उज्जैन, मनोज उपाध्याय! मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उज्जैन के स्वस्तिक पीठाधीश्वर परमहंस डॉ अवधेश पुरी महाराज ने एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि महाकालेश्वर मंदिर में आम श्रद्धालुओं से दर्शन करने के नाम पर कर वसूलना और वीआइपी कल्चर बंद करने के बाबत, लेकिन महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन व्यवस्था के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश ऐसा प्रतीत होता है कि सिर्फ आम श्रद्धालुओं के लिए ही होते हैं वीआईपी और वीवीआईपी इस प्रकार के आदेशों के दायरे में नहीं आते हैं।
ज्ञात रहे कि दिनाँक 04 अप्रैल से कथावाचक प. प्रदीप मिश्रा जी की कथा में बडी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना के चलते दिनाँक 03 अप्रैल प्रातः 10 बजे से 10 अप्रैल तक गर्भगृह से दर्शन-पूजन श्रद्धालुओं हेतु बन्द रहेगा.यह फरमान महाकालेश्वर मंदिर समिति की तरफ से 1 दिन पहले आया था, लेकिन जानकारी यह भी है कि महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष एवं महाकाल मंदिर प्रशासक के पास कुछ विशेष अधिकार हैं जिसके तहत वीआईपी और वीवीआईपी गर्भ ग्रह में दर्शन इस दौरान भी कर सकेंगे, जिसके तहत आज महाकालेश्वर मंदिर गर्भ ग्रह में कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा सहित कुछ वीवीआइपी ने पूजा अर्चना की, इससे स्पष्ट है कि महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा जारी किया गया फरमान सिर्फ आम जनता के लिए ही है क्योंकि वीआईपी और वीवीआईपी का गर्भ ग्रह में जाना दर्शन करना पूजा अर्चना करना बदस्तूर जारी है।

उज्जैन के स्वस्तिक पीठाधीश्वर परमहंस डॉ अवधेश पुरी महाराज ने प्रदेश के मुखिया से पत्र लिखकर गुजारिश की है कि विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकार समानता एवं धार्मिक स्वतंत्रता के हनन यानी दर्शन शुल्क एवं वीआईपी कल्चर को बन्द किया जाए , अपने पत्र में परमहंस डॉक्टर अवधेश पुरी महाराज ने लिखा है कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है, जिसे हिन्दूवादी सरकार माना जाता है, किंतु यह घोर आश्चर्य एवं विडंबना ही है कि ऐसी हिन्दूवादी सरकार के कार्यकाल में भी विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के दरबार में नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकारों का हनन किया जा रहा है। दर्शन शुल्क व वीआईपी कल्चर द्वारा गरीब और अमीर के बीच भेदभाव किया जा रहा है। गरीब भक्तों को भगवान से दूर किया जा रहा है।
यह अत्यंत प्रासंगिक, आश्चर्यजनक एवं चिन्तनीय विषय है कि, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 विधि के
समक्ष समता का अधिकार देते हुए कहता है कि राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति के विधि के समक्ष समता से या विधियों के
समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। भारत के संविधान के आधारभूत ढांचे के अंतर्गत आने वाला यह अनुच्छेद नैसर्गिक न्याय (Natural Justice) और कानून का शासन (Rule of Law) के सिद्धांत का प्रतिपादन करता है। यह नागरिक के मानवाधिकारों की रक्षा का मौलिक अधिकार है, किंतु इसका उल्लंघन करते हुए जहाँ एक भी मस्जिद, गिरजाघर, चर्च या गुरुद्वारे में न ही वीआईपी कल्चर है और न ही दर्शन के नाम पर शुल्क लिया जाता है किंतु हिंदुओं के मंदिरों का पहले तो सरकारीकरण किया गया है और अब उन्हें व्यावसायिक केंद्र बनाते हुए हिंदू वीआईपी कल्चर विकसित करते हुए श्रद्धालुओं से दर्शन का शुल्क लिया जा रहा है।
अनुच्छेद 25 सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता धर्म को अवाध रूप से मानने, आचरण करने व प्रचार
करने का अधिकार देता है तो फिर शासन एवं प्रशासन वीआईपी कल्चर व दर्शन शुल्क के द्वारा भगवान महाकाल और
उनके गरीब भक्तों के बीच में बाधा क्यों बन रहा है? भक्तों को भगवान से दूर क्यों कर रहा है? अनुच्छेद 26 हमें धार्मिक स्वतंत्रता धार्मिक संस्थाओं की स्थापना, संपत्ति का अर्जन, पोषण, स्वामित्व, प्रशासन एवं धार्मिक कार्यों के प्रबंधन का अधिकार देता है तो फिर हिंदू मठ मंदिरों को शासन द्वारा प्रशासित कर हिंदुओं के संवैधानिक मूल अधिकारों के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है? अतः मैं एक संन्यासी होने के नाते अपने संन्यासी धर्म का पालन करते हुए आपसे आग्रह करता हूँ कि जब एक और आप एक धार्मिक स्वभाव के अति लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं। व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रहे हैं। गरीबों को बीपीएल कार्ड बना कर दे रहे हैं। उन्हें 5 किलो राशन देकर उपकृत कर रहे हैं। इतना ही नहीं अंतिम संस्कार के लिए कफन तक की
व्यवस्था कर रहे हैं तो फिर उन्हीं गरीब भांजे व भाजियों से आप भगवान महाकाल के दर्शन का शुल्क कैसे ले सकते हैं? गरीबों और अमीरों के बीच भेदभाव कर गरीबों को भगवान से दूर कैसे कर सकते हैं? अतः आप गरीब भक्तों को भगवान से दूर न करें भगवान महाकाल के दरबार में वीआईपी कल्चर के होने से भी गरीब भक्त अपने आपको छोटा एवं अपमानित अनुभव करता है। यह भी बन्द होनी चाहिए। इसे आप एक संत की पीड़ा, कर्तव्य, सुझाव अथवा आग्रह कुछ भी माने किंतु इस पर गंभीरतापूर्वक विचार कर दर्शन के नाम पर शुल्क की व्यवस्था एवं वीआईपी कल्चर को समाप्त करें। स्मरण रहे कि यह पत्र में सरकार के विरोधी के रूप में नहीं बल्कि एक शुभचिंतक होने के नाते लिख रहा हूँ क्योंकि इन व्यवस्थाओं को लेकर जनसामान्य में गहरा आक्रोश है, जिसका नुकसान हमें आगामी चुनावों में भी हो सकता है।
बहर हाल व्यवस्थाएं अगर अन्य मंदिरों की करें तो सोमनाथ, रामेश्वरम, तिरुपति बालाजी, आदि ऐसे कई मंदिर हैं जहां गर्भ ग्रह में प्रवेश पूर्णतः निषेध है चाहे वह कोई भी हो, बाबा महाकाल का शिवलिंग वैसे भी अधिक अभिषेक और पूजन सामग्री चढ़ाने की वजह से दिन प्रतिदिन क्षरण होता जा रहा है ऐसे में साधु-संतों सहित आम श्रद्धालुओं की भी यह मांग है कि बाबा महाकाल के गर्भ गृह में पूर्णतः प्रवेश निषेध किया जाना चाहिए सभी के लिए चाहे वह कोई भी हो।
