परमहंस डॉ अवधेश पुरी महाराज ने लिखा CM को पत्र, कहा- मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारे में VIP कल्चर नहीं तो मंदिर में क्यों?

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विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सशुल्क दर्शन व्यवस्था को लेकर कड़ा विरोध शुरू हो चुका है। दर्शन शुल्क व वीआईपी कल्चर द्वारा गरीब और अमीर के बीच भेदभाव करने के आरोप लगने लगे हैं। अब संत अवधेशपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि एक भी मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारे में न तो वीआईपी कल्चर है और न ही दर्शन के नाम पर शुल्क लिया जाता है। तो मंदिरों में ऐसा क्यों? 

बता दें कि सशुल्क दर्शन व्यवस्था का संत समाज शुरू से विरोध कर रहा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि महाराज, जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर शैलेशानंद महाराज, पंचायती अखाड़ा निरंजनी के महामंडलेश्वर सुमनानंद के साथ ही स्वस्तिक पीठाधीश्वर क्रांतिकारी संत अवधेशपुरी महाराज शुल्क दर्शन व्यवस्था को गलत ठहरा चुके हैं। इस व्यवस्था को जल्द से जल्द बंद करने की मांग श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी महाकालेश्वर मंदिर मे दर्शन के नाम पर श्रद्धालुओं से प्रतिदिन लाखों रुपयों का शुल्क वसूला जा रहा है। अब संत अवधेशपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने सशुल्क दर्शन की इस व्यवस्था को श्रद्धालुओं में भेदभाव करने के साथ ही इसे नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकार समानता एवं धार्मिक स्वतंत्रता का हनन बताया है। 

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Mahakal: संत अवधेशपुरी ने लिखा CM को पत्र, कहा- मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारे में VIP कल्चर नहीं तो मंदिर में क्यों?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: दिनेश शर्मा Updated Wed, 10 May 2023 07:56 PM IST

सार

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महाकाल बाबा के दरबार में सशुल्क दर्शन व्यवस्था का संत समाज शुरू से विरोध कर रहा है। इसी को लेकर संत अवधेशपुरी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। 

Angry Saint Awadheshpuri wrote a letter to the CM over the paid darshan system in the Mahakal temple

उज्जैन में आम भक्तों से दूर होते महाकाल। – फोटो : अमर उजाला

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विस्तार

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सशुल्क दर्शन व्यवस्था को लेकर कड़ा विरोध शुरू हो चुका है। दर्शन शुल्क व वीआईपी कल्चर द्वारा गरीब और अमीर के बीच भेदभाव करने के आरोप लगने लगे हैं। अब संत अवधेशपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि एक भी मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारे में न तो वीआईपी कल्चर है और न ही दर्शन के नाम पर शुल्क लिया जाता है। तो मंदिरों में ऐसा क्यों? 

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बता दें कि सशुल्क दर्शन व्यवस्था का संत समाज शुरू से विरोध कर रहा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि महाराज, जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर शैलेशानंद महाराज, पंचायती अखाड़ा निरंजनी के महामंडलेश्वर सुमनानंद के साथ ही स्वस्तिक पीठाधीश्वर क्रांतिकारी संत अवधेशपुरी महाराज शुल्क दर्शन व्यवस्था को गलत ठहरा चुके हैं। इस व्यवस्था को जल्द से जल्द बंद करने की मांग श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी महाकालेश्वर मंदिर मे दर्शन के नाम पर श्रद्धालुओं से प्रतिदिन लाखों रुपयों का शुल्क वसूला जा रहा है। अब संत अवधेशपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने सशुल्क दर्शन की इस व्यवस्था को श्रद्धालुओं में भेदभाव करने के साथ ही इसे नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकार समानता एवं धार्मिक स्वतंत्रता का हनन बताया है। 

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स्वस्तिक पीठाधीश्वर क्रांतिकारी संत अवधेशपुरी महाराज – फोटो : सोशल मीडिया

उन्होंने लिखा है कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है, जिसे हिन्दूवादी सरकार माना जाता है, किंतु यह घोर आश्चर्य एवं विडंबना ही है कि ऐसी हिन्दूवादी सरकार के कार्यकाल में भी विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के दरबार में नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकारों का हनन किया जा रहा है। दर्शन शुल्क व वीआईपी कल्चर द्वारा गरीब और अमीर के बीच भेदभाव किया जा रहा है। गरीब भक्तों को भगवान से दूर किया जा रहा है। यह अत्यंत प्रासंगिक, आश्चर्यजनक एवं चिंतनीय विषय है कि, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समता का अधिकार देते हुए कहता है कि राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति के विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। भारत के संविधान के आधारभूत ढांचे के अंतर्गत आने वाला यह अनुच्छेद नैसर्गिक न्याय और कानून का शासन के सिद्धांत का प्रतिपादन करता है। यह नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा का मौलिक अधिकार है, किंतु इसका उल्लंघन करते हुए जहां एक भी मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारे में न तो वीआईपी कल्चर है और न ही दर्शन के नाम पर शुल्क लिया जाता है किंतु हिंदुओं के मंदिरों का पहले तो सरकारीकरण किया गया है और अब उन्हें व्यावसायिक केंद्र बनाते हुए श्रद्धालुओं से दर्शन का शुल्क लिया जा रहा है।

भक्तों को भगवान से किया जा रहा है दूर 
पत्र में लिखा गया है कि अनुच्छेद 25 सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने व प्रचार करने का अधिकार देता है तो फिर शासन एवं प्रशासन वीआईपी कल्चर व दर्शन शुल्क द्वारा भगवान महाकाल और उनके गरीब भक्तों के बीच में बाधा क्यों बन रहा है? भक्तों को भगवान से दूर क्यों कर रहा है? अनुच्छेद 26 हमें धार्मिक स्वतंत्रता धार्मिक संस्थाओं की स्थापना, संपत्ति का अर्जन, पोषण, स्वामित्व, प्रशासन एवं धार्मिक कार्यों के प्रबंधन का अधिकार देता है तो फिर हिंदू मठ मंदिरों को शासन द्वारा प्रशासित कर हिंदुओं के संवैधानिक मूल अधिकारों के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है?

वीआईपी कल्चर से दर्शन की टिकट न लेने वाले भक्त खुद को समझ रहे है अपमानित 
अवधेशपुरी महाराज ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार राज्य के व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रहे हैं। गरीबों को बीपीएल कार्ड बनाकर दे रहे हैं। उन्हें 5 किलो राशन देकर उपकृत कर रहे हैं। इतना ही नहीं अंतिम संस्कार के लिए कफन तक की व्यवस्था कर रहे हैं तो फिर उन्हीं गरीब भांजे व भांजियों से आप भगवान महाकाल के दर्शन का शुल्क कैसे ले सकते हैं? गरीबों और अमीरों के बीच भेदभाव कर गरीबों को भगवान से दूर कैसे कर सकते हैं? अतः आप गरीब भक्तों को भगवान से दूर न करें। भगवान महाकाल के दरबार में वीआईपी कल्चर के होने से भी गरीब भक्त अपने आपको छोटा एवं अपमानित अनुभव करता है। यह भी बंद होना चाहिए।

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