
नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी की छत्रछाया में नगर निगम में वाहन भ्रष्टाचार,
नगर निगम में 100 फ़ीसदी वाहन इस भ्रष्टाचारी अधिकारी की छत्रछाया में चल रहे हैं
उज्जैन, नगर निगम उज्जैन के आलम यह है कि हर दूसरा अधिकारी भ्रष्टाचार की सारी हदें पार करता नजर आ रहा है, नगर निगम में कई सालों से कार्यरत एक अधिकारी जिसको उज्जैन के कुछ बाहुबली नेताओं की सरपरस्ती है इसी के चलते वह उज्जैन नगर निगम के डिपो में कई सालों से चिपके हुए हैं और उज्जैन नगर निगम में सौ फ़ीसदी वाहन न सिर्फ उनकी देखरेख में चल रहे हैं बल्कि इन वाहनों में उनकी और वाहन मालिकों की सांठगांठ के चलते बराबर की हिस्सेदारी भी है, आलम यह है कि नगर निगम के अधिकारियों के यहां अटैच लग्जरी वाहन से लगाकर डंपर, ट्रैक्टर, जेसीबी आदि सैकड़ों वाहन नगर निगम में इनके द्वारा अटैच किए गए हैं, विश्वस्त सूत्रों से जानकारी यह भी है कि सिटी बस के संचालकों के साथ भी इनकी गहरी सांठगांठ है और सिटी बस के संचालक एवम ग्लोबल कंपनी संचालक के साथ भी बराबर की हिस्सेदारी है, जिसके चलते उज्जैन नगर निगम को करोड़ों रुपए की राजस्व हानी हो रही है, अपनी इस बाहुबली सरपरस्ती के चलते नगर निगम के आला अधिकारी भी कितने ही आए और कितने ही चले गए लेकिन इस भ्रष्ट अधिकारी की कुर्सी को आज तक निगम का कोई आला अधिकारी नहीं हिला पाया है ,नगर निगम में इनका बेस इतना मजबूत है कि इनको दूसरा निगमायुक्त कहा जाता है।
नगर निगम में भ्रष्टाचार का जाल इतना बड़ा है कि नगर निगम में कितने ही वाहन महज कागजों पर चल रहे हैं और बकायदा उनमें कागजों में डीजल भी डाला जा रहा है, एक ही वाहन के चार चार फेरे कागजों में दिखाए जा रहे हैं, और फर्जी वाहन चालकों को वेतन भत्ता भी दिखाया जारहा है जिससे नगर निगम को लाखों रुपए प्रतिमाह का चूना लगाया जा रहा है,नगर निगम के कई वाहन गैर पेशेवर वाहन चालकों के द्वारा चलाए जा रहे हैं। नगर निगम के आला अधिकारी द्वारा नगर निगम में संचालित वाहनों के संचालन की जांच कराने पर यह करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है और इस भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारी का पर्दाफाश हो सकता है।
नगर निगम की कचरा गाड़ी का एक मामला हाल ही में सामने आया है जिसमें वाहन चालक द्वारा अलग धाम के ग्राउंड में कचरा उड़ेला जा रहा था तभी स्थानीय लोगों ने वाहन चालक को पकड़ लिया और पूछताछ करने पर वह कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया और उसके पास नगर निगम के वाहन चालक का परिचय पत्र भी नहीं था, यह तो एक उदाहरण है शहर में नगर निगम के कई कागजों में फर्जी वाहन और वाहन चालक चल रहे हैं और नगर निगम द्वारा लाखों रुपए प्रतिदिन का खर्चा कागजों में दिखाया जा रहा है।
गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व नगर निगम के वाहन से डीजल चोरी का एक मामला सामने आया था जिसमें पकड़े जाने पर ड्राइवर द्वारा बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर बताया गया था कि वाहन का टैंक फूट गया था जिसकी सूचना नगर निगम के इसी भ्रष्ट अधिकारी को दी गई थी लेकिन जवाब में वाहन को ऐसी स्थिति में चलाने को कहा गया था, लेकिन तत्कालीन निगमायुक्त ने नगर निगम के दूसरे अधिकारियों के द्वारा जांच कराने पर मामला डीजल चोरी का निकला और उक्त वाहन चालक को निगम आयुक्त द्वारा सस्पेंड किया गया था, लेकिन अपनी राजनीतिक पहुंच के चलते उक्त अधिकारी पर नगर निगम के आला अधिकारी भी कार्रवाई करने से बचते नजर आते रहे हैं।
बहर हाल नियम यह कहता है कि कोई भी सरकारी अधिकारी किसी भी विभाग में 3 साल से अधिक सेवा नहीं दे सकता है ,3 साल के बाद उसे अन्य स्थान पर ट्रांसफर किया जाना चाहिए लेकिन बाहुबली नेताओं की सरपरस्ती के चलते अधिकारी एक ही जगह पर सालों से चिपके हुए हैं और उस विभाग को भ्रष्टाचार के माध्यम से दीमक की तरह खोखला कर रहे हैं, जरूरत इस बात की है कि नगर निगम के आला अधिकारी को ऐसे भ्रष्ट अधिकारी पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है, और सालों से नगर निगम उज्जैन में पदस्थ अधिकारियों को अन्य स्थानांतरण करने की भी आवश्यकता है, ताकि नगर निगम में भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक लगाम लग सके,नगर निगम के उक्त भ्रष्ट अधिकारी के भ्रष्टाचार की डायरी के हर एक पन्ने को खबर दर खबर उजागर किया जाएगा, अगले अंक में इस अधिकारी द्वारा ट्रैफिक क्रेन में किए गए भ्रष्टाचार का पर्दा उठाया जाएगा।
