क्यों वीआईपी और सेलिब्रिटी खास हो जाते हैं बाबा महाकाल के दरबार में? इतना भेदभाव तो राजा महाराजा अपने दरबार में अमीरों और गरीबों के साथ भी नहीं होता था, जितना आज बाबा के भक्तों में हो रहा है आखिर क्यों महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन वीआईपी , वी वीआईपी और सेलिब्रिटी के दर्शन करने पर पलक पावडे बिछा देता है और आम श्रद्धालुओं की इतनी उपेक्षा क्यों?

0 minutes, 0 seconds Read
Spread the love


क्यों वीआईपी और सेलिब्रिटी खास हो जाते हैं बाबा महाकाल के दरबार में?
इतना भेदभाव तो राजा महाराजा अपने दरबार में अमीरों और गरीबों के साथ भी नहीं होता था, जितना आज बाबा के भक्तों में हो रहा है
आखिर क्यों महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन वीआईपी वी वीआईपी और सेलिब्रिटी के दर्शन करने पर पलक पावडे बिछा देता है और आम श्रद्धालुओं की इतनी उपेक्षा क्यों?
उज्जैन, (मनोज उपाध्याय)बाबा महाकाल का दरबार जितना बड़ा होता जा रहा है उतनी ही एक आम श्रद्धालु की दूरी भी बाबा महाकाल से बढ़ती जा रही है, हर दूसरे दिन महाकालेश्वर मंदिर के पंडे पुजारियों और महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन की ओर से फोटो और वीडियो बड़ी शान से जारी किए जाते हैं जिसमें वीआईपी वीवीआइपी दानदाता और सेलिब्रिटी के साथ महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी बड़ी अकड़ के साथ फोटो खिंचवाते हुए नजर आते हैं और बकायदा उनका सम्मान भी किया जाता है, इसमें कौन सी बड़ी बात है कि कोई क्रिकेटर अपनी पत्नी के साथ महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने आता है तो उसके दर्शन करने पर पूरा महाकाल मंदिर प्रशासन नतमस्तक होता नजर आता है, वह परिदृश्य ऐसा लगता है कि जैसे किसी सेलिब्रिटी या वीआईपी ने बाबा महाकाल के दर्शन करके उन पर कोई एहसान किया है,वहीं दूसरी और बाबा महाकाल के जितने करीब से दर्शन करना हो या स्पर्श करना हो तो उसकी अवज में उतना ही जेब से खर्च करना पड़ता है, तो वहीं एक आम श्रद्धालु भरी धूप में कई किलोमीटर पैदल चलकर जब बाबा के दरबार में पहुंचता है तब वह पाता है कि बाबा महाकाल की एक झलक उसे 100 फीट दूर एक शीशे में से कुछ क्षण के लिए नसीब हो पाती है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर बाबा महाकाल के भक्तों और श्रद्धालुओं के साथ यह भेदभाव करके किस बात का प्रदर्शन किया जा रहा है क्या बाबा महाकाल का दरबार व्यवसायिकरण की ओर अग्रसर हो रहा है?, और अगर ऐसा हो रहा है तो इसकी क्या आवश्यकता महसूस हो रही? और क्यों? किसके लिए? आखिर क्यों शासन प्रशासन के नुमाइंदे, मध्य प्रदेश सरकार और विशेषकर उज्जैन के जनप्रतिनिधि इस व्यवस्था पर अपनी जवाबदेही तय नहीं कर पा रहे हैं।
परमहंस डॉ अवधेश पुरी महाराज स्वस्तिक पीठाधीश्वर स्वस्तिक पीठ उज्जैन ने कुछ समय पूर्व इस व्यवस्था के चलते यह कहा था कि सिर्फ हिंदुओं के मठ मंदिरों पर शासन-प्रशासन पहले तो अवैध अधिग्रहण किया जा रहा है और उसके बाद श्रद्धालुओं से दर्शन करने के लिए जजिया कर वसूल किया जा रहा है शासन प्रशासन द्वारा क्यों अन्य धर्मों के धार्मिक स्थलों को अधिग्रहित नहीं किया जा रहा है, महाकालेश्वर मंदिर में जो श्रद्धालुओं से दर्शन करने की अवज में जो जजिया कर वसूल किया जा रहा है वह बाबा महाकाल के हर एक भक्तों के साथ अन्याय है जिसे तुरंत प्रभाव से बंद किया जाना चाहिए और बाबा महाकाल के दरबार में हर भक्त एक समान होता है वहां वीआईपी कल्चर पूरी तरीके से खत्म किया जाना चाहिए।
बहरहाल बाबा महाकाल के परिसर विस्तारीकरण के चलते अरबों रुपया खर्च किया जा रहा है और सैकड़ों परिवारों को घर से बेघर भी किया जा रहा है बावजूद इसके अगर एक आम श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन 100 फीट दूर लगे शीशे से करता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि अरबों रुपया खर्च किया जाना बेमानी है, और बेमानी है ऐसी आय जो बाबा महाकाल के दर्शन करने की अवज में अर्जित की गई हो, जिसके चलते एक साधारण श्रद्धालु के साथ अन्याय हुआ हो, लेकिन वह कहावत है की राजा करे वह न्याय, लाख विनती के बाद भी शासन-प्रशासन महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्था में वीआईपी कल्चर और जजिया कर वसूली को खत्म नहीं कर पाया है, और सवाल ऐसे में यह भी है कि जब बाबा महाकाल के दर्शन के अवज में कर वसूलना ही है, तब अरबों रुपया क्यों लगाया जा रहा है, जबकि बाबा महाकाल तो कैलाश पर्वत और स्मशान में धूनी रमाने में ही मस्त है उन्हें किसी सोना चांदी या अन्य आडंबरों की आवश्यकता नहीं है, और उनके दरबार में राजा और रंक सब एक समान है फिर बाबा महाकाल के दरबार को धन अर्जन का माध्यम क्यों बनाया जा रहा है?


Spread the love

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *