“चुनावी दंगल” उज्जैन उत्तर और दक्षिण में कांटे का दंगल कराएगा दंगल आने वाले विधानसभा चुनाव में, उज्जैन में होगा “कांटे का दंगल” उत्तर और दक्षिण दोनों के उम्मीदवार बदले जाने के संकेत

0 minutes, 1 second Read
Spread the love

“चुनावी दंगल”
उज्जैन उत्तर और दक्षिण में कांटे का दंगल कराएगा दंगल
आने वाले विधानसभा चुनाव में, उज्जैन में होगा “कांटे का दंगल”
उत्तर और दक्षिण दोनों के उम्मीदवार बदले जाने के संकेत
उज्जैन,(मनोज उपाध्याय) 2018 के मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के गढ़ कहे जाने वाले उज्जैन जिले में सात में से महज 3 सीटें ही भाजपा की झोली में आई थी ,उज्जैन उत्तर, दक्षिण और महिदपुर, यहां सीधे-सीधे 4 सीटों का नुकसान हुआ था, जिसमें बड़नगर ,घटिया, तराना, नागदा खाचरोद, जिसके चलते मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार बनते बनते रह गई थी ।
आने वाले मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव बड़े दिलचस्प होने वाले हैं क्योंकि इसमें उज्जैन जिले में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है, ऐसा इसलिए हैं क्योंकि हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक उज्जैन उत्तर और दक्षिण की सीट पर भी “कांटे के दंगल” के बादल मंडरा रहे हैं, भाजपा के दोनों उम्मीदवारों के नए चेहरे देखने को मिल सकते हैं।
मध्यप्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनाव की टिकट वितरण समिति के सदस्य पूर्व सांसद डा सत्यनारायण जटिया का जन्मदिन बहुत धूमधाम से हाल ही में उज्जैन में मनाया गया और इस जन्मदिन के उपलक्ष में कांटे का दंगल भी रखा गया, जिसके आने वाले चुनाव के लिए बहुत कुछ मायने देखे जा रहे हैं, इस दंगल के उखाड़ पछाड़ में उज्जैन के बहुत से भाजपा नेता सियासी पटखनी खा सकते हैं।
आज हम बात सिर्फ उज्जैन शहर की ही करेंगे ,जिसमें उज्जैन दक्षिण की बात करें तो इसमें प्रमुख रूप से विभाष उपाध्याय, जय सिंह दरबार, प्रदीप पांडे, इकबाल सिंह गांधी और डॉ मोहन यादव, इन सभी में से विभाष उपाध्याय और जय सिंह दरबार की मजबूत दावेदारी मानी जा रही है।
वहीं उज्जैन उत्तर की बात करें तो सोनू गहलोत,अनिल जैन कालूहेडा,और राजेंद्र भारती, इनमें से भी सोनू गहलोत और अनिल जैन कालूखेड़ा की मजबूत दावेदारी मानी जा रही है, विश्वस्त सूत्रों की मानें तो उज्जैन उत्तर और उज्जैन दक्षिण दोनों सीटों में नए चेहरे को टिकट दिया जाएगा ऐसी प्रबल संभावना है।
अभी हम सिर्फ और सिर्फ उज्जैन शहर की दोनों सीटों पर बात कर रहे हैं और इस अंक में भी भाजपा के उम्मीदवारों के बारे में ही बात कर रहे हैं।
उज्जैन उत्तर की बात करें तो यहां भाजपा के विधायक उम्मीदवार को बदलने की बात पिछले दो चुनावों से की जा रही है, इसके पीछे कहीं ना कहीं सबसे बड़ा कारण सिंहस्थ क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण को रोकने में वर्तमान विधायक पूर्ण रूप से नाकाम साबित हुए हैं, इसके साथ ही सिंहस्थ में हुए विकास कार्यों के अलावा अन्य जनता से सीधे जुड़े हुए विकास के मुद्दों पर खरे नहीं उतरे हैं।
वहीं अगर दक्षिण की बात करें तो पिछले 10 सालों में सिंहस्थ में हुए कार्यों के अलावा यहां भी कुछ नया देखने को नहीं मिला है, उज्जैन के नए शहर और पुराने शहर को जोड़ने वाले फ्रीगंज ओवर ब्रिज के समानांतर एक और ब्रिज बनाने की योजना पिछले 10 सालों से बन रही है और बाद में स्थगित कर दिया जाता है, उज्जैन दक्षिण में भी इंदौर रोड के सिंहस्थ क्षेत्र में लगातार बहुत तेजी से अतिक्रमण करके अवैध कालोनियों का निर्माण किया जा रहा है जिनमें जीवन खेड़ी, सांवरा खेड़ी ,दाऊद खेड़ी प्रमुख है, बढ़ती हुई जनसंख्या और हर सिंहस्थ में बढ़ते मेला क्षेत्र के चलते मास्टर प्लान में उज्जैन दक्षिण के इन हिस्सों को आवासीय किए जाने पर रोक लगाई गई थी लेकिन उज्जैन दक्षिण के विधायक द्वारा 2016 के सिंहस्थ में इस क्षेत्र का उपयोग सिर्फ सैटेलाइट टाउन के लिए किया गया था इसका हवाला देते हुए मास्टर प्लान में बदलाव करने की वकालत की थी, जिसके चलते साधु-संतों में सिंहस्थ क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण को लेकर घोर विरोध किया था, एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व एवं वर्तमान अध्यक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई , इसके अलावा उज्जैन के सांसद अनिल फिरोजिया ने भी आपत्ति दर्ज कराई थी,बावजूद इसके इन क्षेत्रों में लगातार अतिक्रमण बढ़ रहा है जिसे रोकने में वर्तमान विधायक नाकाम साबित हुए हैं।
इसके अलावा उज्जैन शहर की जनता से सीधे जुड़े मुद्दे ,जिसमें शासकीय मेडिकल कॉलेज,क्षिप्रा शुद्धिकरण, खान नदी डायवर्सन, शहर के दोनों हिस्सों में बने बस स्टैंड अव्यवस्थाओं से ग्रसित हैं (शहर में बने देवास गेट बस स्टैंड आसपास की घनी आबादी के कारण ट्राफिक जाम एवं अन्य समस्याओं से ग्रसित है वहीं शहर का दूसरा नानाखेड़ा बस स्टैंड जो की करोड़ों की लागत से बनने के बाद भी बदहाली का शिकार हो रहा है), शहर की पेयजल व्यवस्था (शहर का एकमात्र पेयजल स्रोत गंभीर डेम जिसकी अवधि लगभग पूर्ण हो चुकी है पिछले 30 सालों में गंभीर डेम आधे से ज्यादा गाद से भर चुका है और शहर में बढ़ती जनसंख्या के चलते पेयजल का नया स्त्रोत निर्मित किया जाना चाहिए था), पिछले 10 सालों की बात करें तो उज्जैन में एक भी बड़ा उद्योग यहां के जनप्रतिनिधि स्थापित नहीं करा पाए, जिसके चलते उज्जैन के युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं और अन्य शहरों पर निर्भर हैं, उपरोक्त सभी प्रमुख मुद्दे हैं जो जनता से सीधे जुड़े हुए हैं , जिनका निराकरण करने में वर्तमान उत्तर एवं दक्षिण के विधायक नाकाम साबित हुए हैं, यह निष्कर्ष उपरोक्त मुद्दों पर हुए सर्वे में निकल कर आया है, जिसमें जनता वर्तमान जनप्रतिनिधियों को अपने वादों पर खरा उतरता नहीं देख पाई है।
बहर हाल उज्जैन में पूर्व सांसद एवं श्रम मंत्री डॉ सत्यनारायण जटिया के जन्मदिन पर हुए कांटे के दंगल के साथ ही उज्जैन में आने वाले विधानसभा के लिए कांटे के दंगल की शुरुआत हो चुकी है और इस दंगल में कौन किसको पटखनी देता है यह तो वक्त ही बताएगा ,लेकिन अब वक्त बदल चुका है और दिल्ली में बैठे हुए बड़े-बड़े नेताओं के चेहरों पर जनता अपने स्थानीय जनप्रतिनिधियों को चुनने से परहेज कर सकती है ,क्योंकि स्थानीय मुद्दों का सीधे-सीधे सरोकार स्थानीय जनप्रतिनिधियों से होता है और स्थानीय जनप्रतिनिधि स्थानीय मुद्दों को लेकर खरे नहीं उतरते हैं यही उनकी हार और जीत का प्रमुख कारण बनता है और इसका सीधा सीधा असर प्रदेश की सरकार बनाने पर भी पड़ता है, सूत्रों और सर्वे की माने तो उज्जैन उत्तर और दक्षिण में अगर भाजपा अपने पुराने चेहरों को रिपीट करती है तो उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है, अगलेअगले अंक में उज्जैन शहर में कांग्रेस एवं जिले की अन्य तहसील क्षेत्रों से जुड़े भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।


Spread the love

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *