वीआईपी कल्चर ने महाकाल मंदिर में शिवरात्रि की व्यवस्था को किया ध्वस्त,
आम श्रद्धालुओं को प्रथम मंजिल के शीशे में से कराए दर्शन, जबकि वीआईपी को कार्तिकेय मंडप और नंदीहाल से

उज्जैन, महाकालेश्वर मंदिर में वीआईपी कल्चर शिवरात्रि पर्व पर सिर चढ़कर बोला और दर्शन व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया, एक तरफ जहां 3 किलोमीटर नंगे पांव भरी धूप में पैदल चलकर आम श्रद्धालु जब महाकालेश्वर मंदिर पहुंचते हैं तब उन्हें महाकालेश्वर मंदिर के प्रथम तल कार्तिकेय मंडपम के ऊपर लगे शीशे में से दर्शन कराए जाते हैं,

तो वहीं वीआईपी और वीवीआईपी नंदीहाल ,कार्तिकेय मंडपम से बड़ी सहजता से दर्शन करते हुए नजर आए, महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन वीआईपी कल्चर के सामने नतमस्तक हुआ।

महाकालेश्वर मंदिर में 6 से 8 लाख दर्शनार्थियों के दर्शन करने की डींगे हांकते हुए प्रशासन और महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन नहीं थक रहे थे ,चाक-चौबंद व्यवस्था की दुहाई दी जा रही थी लेकिन वास्तविकता में बाबा महाकाल के दर्शन के लिए सैकड़ों और हजारों किलोमीटर दूर से आने वाले आम श्रद्धालु को बाबा महाकाल के दीदार महज शीशे में से ही हो पाए, यही हाल बाबा महाकाल की वर्ष में एक बार दिन में होने वाली भस्म आरती के भी रहे, आम श्रद्धालुओं के दर्शन को भस्म आरती के वक्त बंद कर दिया गया और परिवार सहित नेता नगरी, पुलिस विभाग और शासन प्रशासन के नुमाइंदे नंदीहाल एवं कार्तिकेय मंडपम को सुशोभित करते हुए नजर आए, आम श्रद्धालुओं के लिए यहां कोई जगह नहीं थी, “यहां तक कि मीडिया के लिए भी पाबंदी लगाने की कोशिश की गई”, कुछ हद तक यह नजारा सही भी दिखा क्योंकि महाकालेश्वर मंदिर भी प्रशासन का और दर्शन करने वाले भी प्रशासनिक अधिकारी और उनके परिवार जन ,तो इसमें कोई गलत भी नहीं है आम श्रद्धालुओं का वैसे भी इसमें कोई स्थान दिखाई नहीं देता है।
प्रोटोकॉल व्यवस्था के नाम पर लूट मची हुई है, जहां महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने खुद माना कि प्रोटोकॉल व्यवस्था और भस्म आरती में प्रतिदिन 15 से 20 लाख रुपए का भ्रष्टाचार हो रहा था तो वहीं उज्जैन कलेक्टर एवं महाकालेश्वर मंदिर समिति अध्यक्ष का कहना है कि इस तरह का कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ, 15 से 20 लाख रुपए प्रतिदिन की आय जो पहले नहीं हो रही थी अब हो रही है ,ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर वास्तविकता क्या है? अगर 15 से 20 लाख रुपए प्रतिदिन का भ्रष्टाचार हो रहा है तो महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक बताएं कि आखिर यह भ्रष्टाचार कौन कर रहा है? ,आखिर क्यों मंदिर प्रशासन की ओर से इस भ्रष्टाचार का खुलासा नहीं किया जाता ?
बहर हाल महाकालेश्वर मंदिर में वीआईपी कल्चर के कारण आम श्रद्धालुओं के साथ अछूत सा व्यवहार आखिर कब तक होता रहेगा ?, इस चराचर जगत के पालनहार और तारणहार बाबा महाकाल जब अपने भक्तों में आम और खास का फर्क नहीं करते हैं तब ऐसे में इस धरती के तुच्छ प्राणी बाबा महाकाल के श्रद्धालुओं के साथ खुलेआम भेदभाव कर रहे हैं, और माया में वशीभूत होकर प्रशासनिक नुमाइंदे खुलेआम बाबा महाकाल के दर्शन के अवज में श्रद्धालुओं से पैसा लेकर लाखों की कमाई का बखान कर रहे हैं, अब ऐसे में इन पर गर्व करें या शर्म?, और ऐसे में आम श्रद्धालुओं के साथ हो रहे इस अन्याय का पाप का भागी कौन?
