
“नगर निगम” का नाम “पूरा मिट्टी में मिलाई दिया*, अरे ओ सांभा क्या नाम रखे हैं इस सिटी का “सरदार स्मार्ट सिटी उज्जैन”, यहां तो हमसे भी बड़े बड़े….
तनख्वाह लाखों में लेकिन अधिकारियों की मानसिकता निचले स्तर की, कैसे उज्जैन नगर निगम नंबर वन बन पाएगा?, चारों ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला..
उज्जैन, कहते हैं ना कि जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो उस खेत की फसल को बचना नामुमकिन हो जाता है कुछ ऐसा ही हाल उज्जैन नगर निगम का हो रहा है जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला है नगर निगम उज्जैन का हर दूसरा अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्टाचार में संलिप्त है, हालात यह हैं कि नगर निगम के सहायक संपत्ति कर अधिकारी महज ₹2000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए हैं अब इससे अंदाजा लगाइए की नगर निगम उज्जैन में भ्रष्टाचार का स्तर कितना नीचे गिर गया है ऐसे में हम अगर उज्जैन को स्मार्ट सिटी बनाने की कल्पना करें तो शायद यह मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा प्रतीत होगा।
उज्जैन नगर निगम के जोन क्रमांक 5 के सहायक संपत्ति कर अधिकारी रमेश चंद्र रघुवंशी को काम के बदले ₹2000 की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त की टीम ने रंगे हाथ पकड़ा है और उनके ऑफिस से ही उनको गिरफ्तार किया गया है।
लेकिन इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि यह मामला महज ₹2000 रिश्वत का है नगर निगम में ऐसे ऐसे अधिकारी जिन्होंने करोड़ों रुपए का घोटाला किया हुआ है, बावजूद इसके बड़ी शान से नगर निगम के प्रमुख विभागों की जिम्मेदारियों से लेस होकर नगर निगम की कुर्सियों पर शान से विराजमान है जबकि नगर निगम के ही कमिश्नर ने करोड़ों रुपए के घोटाले करने पर उनको नोटिस पहुंचाए हैं , कई मामलों में जांच चल रही है लेकिन नतीजा जीरो बटा सन्नाटा, यहां वह कहावत सार्थक हो रही है कि जब सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का, कितने ही आला अधिकारी आए और कितने ही चले गए,लेकिन नगर निगम के इन भ्रष्टाचारी अधिकारियों का बाल भी बांका नहीं कर पाए, क्योंकि बड़े-बड़े बाहुबलीयों की सरपरस्ती इन पर जो ठहरी।
बहर हाल नगर निगम में यह भ्रष्टाचार का कोई नया मामला नहीं है, लेकिन इन सबके बीच हम अगर यह कल्पना करें कि उज्जैन स्मार्ट सिटी बनेगा ,विकास होगा और देश में नंबर वन कहलाएगा, बेमानी होगी।
