आज के इस युग में ब्राम्हण पीड़ित है, भगवान शंकर ने सारे जहां का जहर पिया ,लेकिन ब्राह्मण तो हर रोज जिंदगी का जहर पीते हैं और जीते हैं-महामंडलेश्वर श्री शैलेशानंद गिरि जी महाराज, कश्मीरी पंडितों और बंगाल के पीड़ित ब्राह्मणों का दर्द अगर इस पुस्तक “ब्राम्हण द ग्रेट” में है ,तो नियाज खान पर हमको गर्व होगा।

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आज के इस युग में ब्राम्हण पीड़ित है, भगवान शंकर ने सारे जहां का जहर पिया ,लेकिन ब्राह्मण तो हर रोज जिंदगी का जहर पीते हैं और जीते हैं-महामंडलेश्वर श्री शैलेशानंद गिरि जी महाराज,
कश्मीरी पंडितों और बंगाल के पीड़ित ब्राह्मणों का दर्द अगर इस पुस्तक “ब्राम्हण द ग्रेट” में है ,तो नियाज खान पर हमको गर्व होगा।
उज्जैन, (मनोज उपाध्याय)स्वामी ज्ञानानन्द तीर्थ जगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिर्मठ अवान्तर भानपुरा पीठ म० प्र० , महामंडलेश्वर अतुलेशानंद जी सरस्वती महाराज (आचार्य शेखरजी) ,महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा शैलेशानंद जी गिरी महाराज ,उपनिषद आश्रम के संस्थापक स्वामी वितरागानंद जी सरस्वती महाराज के आथित्य में आई ए एस अधिकारी एवं पुस्तक के लेखक नियाज खान द्वारा ब्राह्मणों पर लिखी पुस्तक “ब्राह्मण द ग्रेट” का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर श्री शैलेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि आज के इस युग में ब्राह्मण पीड़ित है, जो धर्म स्थलों का संवर्धन और संरक्षण पुरातन काल से करता आ रहा है,उनको आज “व्यापारिक केंद्र” बना दिया गया है, इस वक्तव्य को समझने के लिए हमें दिमाग पर ज्यादा जोर देने की आवश्यकता नहीं क्योंकि हिंदू धर्म के धार्मिक स्थलों का जबसे शासकीय अधिग्रहण हुआ है उसके बाद से लगातार शासन के नुमाइंदों द्वारा न सिर्फ ब्रह्मणों, पुरोहितों पर बल्कि सनातन धर्म के अनुयायियों पर भी अनेका अनेक तानाशाही नियम लागू करके सनातन धर्म के धार्मिक स्थलों को “व्यापारिक केंद्र” में परिवर्तित किया है, यही नहीं धार्मिक स्थल जो पौराणिक एवं वैज्ञानिक महत्व से निर्मित है उन्हें किसी धर्मगुरु एवं शास्त्रविद से परामर्श लिए बगैर मनमाफिक धर्म स्थलों में निर्माण कार्य एवं परिवर्तन किए जा रहे हैं, और सनातन धार्मिक स्थलों की पौराणिक परंपराओं को परे रखते हुए “व्यापारिकता “को प्राथमिकता दी जा रही है जो कि निसंदेह यह शासन प्रशासन के लिए एवं धर्मगुरुओं एवं धार्मिक संगठनों के लिए भी एक चिंतन का विषय है।
महामंडलेश्वर श्री शैलेशानंद गिरि महाराज ने “ब्राह्मण दी ग्रेट” पुस्तक के बारे में पुस्तक के लेखक आईएएस अधिकारी नियाज खान का विशेष ध्यान आकर्षण किया और कहा कि अगर इस पुस्तक में 250 कश्मीरी पंडित परिवारों का दर्द है, जिन पर आक्रांताओं ने अत्याचार करते हुए उन्हें वहां से भगा दिया, अगर इस पुस्तक में बंगाल के ब्राह्मणों का दर्द है, जो आज भी विभीषिका में जी रहे हैं,तो हमें आप पर गर्व है।
इस वक्तव्य से स्पष्ट संदेश है कि भारत में पिछले कुछ दशकों से ब्राह्मणों पर आक्रांताओं ने जो अत्याचार किए हैं उसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता, बात यहीं थम जाती तो भी सहनीय था लेकिन आजादी के बाद सत्ताधारीयों ने सत्ता के स्वार्थ के चलते संविधान में संशोधन कर संविधान को ढाल बनाकर आरक्षण प्रक्रिया लागू करते हुए सवर्णों पर न सिर्फ अन्याय किया बल्कि उनकी आने वाली पीढ़ियों को इस को दंश झेलने पर मजबूर किया , ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या लोकतंत्र के मंदिर में ब्राह्मणों के साथ न्याय की यही परिभाषा है?, निश्चित ही यह लोकतंत्र को न्याय संगत बनाने हेतु राजनैतिक संगठनों के लिए एक चिंतन का विषय है।
बहर हाल कहने को बहुत कुछ है , ब्राह्मण दी ग्रेट , आईएएस अधिकारी नियाज खान द्वारा लिखी गई इस पुस्तक में ब्राह्मणों के बारे में क्या उल्लेख किया गया है कहना जल्दबाजी होगी लेकिन ब्राम्हण अर्थात ब्रह्म, किस तरह से इस असंतुलित और विखंडित विश्व को संतुलित कर राष्ट्र निर्माण का कार्य वर्तमान परिस्थितियों में सिर्फ ब्राह्मण ही कर सकता है, इस तथ्य की तरफ लेखक ने इशारा किया है।


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