कोझिकोड। उड़ी में सैन्य अड्डे पर आतंकी हमले के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में भारतीय प्रतिक्रिया व कार्रवाई पर उठ रहे सवालों के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सतर्क किया है कि सरकार में होने के बाद व्यवहार में ज्यादा सावधानी होनी चाहिए। बयान से ज्यादा काम पर ध्यान होना चाहिए।
संकेत साफ है कि शनिवार को केरल से खुद जनता के बीच जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही पहला संदेश देंगे और उसके बाद ही रविवार को पार्टी अपने राजनीतिक प्रस्ताव में उसी लाइन को आगे बढ़ाएगी। यही कारण है कि शुक्रवार को पदाधिकारियों की बैठक में भी शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा की बात तो की लेकिन उड़ी हमले पर ज्यादा कहने से बचे। उन्होंने कहा, ‘1967 की स्थिति से आगे बढ़कर अब हम देश की सबसे बड़ी पार्टी बन गए हैं। सत्ताधारी पार्टी के व्यवहार में वह दिखना भी चाहिए।’ व्यवहार का यह परिवर्तन पूरे राष्ट्रीय परिषद में भी दिखेगा। लिहाजा संभव है कि परिषद की पूरी बैठक में भी इस बार दूसरे दलों की नीतियों की आलोचना के बजाय केवल सकारात्मक बातें हों। गरीब कल्याण एजेंडे में सबसे ऊपर होगा।
कश्मीर भाजपा के लिए संघर्ष के वक्त से ही बड़ा मुद्दा रहा है। लिहाजा तय है कि परिषद से यह मुद्दा अछूता नहीं रहेगा। इसकी झलक कोझिकोड में पदाधिकारियों के बैठक स्थल के मुख्य गेट से ही मिली। सबसे बाहर दीन दयाल उपाध्याय और प्रधानमंत्री मोदी के कश्मीर से जुड़े दो वक्तव्य बड़े पोस्टर पर अंकित थे। दीनदयाल ने कहा था, ‘कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान या कोई भी दूसरी शक्ति सवाल उठाती है तो उन्हें बता देना होगा कि यह हमारा अविभाज्य अंग है.अगर संयुक्त राष्ट्र भी इसमें दखल देता है तो उसे अस्वीकार कर देना चाहिए।’
जबकि जम्मू कश्मीर पर आयोजित सर्वदलीय बैठक में मोदी ने कहा था, ‘जम्मू-कश्मीर केवल हमारी क्षेत्रीय अखंडता का नहीं बल्कि हमारी राष्ट्रीयता की परिभाषा है।’ सूत्र बताते हैं कि पार्टी के राजनीतिक प्रस्ताव में सरकार की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ उठाए गए कूटनीतिक कदमों का उल्लेख करते हुए कहा जाएगा कि भारत के खिलाफ काम कर रहे लोगों को किसी शर्त पर नहीं बख्शा जाएगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने इसका संदेश देते हुए कहा, ‘रोग बड़ा हो तो डॉक्टर तुरंत दवाई देने के बजाय पहले पूरा टेस्ट करता है।’ तो एक दूसरे नेता ने कहा, ‘सरकार ने तो सेना को पूरी स्वतंत्रता दे दी। थोड़ा संयम रखिए..जवाब मिलेगा।’ जाहिर है कि कुछ बोलने से पहले पार्टी प्रधानमंत्री का इंतजार करना चाहती है।
राष्ट्रीय परिषद में नई बात है गरीब कल्याण पर केंद्रित एजेंडा। गौरतलब है कि पिछले महीने भाजपा मुख्यमंत्रियों की बैठक में शाह ने एक चार सदस्यीय टीम बनाकर उसे गरीब कल्याण के लिए आवश्यक कदमों पर विचार करने को कहा था। रिपोर्ट आ गई है और उसी आधार पर परिषद में उसका पूरा खाका दिया जाएगा। बताते हैं कि केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही 80 योजनाओं का उल्लेख करते हुए उसमें आवास, किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयास, स्वास्थ्य, सिंचाई जैसी कुछ योजनाओं के लिए लक्ष्य तय कर आगे बढ़ने को कहा जाएगा। भाजपा शासित सभी राज्यों में इसे लागू करने के बाद दूसरे राज्यों से भी इस पर आगे बढ़ने का आग्रह किया जाएगा। यानी गरीबों, पिछड़ों और दलितों को लेकर गरमागरम चुनावी हलचल के बीच पार्टी यह संदेश देने में नहीं चूकेगी कि उनकी असली चिंता भाजपा करती है।
शनिवार की सुबह क्षेत्रवार राज्यों पर भी चर्चा होगी। संगठन महामंत्री रामलाल समेत दूसरे संयुक्त महामंत्री अपने-अपने प्रभार के राज्यों की बैठक लेंगे और वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में उनकी तैयारियों की समीक्षा करेंगे।
