महाकालेश्वर मंदिर की गरिमा को तार-तार करने वाले पुजारी प्रदीप गुरु पर कार्रवाई कर पाएगा प्रशासन?

पुजारी प्रदीप गुरु
भस्म आरती के दौरान हजारों भक्तों के सामने प्रशासनिक अधिकारी को पुजारी प्रदीप गुरु ने कहे अपशब्द
पीकर और खाकर आते हैं उन्हें भी रोकना हमारा फर्ज है- सहायक प्रशासक आर पी गहलोत

उज्जैन, शनिवार कि सुबह महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के दौरान मंदिर के पुजारी प्रदीप गुरू ने सहायक प्रशासक आर पी गहलोत को हजारों श्रद्धालुओं के सामने अवैधानिक रूप से गर्भ ग्रह में अपने यजमान को ले जाने से रोकने पर गाली गलौज और अति आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग किया गया, यह खबर आग की तरह फैल गई और पूरा घटनाक्रम प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में स्पष्ट रूप से प्रकाशित किया गया , पूरा घटनाक्रम महाकालेश्वर मंदिर में लगे अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरो में मय आवाज के कैद हो गया ,बावजूद इसके 3 दिन के बाद भी महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक संदीप सोनी और महाकालेश्वर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर उज्जैन कुमार पुरुषोत्तम की ओर से किसी प्रकार की कोई कार्रवाई प्रदीप गुरु पर नहीं की गई है इससे स्पष्ट नजर आ रहा है कि प्रशासनिक अमला ,प्रदीप गुरु के द्वारा सरेआम एक प्रशासनिक अधिकारी को अपमानित और अपशब्द कहने के बावजूद मूकदर्शक बना हुआ है,इससे स्पष्ट है कि प्रदीप गुरु पर कार्रवाई ना करने के लिए कहीं ना कहीं प्रशासन पर राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है।
आपको बता दें की महाकालेश्वर मंदिर समिति में सदस्य और महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी भी है प्रदीप गुरु, मंदिर समिति के सदस्य पद और मंदिर में पुजारी पद होने के कारण प्रदीप गुरु और उनके चैले चपाटियों के द्वारा आए दिन मंदिर में अपने यजमान ओं को जबरन और संवैधानिक रूप से दर्शन और पूजन अर्चन करने के लिए गर्भ ग्रह में प्रवेश कराने को लेकर आए दिन विवाद होते हैं लेकिन शनिवार को भस्म आरती के दौरान प्रदीप गुरु ने सारी मर्यादा है और पुजारी पद की गरिमा को तार-तार कर दिया जब उन्होंने अपने यजमान को गर्भ ग्रह में जबरन प्रवेश कराने की कोशिश करने के दौरान वहां मौजूद भस्मारती के प्रशासनिक प्रभारी आरपी गहलोत को सरेआम हजारों श्रद्धालुओं के सामने गाली गलौज करके मंदिर की गरिमा को तार-तार कर दिया ।
इस मामले में सहायक प्रशासक आर पी गहलोत से जब इस घटनाक्रम के बारे में पूछा गया तब उनके कथन स्पष्ट रूप से भारी दबाव में प्रतीत हुए लेकिन उन्होंने कहा कि चांदी द्वार और नंदीहाल दोनों ओर से अगर कोई गर्भ ग्रह में प्रवेश करता है तब मंदिर प्रशासक के आदेश अनुसार बारकोड देख कर ही श्रद्धालु को गर्भ ग्रह में प्रवेश दिया जाता है लेकिन अगर कोई जबरन और संवैधानिक रूप से गर्भ ग्रह में किसी को प्रवेश कराने की कोशिश करता है तो उसे रोकना हमारी जिम्मेदारी बनती है इसी के चलते आए दिन विवाद की स्थिति बन जाती है उन्होंने कहा कि मंदिर में जब कोई पीकर और खा कर यहां पीकर और खाकर आता है तो उसे भी हमारे द्वारा रोका जाता है यहां गौर करने वाली बात यह है कि सहायक प्रशासन गहलोत द्वारा पीकर और खाकर आने जैसे शब्दों का उपयोग किसके लिए और क्यों किया गया है यह भी एक जांच का विषय है क्योंकि महाकालेश्वर मंदिर के गर्भ ग्रह में अगर कोई पीकर और खाकर आता है तो यह अति गंभीर विषय है जिसको शायद प्रशासक गहलोत को स्पष्ट करना चाहिए और मंदिर प्रशासन को इसकी सूक्ष्मता से जांच करानी चाहिए।
महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने इस मामले में बताया कि मामला संज्ञान में आया है सीसीटीवी फुटेज निकलवा कर इसकी जांच कराई जाएगी, इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी, लेकिन 2 दिन बीतने के बाद भी महाकालेश्वर मंदिर समिति और मंदिर प्रशासन की ओर से इस मामले में किसी प्रकार की कोई कार्यवाही अब तक नहीं की गई है जबकि इस मामले की सीसीटीवी फुटेज को निकालने में महज कुछ मिनटों में ही महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन निकाल सकता है, महाकालेश्वर मंदिर एवं प्रशासनिक गलियारों में चर्चा तो है कि इस मामले में महाकाल मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष और कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी अब कड़े निर्णय लेने जा रहे हैं।

इस मामले में पुजारी प्रदीप गुरु से जवाब मांगा गया तो इस घटना को उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि इस प्रकार की कोई घटना नहीं हुई है आरोप पूरी तरह निराधार है लेकिन महाकालेश्वर मंदिर के गर्भ गृह और नंदीहाल के बीच हुई इस घटना को वहां बैठे भस्म आरती में शामिल हजारों श्रद्धालुओं ने ना सिर्फ देखा बल्कि सुना भी, और पूरा घटनाक्रम सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड भी हुआ है।
बहरहाल महाकालेश्वर मंदिर सनातन धर्म के करोड़ों अनुयायियों की आस्था का केंद्र है ऐसे में महाकालेश्वर मंदिर ज्योतिर्लिंग जैसे पवित्र स्थान पर मंदिर के पुजारी द्वारा प्रशासनिक अधिकारी को सरेआम गाली गलौज और अपशब्द कहकर अपमानित किया जाना और इस प्रकार के कृत्य करने वाले पर अगर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जाती है तब यह मंदिर की गरिमा को तार-तार करने वाले व्यक्ति पर कार्रवाई ना किए जाने पर उज्जैन प्रशासन और महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा, और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र महाकालेश्वर मंदिर की गरिमा भी प्रभावित होगी, जहां के पुजारी के आचरण और व्यवहार मंदिर की गरिमा को प्रभावित करते हैं शासन प्रशासन को चाहिए कि इस प्रकार के कृत्य करने वाले पुजारी तुरंत प्रभाव से कार्रवाई कर पुजारी पद से एवं महाकालेश्वर मंदिर समिति सदस्य के पद से भी हटाया जाना चाहिए, अन्यथा यह मामला मध्य प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार तक पहुंच सकता है जिससे देशभर में मंदिर की गरिमा और क्षीण हो सकती है।
