
उज्जैन में “विकास” की खोज में निकलेंगे सम्राट विक्रमादित्य,
33 दिवसीय,31विभाग,और 21500 से अधिक कार्यकर्ताओं के साथ , फिर भी गरीबा गरीबी में उज्जैन में आयोजित होगा भव्य विक्रमोत्सव
उज्जैन, सम्राट विक्रमादित्य की महिमा का बखान करना 33 दिनों में तो क्या 330 दिनों में भी करना संभव नहीं है ,विक्रमादित्य” (102 ईसा पूर्व – 19 ईसवी), लोकप्रिय रूप से विक्रमसेन के रूप में जाना जाता है, यह भारतीय उपमहाद्वीप के आदित्य राजवंश के सम्राट थे। उनके साम्राज्य में भारतीय उपमहाद्वीप का एक बड़ा हिस्सा शामिल था, जो पश्चिम में वर्तमान सऊदी अरब से लेकर पूर्व में वर्तमान चीन तक फैला हुआ था, जिसकी राजधानी उज्जैन थी।
वर्तमान भारत से लगभग दोगुना साम्राज्य था सम्राट विक्रमादित्य का और उस साम्राज्य की राजधानी उज्जैन कहलाती थी लेकिन विडंबना देखिए की सम्राट विक्रमादित्य के साम्राज्य की राजधानी उज्जैन आज किस दौर से गुजर रही है , क्या सम्राट विक्रमादित्य ने उनके साम्राज्य की राजधानी वर्तमान उज्जैन जैसी होगी इसकी कल्पना की थी शायद नहीं ,क्योंकि सम्राट विक्रमादित्य के साम्राज्य की राजधानी उज्जैन की प्रजा के हालात इतने दयनीय हो चुके हैं कि यहां के लोकतांत्रिक राजा कहलाने वाले जनप्रतिनिधियों के राज में प्रजा 2 जून की रोटी के लिए भी जद्दोजहद करती नजर आ रही हैं, जहां की प्रजा के रोजगार के लिए बरसों से यहां कोई उद्योग नहीं है, करोड़ों खर्च करने के बाद भी मोक्षदायिनी क्षिप्रा बरसों से मेली और दूषित है, भ्रष्टाचार के आलम यह है कि गोचरण और सरकारी भूमि पर बड़ी-बड़ी कालोनियां भूमाफियाओं द्वारा काट दी गई है, पेयजल समस्या दिन प्रतिदिन विकराल रूप ले रही है आलम यह है कि उज्जैन की 70 से 80% कॉलोनियों में नगर निगम की पेयजल व्यवस्था नहीं होने की वजह से बोरिंग का पानी जनता पीने को मजबूर है, नगर निगम करोड़ों रुपए के कर्ज में डूबी हुई है और वही नगर निगम विक्रमोत्सव में डेढ़ करोड़ रुपए की कालगणना की घड़ी अर्थात वॉच टावर बनाएगा, जिससे शायद उज्जैन की जनता अपने भविष्य की काल गणना कर देख पाएगा कि उसका भविष्य क्या होगा, बड़े आश्चर्य की बात है कि उज्जैन में अरबो रूपया पानी की तरह बहाया जा रहा है लेकिन उज्जैन की जनता के उज्जवल भविष्य की कालगणना के बगैर, पिछले कई सालों से विक्रमोत्सव का आयोजन उज्जैन सहित अन्य शहरों में हो रहा है जिसमें करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, हाल ही में सुजलाम जल महोत्सव का 10 दिवसीय आयोजन हुआ जिसमें अनेक मंत्रालयों के द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए गए, उज्जैन की जनता के मन में सवाल यह है कि इन करोड़ों रुपयों के खर्च के आयोजनों से उज्जैन की जनता को क्या हासिल हुआ है, आखिर इन करोड़ों के खर्च से उज्जैन में किस प्रकार का विकास हुआ है, यह एक बहुत ही चिंतनीय विषय है क्योंकि शासन प्रशासन के नुमाइंदे करोड़ों रुपए मनमाने तरीके से खर्च कर रहे हैं लेकिन उज्जैन की जनता अभी भी विकास की बाट जोह रही है।
बहर हाल उज्जैन में 33 दिवसीय विक्रम महोत्सव का आयोजन हो रहा है और ऐसा कहा जा रहा है कि हर वर्ष यह 33 दिनों का ही मनाया जाएगा, बेशक सम्राट विक्रमादित्य के साम्राज्य की राजधानी उज्जैन की प्रजा के लिए यह बड़ा गर्व का विषय है लेकिन यह भी एक कटु सत्य है कि सम्राट विक्रमादित्य ने अपने साम्राज्य की राजधानी की कल्पना वर्तमान उज्जैन जैसी नहीं की होगी, जहां की जनता को अभी भी उज्जैन में” विकास ” का इंतजार है।
