भ्रष्टाचार पर नगर निगम कमिश्नर के मौनव्रत का आखिर क्या कारण? 6 साल से उज्जैन की जनता सिटी बस सेवा से महरुम, जिम्मेदार आखिर कौन?

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भ्रष्टाचार पर नगर निगम कमिश्नर के मौनव्रत का आखिर क्या कारण?
6 साल से उज्जैन की जनता सिटी बस सेवा से महरुम, जिम्मेदार आखिर कौन?
उज्जैन, मनोज उपाध्याय। तपोभूमि से कालियादेह महल, इंजीनियरिंग कॉलेज से आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज, देवासगेट से नानाखेड़ा व छत्री चौक से अभिलाषा कॉलोनी देवास रोड , श्री सिंथेटिक से दानी गेट ,मुख्य रूप से ये वे रूट थे जिनके बीच उज्जैन शहर में सिटी बसें चला करती थी, लेकिन बड़े शर्म की बात है कि उज्जैन नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों के द्वारा सिटी बसों में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किए जाने के कारण उज्जैन की सारी सिटी बसें बंद कर दी गई हालात यह हैं कि पिछले 6 सालों से उज्जैन की जनता सिटी बसों की सेवा से महरूम हैं, जहां उज्जैन शहर में सिंहस्थ के समय 89 सिटी बसें चलती थी आज उज्जैन नगर निगम के करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की कारगुजारी के चलते उज्जैन शहर में मात्र एक सिटी बस देवास गेट से नानाखेड़ा तक चल रही है।
सिटी बसों में करोड़ों का भ्रष्टाचार नगर निगम के अधिकारियों ने किया है यह हम नहीं कह रहे हैं यह खुद नगर निगम के पूर्व कमिश्नर अंशुल गुप्ता ने करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार किए जाने के चलते नगर निगम के सिटी बस ट्रांसपोर्ट लिमिटेड के अधिकारी सुनील जैन, विजय गोयल सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस दिए थे लेकिन बड़े आश्चर्य की बात है कि नगर निगम कमिश्नर के नोटिस दिए जाने के बावजूद भी आज तक इन भ्रष्ट अधिकारियों पर वर्तमान नगर निगम कमिश्नर रोशन कुमार सिंह द्वारा कई महीने बीत जाने के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, ऐसे में सवाल यह है कि नगर निगम के आला अधिकारी का भ्रष्टाचार के खिलाफ मौन व्रत धारण करने का आखिर क्या कारण है?
आपको बता दें कि नगर निगम ने सिटी बस चलाने के लिए अर्थ कनेक्टिविटी को जिम्मेदारी दी थी लेकिन कई अनियमितताओं और नगर निगम में नियमानुसार पेमेंट जमा नहीं किए जाने के चलते इस कंपनी को डिफाल्टर घोषित कर दिया गया लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि उज्जैन नगर निगम के सिटी बस ट्रांसपोर्ट लिमिटेड के मुख्य अधिकारी द्वारा आज तक इस डिफाल्टर कंपनी से बसों का हैंडोवर नहीं लिया गया है और आलम यह है कि नगर निगम को लगभग 5 करोड़ से अधिक का पेमेंट अभी भी इस कंपनी से लेना बाकी है, और 89 बसों में से कई बसें आज भी उज्जैन नगर निगम डिपो में नहीं है, बावजूद इसके नगर निगम के अधिकारियों और सिटी बस संचालक की सांठगांठ के चलते अर्थ कनेक्टिविटी के मालिक द्वारा संचालित किए जाने वाली अन्य फर्म विनायक टूर एंड ट्रेवल्स को 25 सिटी बसों का टेंडर दे दिया गया , जिसका उल्लेख नगर निगम के पूर्व कमिश्नर द्वारा दिए गए नगर निगम के इन अधिकारियों को नोटिस में किया गया है।
सवाल यह है कि नगर निगम उज्जैन द्वारा विनायक टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी को 25 सिटी बस चलाने का टेंडर जारी किया था लेकिन इस कंपनी द्वारा नियमों को ताक पर रखकर उज्जैन में सिटी बस या ना चला कर ग्रामीण क्षेत्रों में सिटी बसें चलाई जा रही है और 25 सिटी बसों के टेंडर लेने के बावजूद भी महज 10 बसें ही संचालित की जा रही है और उसमें से भी उज्जैन शहर में सिर्फ एक बस नानाखेड़ा से देवास गेट के बीच चलाई जा रही है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि नगर निगम के आला अधिकारी द्वारा उक्त सिटी बस टेंडर धारी कंपनी को नियमों की अनदेखी करने के चलते टेंडर खारिज क्यों नहीं किया जा रहा है और सवाल यह भी है कि करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार करने वाले नगर निगम के अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?
बहर हाल उज्जैन की जनता लगभग पिछले 6 सालों से उज्जैन की जनता सिटी बस सेवा से महरूम है, और नगर निगम के आला अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और सिटी बसों में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार करने के बावजूद अधिकारी नगर निगम के अनेक विभागों में आज भी यथावत पदस्थ हैं, आखिर किस दबाव के चलते इन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है?


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