साजिश सफल रही तो निगम को एक लाख रुपए प्रति दिन का होगा नुकसान, सिटी बसों में नगर निगम को करोड़ों का फटका लगाने की हो रही है तैयारी ,निगम को 20 हजार रूपए प्रति दिन का हो रहा है नुकसान

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साजिश सफल रही तो निगम को एक लाख रुपए प्रति दिन का होगा नुकसान,
सिटी बसों में नगर निगम को करोड़ों का फटका लगाने की हो रही है तैयारी,
निगम को 20 हजार रूपए प्रति दिन का हो रहा है नुकसान,
उज्जैन, जहां उज्जैन से महज 50 किलोमीटर दूर इंदौर नगर निगम द्वारा सोलर बिजली प्लांट डालने के लिए ग्रीन बॉन्ड जारी किए जिस पर जनता ने भरोसा जताया और महज ढाई घंटे में 650करोड़ के ग्रीन बॉन्ड भरे गए जिस पर मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने अभूतपूर्व कार्य करने के लिए इंदौर नगर निगम को बधाई दी, तो वहीं दूसरी ओर उज्जैन नगर निगम के अधिकारी भी एक बड़ी योजना को अंजाम देने में जुटे हुए हैं अगर यह योजना या यूं कहें कि साजिश सफल होती है तो नगर निगम को प्रतिदिन 1 लाख का नुकसान होगा।
सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश के दूसरे शहरों में भी इस प्रकार की योजना लागू किया जाना चाहिए, लेकिन उज्जैन की जनता का उज्जैन नगर निगम पर भरोसा करना असंभव सा लगता है ,इसे उज्जैन नगर निगम के भ्रष्टाचारी अधिकारियों की कारगुजारी का नतीजा कहें या उज्जैन के जनप्रतिनिधियों की नाकारा कार्यशैली कहें या यूं कहें कि उज्जैन का यह दुर्भाग्य है , क्योंकि उज्जैन नगर निगम के हालिया हालात यह है कि नगर निगम करोड़ों के कर्ज में दबी हुई है और इस करोड़ों रुपए के कर्ज के कर्णधार भ्रष्टाचारी नगर निगम के अधिकारी आज भी बकायदा नगर निगम की कुर्सी पर विराजमान है और भ्रष्टाचार की जांच के कई आदेश नगर निगम की अलमारियों में धूल खा रहे हैं।
आपको बता दें कि नगर निगम उज्जैन को सिंहस्थ के पहले 89 सिटी बसें शहर में चलाने के लिए दी गई थी जिसका उज्जैन नगर निगम ने अर्थ कनेक्टिविटी को संचालन का जिम्मा दिया लेकिन नगर निगम के भ्रष्टाचारी अधिकारियों की सांठगांठ के चलते कंपनी ने 89 बसों से करोड़ों रुपए की कमाई की, लेकिन नगर निगम को करोड़ों रुपए का फटका लगाया , विश्वस्त सूत्रों की माने तो हालात यह है कि कंपनी से आज भी लगभग 8 करोड़ से अधिक की लेनदारी नगर निगम कि बाकी है, और नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा अर्थ कनेक्टिविटी से बसे हैंडोवर भी अब तक नहीं ली गई है, लेकिन करोड़ों के भ्रष्टाचार में संलिप्त उक्त अधिकारियों पर नगर निगम के आला अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहे हैं जबकि भ्रष्टाचार की जांच के कई आदेश जारी हो चुके हैं लेकिन सभी आदेश नगर निगम की अलमारियों में धूल खा रहे हैं।
नगर निगम के वर्कशॉप प्रभारी विजय गोयल ने जानकारी देते हुए बताया है कि उज्जैन नगर निगम बोर्ड को 35 नई सिटी बसों के लिए प्रपोजल भेज दिया है और बोर्ड की मीटिंग के बाद इस पर फैसला लिया जा सकता है।
इससे स्पष्ट है कि आने वाले समय में उज्जैन नगर निगम को 35 से 50 नई इलेक्ट्रिक सिटी बस मिल सकती है लेकिन नगर निगम को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाने की साजिश की शुरुआत यहीं से होती है,नगर निगम में भ्रष्ट अधिकारियों की काली कारगुजारी के आलम यह है कि वर्तमान में एक अनुभवहीन बस संचालन कंपनी विनायक टूर एंड ट्रेवल्स को सिटी बस का टेंडर नियमों को ताक पर रखकर निगम के अधिकारियों ने दिया गया, जिसके चलते आश्चर्य की बात यह है कि 389 रुपए का टेंडर अस्वीकार करके वर्तमान में उज्जैन में सिटी बस का टेंडर महज 83 रुपए प्रतिदिन पर दिया गया है, कागजों में कंपनी को 25 बसों का टेंडर मिला होने के बावजूद महज 10 सिटी बसों का संचालन किया जा रहा है ,जिस पर भी सिटी बसें उज्जैन में नहीं चल कर ग्रामीण क्षेत्रों में चलाई जा रही है जिसके चलते बस संचालन करने वाली अन्य कंपनियों के मुताबिक प्रतिदिन 1500 से 2000 रुपए कमाई हो रही है लेकिन उसे मात्र ₹83 नगर निगम को देना होते हैं जिसके चलते नगर निगम को वर्तमान में 10 बसों से करीब 20 हजार रुपए प्रतिदिन की राजस्व हानि हो रही है,लेकिन सूत्रों से जानकारी यह भी है कि यह ₹83 प्रति दिन भी कंपनी द्वारा नगर निगम में जमा नहीं करवाया जा रहा है।
अब अगर नगर निगम उज्जैन को नई 35 इलेक्ट्रिक सिटी बस मिलती है तब ऐसे में विनायक टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी को 25 बसों के टेंडर के आधार पर नई बसों का टेंडर भी दिए जाने की संभावना है , यहां आपको बता दें कि पूर्व निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता द्वारा जून 2022 में दिए गए नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों को नोटिस में स्पष्ट कहा गया है कि दोनों सिटी बस संचालन कंपनी नाम अलग-अलग है लेकिन दोनों ही कंपनियों का संचालन करता एक ही है, बावजूद इसके इस जांच आदेश पर ना तो सिटी बस संचालक कंपनी पर और ना ही नगर निगम को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाने वाले भ्रष्ट अधिकारियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई, ऐसे में नई सिटी बसों के संचालन का जिम्मा भी डिफॉल्टर कंपनी को ही दिया जाता है तब नगर निगम उज्जैन को प्रतिदिन 1लाख रुपए की राजस्व हानि होने की संभावना है क्योंकि 35 नई सिटी बसें उज्जैन शहर एवं उज्जैन से अन्य शहरों में चलाई जाती है तब बस संचालन करने वाली अन्य कंपनियों के मुताबिक प्रति बस 2500 से 3000 प्रतिदिन बस संचालन कंपनी को मुनाफा होने की संभावना है, और वर्तमान में बस संचालन कंपनी नगर निगम को ₹83 प्रतिदिन प्रति वर्ष के हिसाब से दे रही है ऐसे में नगर निगम को प्रतिदिन लगभग एक लाख रुपए की राजस्व हानि होगी, और इस राजस्व हानि के कर्णधार भी नगर निगम के यही भ्रष्ट अधिकारी होंगे।
बहरहाल नगर निगम के हालिया आलम यह है कि नगर निगम करोड़ों रुपए के कर्ज में दबी हुई है करोड़ों रुपए की ठेकेदारों की देनदारी है और भ्रष्टाचारी अधिकारी अभी भी नगर निगम की कुर्सियों पर सुशोभित है जिन पर खुद पूर्व निगम आयुक्त के दिए हुए आदेश , जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि नगर निगम के अधिकारियों द्वारा करोड़ों की राजस्व हानि नगर निगम को पहुंचाई गई बावजूद इसके अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई, ऐसे में संभावना यह है कि नगर निगम के यह भ्रष्टाचारी अधिकारी और सिटी बस संचालन कंपनी की सांठगांठ से नई बसों के संचालन में निगम को करोड़ों का फटका लग सकता है।


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