
दाद देनी होगी ,महाकाल लोक के अति सुगम रास्तों की योजना बनाने वाले अधिकारियों की,
कल के महाकाल क्षेत्र के हाल देखकर तो ऐसा लगता है कि सिंहस्थ में यहां पांव रखना तो दूर देखना भी दूभर हो जायेगा
उज्जैन, नए साल के पहले दिन महाकालेश्वर मंदिर एवम महाकाल लोक में सिंहस्थ 2028 की मॉक ड्रिल सा नज़ारा दिखा ,महज 4से 5 लाख श्रद्धालुओं ने उज्जैन के जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को आंखें खोलने पर मजबूर कर दिया, महाकाल लोक एवं महाकालेश्वर मंदिर के आसपास का क्षेत्र लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया, लेकिन इन सबके बीच में जनता का कहना है कि हम यह नहीं कहेंगे कि यातायात व्यवस्था चौपट हो गई बल्कि सच्चाई यह है कि महाकाल लोक के निर्माण की योजना चौपट हो गई, 600 करोड़ की इस योजना को बनाने वाले बुद्धिजीवी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने महाकाल लोक तक पहुंचने के रास्तों की योजना किस कदर विफल हुई है यह आज सिंहस्थ से पहले की मॉक ड्रिल से साबित हो गया।

महाकाल लोक के रास्तों की अव्यवस्था को हम इस प्रकार समझ सकते हैं कि जब आम दिनों में ही महाकाल लोक पहुंच मार्ग हरी फाटक ओवर ब्रिज ,हरसिद्धि ,जय सिंह पुरा,बेगम बाग पर ट्रैफिक जाम लगा रहता है, ऐसे में विशेष वार त्योहारों पर विशेष ट्रैफिक जाम की स्थिति बने तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है सवाल यह है कि 600 करोड़ की योजना बनाने वाले अधिकारियों की बुद्धिमत्ता कितने विशिष्ट स्तर की है इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि महाकाल लोक तक पहुंचने का एक भी मार्ग ऐसा नहीं है जहां से सुगमता से श्रद्धालु पहुंच सके। महाकाल लोक के प्रथम फेस के निर्माण कार्य के दौरान स्थानीय प्रशासन द्वारा ली गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाकाल लोक तक पहुंचने के रास्तों पर पत्रकारों ने सवाल किया था लेकिन बुद्धिजीवी प्रशासनिक अधिकारियों ने इसे बड़े हल्के में लिया था, प्रशासनिक अधिकारियों ने दावा किया था कि महाकाल ओवर ब्रिज की चारों भुजाओं का चौड़ीकरण होगा, महाकाल लोक में मल्टी लेवल पार्किंग बनाई जाएगी जहां सैकड़ों वाहन सुगमता से पार्क किए जा सकेंगे, जयसिंह पुरा रेलवे क्रॉसिंग पर ओवर ब्रिज का निर्माण किया जाएगा लेकिन इनमें से एक भी योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका, ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर महाकाल लोक एवं महाकाल मंदिर तक पहुंचने के मार्ग को सुगम बनाने में बाधा आखिर कौन बना,आखिर 600 करोड़ की योजना को चौपट करने का जिम्मेदार आखिर कौन है जनप्रतिनिधि या अधिकारी?

“इन सब परिस्थितियों के स्थाई हल के लिए क्या हैं ठोस उपाय”
इन सब परिस्थितियों से स्पष्ट है कि महाकालेश्वर मंदिर के आसपास के क्षेत्र में हो रहे कार्यों पर ठोस नीति नहीं बनाई गई , महाकालेश्वर मंदिर के सामने के क्षेत्र में आनन-फानन में कुछ मकानों तोड़ दिया गया और उसके बाद राजनीतिक दबाव के चलते स्थिति को जस की तस छोड़ दिया गया आलम यह है कि महाकालेश्वर मंदिर के सामने के क्षेत्र में चारों तरफ मलवा पसरा है और महाकाल मंदिर के सामने के विस्तार की योजना ठप हो चुकी है, जरूरत इस बात की है कि महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य मार्ग से श्रद्धालुओं को सुलभता से महाकालेश्वर मंदिर तक पहुंचाना है तो महाकालेश्वर मंदिर के सामने के मुख्य मार्ग का चौड़ीकरण किया जाना आवश्यक है।
माधवगंज स्कूल के सामने बने महाकाल लोक के द्वार का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि उस मार्ग को पतरे लगाकर बंद कर दिया गया है, जरूरत इस बात की है कि नीलगंगा से माधवगंज स्कूल तक अंडरपास ब्रिज का निर्माण किया जाए ताकि श्रद्धालुओं को सीधे महाकाल लोक तक पहुंचाया जा सके।
हरसिद्धि से बड़ा गणेश मंदिर मार्ग पर सबसे ज्यादा ट्राफिक का लोड रहता है, जरूरत इस बात की है कि इस मार्ग को फोरलेन किया जाए, ताकि महाकाल मंदिर तक लाखों लोगों की आवाजाही सुलभ हो सके।
जंतर मंतर से लेकर चार धाम मंदिर तक चौड़ीकरण और रेलवे क्रॉसिंग पर ओवर ब्रिज का निर्माण करना आवश्यक है जिससे इंदौर रोड ,बड़नगर रोड से आने वाले ट्रैफिक को सीधे चार धाम मंदिर तक पहुंचाना सुलभ हो सके।
बहर हाल सिंहस्थ 2028 में अभी भी समय है और समय रहते अगर शासन-प्रशासन महाकालेश्वर मंदिर एवं महाकाल लोक तक पहुंचने के मार्ग पर ठोस रणनीति अगर तैयार नहीं करता है तो आने वाले सिंहस्थ में क्राउड मैनेजमेंट पूरी तरह से फेल हो जाएगा इसमें कतह भी संदेह नहीं है, और महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र में क्राउड बढ़ने से कोई अप्रिय घटना होने की संभावना भी हो सकती है,जिसके जिम्मेदार मौजूदा प्रशासनिक अधिकारी एवं मध्य प्रदेश सरकार होगी।
