क्यूआर कोड घोटाले की जांच 1 साल के बाद भी नहीं हुई, आखिर क्यों? महाकालेश्वर मंदिर के अकाउंट क्यूआर कोड के नीचे अपना मोबाइल नंबर लिखकर सेंधमारी करने वाला अकाउंटेंट आज भी मंदिर समिति का अकाउंटेंट बना हुआ है, कैसे?

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क्यूआर कोड घोटाले की जांच 1 साल के बाद भी नहीं हुई, आखिर क्यों?
महाकालेश्वर मंदिर के अकाउंट क्यूआर कोड के नीचे अपना मोबाइल नंबर लिखकर सेंधमारी करने वाला अकाउंटेंट आज भी मंदिर समिति का अकाउंटेंट बना हुआ है, कैसे?
उज्जैन, 2021 में महाकालेश्वर मंदिर के बैंक अकाउंट में बड़ी गड़बड़ी देखने को मिली थी , महाकाल मंदिर समिति के अकाउंट में काम करने वाले एक कर्मचारी ने मंदिर समिति के क्यूआर कोड के नीचे अपना मोबाइल नंबर डाल दिया था. इस वजह से यूपीआई के माध्यम से आया दान सीधा उस कर्मचारी के निजी खाते में चला जाता था।
दरअसल महाकालेश्वर मंदिर में वर्षों से अकाउंट्स में काम करने वाले विपिन ऐरन ने अपने व्हट्सप के स्टेटस और महाकाल मंदिर कार्यालय में लगे बारकोड के नीचे अपना मोबाइल नंबर डाल दिया था. यह मोबाइल नंबर कर्मचारी के बैंक अकाउंट से जुड़ा था, जिस वजह से दान का पैसा सीधे उसके अकाउंट में जा रहा था, बता दें कि दान राशि महाकाल मंदिर के बैंक अकाउंट में सीधे जाती है, लेकिन जब राशि खाते में नहीं पहुंची तो मामले की जानकारी लगी,मामले की जानकारी लगने के बाद उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने इस पर नाराजगी जताई थी,एवम मंदिर समिति के तत्कालीन प्रशासक सुजान सिंह रावत को जांच के आदेश भी दिए थे, लेकिन वास्तविकता यह है कि इस “बार कोड मामले की जांच हुई ही नहीं”, महाकालेश्वर मंदिर समिति के अधिकारी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं और अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं, करीब 1 साल से अधिक समय हो चुका है लेकिन अभी तक इस मामले की कोई जांच नहीं हुई है,ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर महाकालेश्वर मंदिर समिति के अकाउंट में घपला करने वाले कर्मचारियों को जांच नहीं करके कौन बचाना चाहता है?
ज्ञात रहे कि महाकाल मंदिर समिति के अकाउंट डिपार्टमेंट के कर्मचारी विपिन एरन के द्वारा मंदिर समिति के अकाउंट बारकोड के नीचे अपना बैंक खाता नंबर से अटैच मोबाइल नंबर डालने के बाद मंदिर के अकाउंट में घोटाला करने की सूचना के बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने जांच के आदेश दिए थे, लेकिन कुछ दिनों बाद सुजान सिंह रावत का ट्रांसफर कर दिया गया और उसके बाद जांच के आदेश महज आदेश बनकर ही रह गए।
मामले में सूत्रों से जानकारी लगी है कि महाकालेश्वर मंदिर के अकाउंट क्यूआर कोड पर कर्मचारी विपिन एरन के अकाउंट से जुड़े मोबाइल नंबर प्रिंट किया हुआ है जिसकी बैंक भी अलग है ऐसे में दोनों बैंकों के अधिकारियों का कहना है कि जब भी बैंक अकाउंट का बारकोड जारी होता है तब वह सिर्फ उसी बैंक अकाउंट से जुड़े मोबाइल नंबर या यूपीआई कोड को नीचे लिखा जा सकता है लेकिन किसी अन्य व्यक्ति या बैंक का यूपीआई कोड या मोबाइल नंबर दर्ज नहीं किया जा सकता, अगर कोई ऐसा करता है तो यूपीआई कोड के माध्यम से खाते में हुआ लेनदेन दूसरे अकाउंट में जमा हो सकता है।
इस मामले में तत्कालीन प्रशासक सुजान सिंह रावत ने बताया कि मामले में जांच हुई या नहीं कुछ स्पष्ट नहीं कह सकता क्योंकि मामले के बाद मेरा ट्रांसफर हो चुका था।
सूत्रों से जानकारी यह भी है कि महाकालेश्वर मंदिर के सहायक प्रशासक आर के तिवारी को मामले की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन इस मामले में जब हमने सहायक प्रशासक आर के तिवारी से जानकारी मांगी तो उनका कहना है कि इस मामले में मेरे पास आज तक कोई जांच के आदेश नहीं आए हैं और जब जांच के आदेश मुझे नहीं मिले हैं तो जांच होने का सवाल ही नहीं उठता।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि एक 1 साल से अधिक समय बीतने के बाद भी महाकालेश्वर मंदिर समिति के अकाउंट ,जहां लाखों रुपए प्रति दिन जमा और खर्च होते हैं उस अकाउंट में सेंध लगाने वाले महाकालेश्वर मंदिर के अकाउंट डिपार्टमेंट के कर्मचारी की कारगुजारी की जांच अभी तक आखिर क्यों नहीं की गई, आपको बता दें कि इस कर्मचारी का महाकालेश्वर मंदिर समिति में इतना दबदबा है कि सिर्फ इसी कर्मचारी की कुछ माह पूर्व इस अकेले कर्मचारी की 40% वेतन वृद्धि की गई थी, महाकालेश्वर मंदिर में सिर्फ इसी कर्मचारी की इतनी वेतन वृद्धि हुई थी आखिर क्या कारण है कि इस एक कर्मचारी कि इतनी भारी-भरकम वेतन वृद्धि की गई थी और महाकालेश्वर मंदिर समिति के अकाउंट में सेंधमारी लगाने के बाद भी यह कर्मचारी आज भी महाकालेश्वर मंदिर समिति के अकाउंट डिपार्टमेंट में ही काम कर रहा है, जानकारी है कि विपिन एरन महाकालेश्वर मंदिर के अकाउंट डिपार्टमेंट में कई सालों से कार्य कर रहा है और इसकी कारगुजारी की पूछताछ करने वाला कोई नहीं है, इस मामले में महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष एवं उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
बहरहाल इतने संवेदनशील मामले की जांच 1 साल से अधिक समय के बाद भी नहीं होना, और विपिन ऐरन का अभी भी अकाउंट डिपार्टमेंट में ही कार्यरत होना बहुत कुछ कहता है ऐसे में महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष जिन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए थे लेकिन जांच नहीं हुई ऐसे में क्या मंदिर समिति के अध्यक्ष इस मामले की जांच के आदेश पुनः देंगे?, क्योंकि महाकालेश्वर मंदिर समिति के अकाउंट में सेंधमारी करने वाला अकाउंटेंट आज भी महाकालेश्वर मंदिर समिति के अकाउंट डिपार्टमेंट में ही काम कर रहा है, ऐसे में इस कर्मचारी ने मंदिर समिति के अकाउंट में कितनी सेंधमारी की होगी, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, बहोत जल्द इस मामले में हमारे द्वारा की गई पड़ताल की जानकारी से आगे पर्दा उठाएंगे।


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