चंद्रभागा और क्षिप्रा के पुनर्मिलन के साक्षी बने संत
सोनू गहलोत की मेहनत रंग लाई चंद्रभागा क्षिप्रा का पुनर्मिलन हुआ

उज्जैन, शनिवार को वह ऐतिहासिक दिन था जब मोक्षदायिनी शिप्रा नदी की सहायक नदी चंद्रभागा को पुनर्जीवित करने पिछले 2 महीने से उज्जैन के 200 से ज्यादा पर्यावरण प्रेमी, पूर्व निगम सभापति सोनू गहलोत की अगुवाई में नदी के उद्गम स्थल (मोहनपुरा रेलवे पटरी के समीप) पर जुटे थे , शनिवार को विधिवत साधु-संतों उपस्थिति में चंद्रभागा नदी के जल को शिप्रा नदी में प्रवाहित किया गया।

शनिवार की दोपहर 4 बजे मोहनपुरा स्थित चंद्रभागा नदी के उद्गम स्थान पर श्री सिद्धक्षेत्र वाल्मीकि धाम के संस्थापक बालयोगी श्री उमेशनाथ जी महाराज, रामानुज कोट पीठाधीश्वर परम पूजनीय श्री रंगनाथाचार्य जी महाराज, भृर्तहरी गुफा के गादीपति महंत रामनाथ जी महाराज, महाकालेश्वर मंदिर अखाड़े के प्रमुख महंत श्री विनीत गिरि जी महाराज, हिंदुत्व प्रहरी एवं महामंडलेश्वर आचार्य शेखर जी महाराज, महामंडलेश्वर एवं दादू आश्रम के प्रमुख श्री ज्ञानदास जी महाराज, मोनतीर्थ पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी सुमनानंद जी सुमन भाई जी. महामंडलेश्वर श्री शैलेशानंद जी महाराज, सहित कई संतों ने चंद्रभागा नदी के उद्गम स्थान का पूजन अर्चन किया तत्पश्चात सभी संतो ने नदी के तट पर वृक्षारोपण किया और चंद्रभागा नदी के जल को पैदल चलकर मां शिप्रा के जल में प्रवाहित किया।
“यह एक भागीरथी प्रयास है- बाल योगी श्री उमेश नाथ जी महाराज”

चंद्रभागा नदी जोकि मोक्षदायिनी क्षिप्रा की उपनदी मानी जाती है और आज इसका शिप्रा में पुनर्मिलन करने का भागीरथी प्रयास उज्जैन के सभी संतो जनप्रतिनिधियों एवं सामाजिक संगठनों और उज्जैन की जनता सभी ने मिलकर यह प्रयास किया और आज चंद्रभागा नदी के जल से मोक्षदायिनी क्षिप्रा पुनः प्रवाह मान होगी।
“उज्जैन के नागरिक संतों के मार्गदर्शन में संकल्प लेते हैं और उसे पूरा करते हैं-महामंडलेश्वर आचार्य शेखर जी महाराज”

