय कर दी गई परंतु उनके स्थान पर 1 वर्ष से भी अधिक समय बीतने पर भी अन्य तीन बसें क्रय करके नहीं लगाई गई।

“सिटी बसों के परमिट संचालन मार्गों में भी हुई घोर अनियमितताएं”

सिटी बसों का मार्ग परिवर्तन सीईओ एवं सीओओ से अनुमति लेकर बदल दिया गया जबकि वे अनुमति देने हेतु सक्षम नहीं थे, इस टेण्डर के बदले देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज को वार्षिक प्रीमियम शून्य रूपये प्राप्त हो रही थी, बसों हेतु मासिक पास भी जारी नहीं किये गये, बसों पर विज्ञापन का टेण्डर भी जारी नहीं किया गया था, जिससे नगर निगम की कंपनी को आय हो सकती थी,स्पेअर बस को पिकनीक या टूर आदि का परमिट लेकर चलाया गया , क्लस्टरों की अधिकांश बसों के रूट में परिवर्तन की अनुमति दे दी गई, जिससे वे व्यस्त रूटों पर बसों का संचालन करने लगे। कुछ बसों पर अनुमति के बिना दूसरे ऑपरेटर का नाम लेख करा दिया गया तथा शासन की योजना से संबंधित चिन्ह भी हटा दिये गये, जो अनुमत्य नहीं थे।

इस प्रकार 3 बसों के विक्रय पर दी गई सब्सिडी 23,86,800 रुपये का दुरूपयोग विगत 1 वर्ष से किया जा रहा था ऑपरेटर द्वारा बताया गया कि बैंक में सिबिल खराब होने से उसे लोन प्राप्त नहीं हो रहा है जिससे वह बसें क्रय नहीं कर पा रहा था। इस प्रकार उपरोक्त प्रकरण में देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के सीईओ और देवास एसडीएम प्रदीप सोनी, सीओओ सूर्यप्रकाश तिवारी तथा विश्वास ट्रांसपोर्ट के डायरेक्टर विजय गोस्वामी एवं प्रणय गोस्वामी द्वारा शासकीय धनराशि की क्षति पहुंचाई गई तथा पद का दुरूपयोग कर टेण्डर का संचालन उचित प्रकार से नहीं किया एवं शर्तों का घोर उल्लंघन किया गया,
इस कारण से लोकायुक्त पुलिस ने इन सभी के खिलाफ धारा 7, 13 (1) ए, 13 (2) एवं भादंवि की धारा 409, 420 एवं 120 बी के अंतर्गत केस दर्ज करके मामले की जांच की जा रही है।
“आखिर क्या है देवास सिटी बस का उज्जैन से कनेक्शन?”

देवास की विश्वास ट्रांसपोर्ट कंपनी द्वारा संचालित सिटी बसों का उज्जैन के सिटी बस संचालक से भी गहरा कनेक्शन होने की आशंका है, क्या कनेक्शन है? और क्यों यह जांच का विषय है?
देवास सिटी बस का संचालन देवास और इंदौर के बीच का प्रस्तावित और परमिट था बावजूद इसके देवास सिटी बस तकरीबन रोज उज्जैन आती थी ,और रात में इंदौर रोड अंजूश्री होटल उज्जैन के पीछे खड़ी कर इन बसों की रवानगी सुबह यहां से होती थी, जांच का विषय यह भी है कि देवास से इंदौर के लिए परमिट धारी सिटी बसें आखिर उज्जैन कैसे आती थी और इसका संज्ञान उज्जैन आरटीओ को क्यों नहीं था और था तो इस विषय में कार्रवाई क्यों नहीं की गई क्योंकि देवास के सिटी बसों का उज्जैन आना कई महीनों तक रहा, और ऐसे में जांच का विषय यह भी है कि आखिर इन बसों को उज्जैन तक लाने के पीछे किसकी सरकार थी क्या उज्जैन के सिटी बस संचालक कंपनी के साथ इसका सीधा संबंध है?

“उज्जैन लोकायुक्त ने देवास सिटी बस के संचालन और संधारण को लेकर कार्रवाई की लेकिन उज्जैन निगम आयुक्त द्वारा कार्रवाई क्यों नहीं?”

आपको बता दें कि पूर्व निगम आयुक्त उज्जैन अंशुल गुप्ता ने उज्जैन सिटी बस के संचालन एवं संधारण में की गई और अनियमितताओं की पुष्टि करते हुए उज्जैन नगर निगम के तीन अधिकारियों को नोटिस जारी किए थे जिस में उल्लेख किया गया था कि सिटी बसों के संचालन एवं संधारण में घोर अनियमितताएं सिटी बस संचालन कंपनी और उज्जैन नगर निगम के अधिकारियों की सांठगांठ के चलते नगर निगम उज्जैन को लगभग ढाई करोड़ से अधिक की राजस्व हानि पहुंचाई गई थी लेकिन कई महीने बीतने के बावजूद भी आज तक उज्जैन नगर निगम के आला अधिकारी द्वारा इन भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर पूर्व निगम आयुक्त के द्वारा सिटी बस संचालन एवं संधारण में उज्जैन नगर निगम के अधिकारियों की संलिप्तता पाए जाने के बाद दिए गए आदेश के बावजूद भी आज तक भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई और अनियमितता में संलिप्त सिटी बस संचालन कंपनी पर नियमानुसार कार्रवाई क्यों नहीं की गई क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक दबाव निगम प्रशासन पर है?
बहर हाल उज्जैन संभाग के देवास में हुए सिटी बस संचालन संधारण में हुई अनियमितताओं के चलते उज्जैन लोकायुक्त की कार्रवाई हुई, लेकिन देवास की सिटी बसों का उज्जैन से क्या कनेक्शन है आखिर देवास के सिटी बसें उज्जैन क्यों आती थी क्या इसका उज्जैन से कनेक्शन है? यह जांच का विषय है।
और इस मामले के बाद उज्जैन नगर निगम के आला अधिकारियों को भी उज्जैन सिटी बसों के संचालन एवं संधारण के संबंध में संज्ञान लेकर हुई घोर अनियमितताओं के चलते सिटी बस संचालन कंपनी एवं उज्जैन नगर निगम के अधिकारी जिनकी इसमें संलिप्तता पाई गई थी उन पर कार्रवाई की जाना आवश्यक है, या फिर यहां भी भविष्य में लोकायुक्त की कार्रवाई होगी?


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