एक बच्चा तो अनपढ़ लेकिन कुपढ़ बच्चा?
उज्जैन,विक्रम उत्सव में राम कथा के दौरान कुमार विश्वास द्वारा संघ के विषय में जो अनपढ़ की बात कही गई थी वह एक बच्चे को अनपढ़ बताकर लीपापोती करने की कोशिश कुमार विश्वास द्वारा माफीनामा के साथ में की गई, लेकिन वामपंथी को कूपढ़ कहने पर किसी प्रकार की कोई सफाई और कोई माफीनामा प्रस्तुत नहीं किया गया, क्योंकि दूसरा बच्चा था ही नहीं वहां पर, हालांकि सच्चाई यह है कि कुमार विश्वास ने कहा कि देश में दो लोगों का झगड़ा चल रहा है एक वामपंथी है जिन्होंने पढा तो है लेकिन गलत पढा है और दूसरे ये है जिन्होंने कुछ पढ़ा ही नहीं है और कहते हैं कि हमारे वेदों में जबकि इन्होंने वेदों को देखा नहीं है,भाई पढ़ भी लो।
इस वक्तव्य से स्पष्ट है कि ये देश के लोग कोन हैं? कोई बच्चा वेदों का बखान भी नहीं कर रहा है और बच्चा एक ही है ऐसे में वामपंथी को जो कुपढ कहा है उसकी तो कोई सफाई हो ही नहीं सकती, और ना ही माफीनामा ,क्योंकि उस संगठन की ओर से इस बयान का ज्यादा विरोध नहीं किया गया।
लेकिन बावजूद इसके कुमार विश्वास ने अपने माफी नामे में “उल्टा चोर कोतवाल को डांटे” और “रस्सी जल गई पर बल नहीं गया ” वाली कहावत को साकार किया है।
बहरहाल सफाई और माफी नामे के बीच विक्रम उत्सव जारी है लेकिन यह पूरा वाक्या मध्य प्रदेश सरकार के मंच पर हुआ है और आने वाले चुनाव में इसका कितना असर होगा, कहना जल्दबाजी होगी।
