
कलेक्टर,आरटीओ पर स्कूल बस संचालक भारी,
कलेक्टर के आदेश को घोलकर पी गए,
कलेक्टर के आदेश के बाद भी 7 साल से हो रही है लूट
उज्जैन, 2015 में उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर द्वारा बैठक ली गई थी ,जिसमें सभी स्कूल संचालक , बस संचालक एवं आरटीओ शामिल हुए थे जिसमें निर्णय हुआ था कि स्कूल बसों का किराया 0 से 5 किलोमीटर तक ₹400, 5 से 10 किलोमीटर तक 550 रुपए एवं 10 किलोमीटर से अधिक ₹650, बस संचालकों द्वारा बच्चों के पालकों से लिया जाएगा, आपको बता दें कि इस आदेश की अवहेलना पिछले 7 सालों से खुलेआम हो रही है बस संचालक अपनी मर्जी से मनचाहा किराया वसूल रहे हैं, कुछ स्कूल संचालकों द्वारा कलेक्टर रेट से कई गुना ज्यादा वसूले गए किराए की रसीद भी दी जा रही है, लेकिन इन सबके बीच प्रशासन पिछले 7 सालों से मूकदर्शक बना हुआ है और बस संचालकों द्वारा बच्चों के पलकों को खुलेआम लूटा जा रहा है ,स्कूल बस संचालकों द्वारा बढ़ी हुई फीस न देने पर न सिर्फ बच्चों को स्कूल बस में नहीं बिठाया जा रहा है बल्कि पालकों को धमकी भी दी जा रही है कि बच्चों को स्कूल से निकाल दिया जायेगा।
मामला मक्सी रोड स्थित बाढ़ कुम्मेद का है जिसमें हाकम सिंह डोंगलिया की बेटी केन इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ती है, स्कूल से बाढ़कुम्मेद गांव की दूरी महज 3 किलोमीटर है जबकि स्कूल बस संचालक द्वारा ₹600 प्रतिमाह की मांग की जा रही है और नहीं देने पर 1500 रुपए प्रति माह के हिसाब से पेलेंटी लगाई जा रही हैं, हाकम सिंह ने बताया कि मेरी बेटी का एडमिशन आरटीई अर्थात गरीबी रेखा के अंतर्गत केन इंटरनेशनल स्कूल में हुआ है लेकिन स्कूल संचालक द्वारा न सिर्फ मनमानी फीस वसूली जा रही है बल्कि स्कूल बस संचालक द्वारा भी कलेक्ट्रेट से कई गुना ज्यादा बस फीस वसूली जा रही है ,इसकी शिकायत उज्जैन कलेक्टर कार्यालय ,आरटीओ कार्यालय एवं जिला शिक्षा विभाग को लिखित में की गई, बावजूद इसके स्कूल बस संचालक द्वारा कलेक्टर रेट को धत्ता बता कर मनमाना शुल्क वसूला जा रहा है, नहीं देने पर बच्ची को बस में नहीं बिठाया जाता है और स्कूल संचालक द्वारा बच्ची को स्कूल से निकाले जाने की धमकी दी जाती है।
गौरतलब है कि यह मामला सिर्फ एक स्कूल तक सीमित नहीं है उज्जैन के लगभग सभी प्राइवेट स्कूलों के बस संचालकों द्वारा स्कूल बसों के कलेक्टर द्वारा निर्धारित रेट को मान्य नहीं किया जा रहा है, और पिछले 7 सालों से लगातार कलेक्टर के द्वारा निर्धारित किए गए स्कूल बसों के शुल्क की अवमानना की जा रही है, बावजूद इसके उज्जैन आरटीओ द्वारा भी इस विषय में कोई ठोस कार्रवाई कई वर्षों से नहीं की गई।
बहर हाल बच्चों के पालक प्रशासनिक विभागों के चक्कर काट रहे हैं और जगह जगह शिकायत भी की जा रही है लेकिन प्रशासनिक विभागों की उदासीनता बरकरार है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले 7 सालों से किसी भी स्कूल बस संचालक पर प्रशासनिक अधिकारी द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई , लेकिन प्रशासन की उदासीनता का खामियाजा बच्चों के पालक एवं बच्चे भुगत रहे हैं और स्कूल बस संचालक खुलेआम कलेक्टर एवं आरटीओ के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
