बाहुबलियों के इशारे पर भेदभावपूर्ण कार्य कर रहा प्रशासन,सिंहस्थ क्षेत्र में 2004 से 2015 तक हुए अतिक्रमण को क्यों बचाया जा रहा है।

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बाहुबलियों के इशारे पर भेदभावपूर्ण कार्य कर रहा प्रशासन
अवैध कॉलोनी है तो बिजली ,पानी ,सड़क का इंतजाम किसने किया?
निगम अधिकारी, , कॉलोनाइजर नेताओं पर भी हो कार्यवाही
सिंहस्थ क्षेत्र में 2004 से 2015 तक हुए अतिक्रमण को क्यों बचाया जा रहा है
2016से 2022 तक के अतिक्रमण हटाने की ही क्यों पीटी मुनादी
सिंहस्थ क्षेत्र के अतिक्रमण हटाने में भेदभाव पूर्ण रवैया शासन प्रशासन का
माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 281 अतिक्रमण कर्ता को अतिक्रमण हटाने के आदेश 2012 में दे चुकी है
उज्जैन सिंहस्थ मेला क्षेत्र के अतिक्रमण हटाने में भेदभाव पूर्ण रवैया शासन प्रशासन द्वारा अपनाया जा रहा है सिंहस्थ क्षेत्र के भू माफियाओं ने सिंहस्थ मेला क्षेत्र की कृषि भूमि खरीद कर उस आरक्षित भूमि पर कॉलोनी काटने वाले को आखिर अभय क्यों दिया जा रहा है,सिंहस्थ मेला क्षेत्र के अतिक्रमण हटाने के लिए माननीय उच्च न्यायालय माननीय सर्वोच्च न्यायालय इंदौर द्वारा 2012 में जिला कलेक्टर उज्जैन को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए जा चुके हैं । पर कलेक्टर द्वारा आज तक मा. उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया गया है, और कलेक्टर द्वारा अपने बनाए आदेश का पालन करवा कर राजनीतिक रसूखदार अतिक्रमण कर्ताओ को खुली छुट दे दी गई है वहीं भूमि स्वामी को नोटिस देकर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के लिए मुनादी फिरवा दी गई है।
भरी ठंड में मुनादी सुनकर ऐसा सदमा लगा कि सलीम भाई पतंग वाले का दम ही निकल गया
आगर रोड नाका की गुलमोहर कॉलोनी में निगम ने 150 से अधिक परिवारों को अतिक्रमण हटाने के नोटिस दिए हैं।
जबकि जिला कलेक्टर एवं निगमायुक्त ने 281अतिक्रमण में से एक भी अतिक्रमण नहीं हटाए एवं नहीं रोकने की कार्रवाई की गई आज भी बेधड़क रसूकदार जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में सिंहस्थ मेला क्षेत्र की आरक्षित भूमि पर धड़ल्ले से अतिक्रमण, अवैध निर्माण किए जा रहे हैं वहीं जिला कलेक्टर सिंहस्थ 2016 के बाद जितने भी अतिक्रमण अवैध कालोनियों में हुए उन अवैध अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की जा रही है जबकि माननी उच्च न्यायालय द्वारा सन 2012 में सिंहस्थ मेला क्षेत्र से 281 अतिक्रमण हटाने के आदेश जिला कलेक्टर उज्जैन को दे चुकी है उसके बाद भी लगभग 10 साल बीतने को आए हैं पर जिला कलेक्टर उज्जैन द्वारा 281 अतिक्रमण में से एक भी अतिक्रमण को नहीं हटाया गए एवं इससे कहीं ज्यादा अतिक्रमण निगम अधिकारियों द्वारा घूस खाकर सिंहस्थ मेला क्षेत्र में करा दिए गए सिंहस्थ मेला क्षेत्र के अतिक्रमण तो अतिक्रमण है चाहे वो 2004 से हो या 2016 के बाद अतिक्रमण हो। अपराध 2004 वाले ने भी किया है वही अपराध 2016 वाले ने भी किया है किसी भी तरह से अपराध को दो भागो में बाटने की शासन प्रशासन कि निती न्याय संगत नहीं है करवाही करना है तो दोनों पर की जाना चाहिए। 2016 वाले अवैध निर्माण हैं तो 2012 से 2016 तक के अवैध निर्माण को क्यों बख्शा जा रहा है , सजा सभी को समान रूप से मिलना चाहिए इसमें किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए,अगर इसी तरह से भेदभाव किया जाता रहा तो शासन प्रशासन पर से विश्वास और न्याय व्यवस्था से भी भरोसा उठ जायेगा।


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