जटिया जी उज्जैन के लिए मिस्टर इंडिया हैं, सोशल मंच पर उज्जैन के नेताओं की करनी के चलते हो रहे हैं फजीते

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जटिया जी उज्जैन के लिए मिस्टर इंडिया हैं, सोशल मंच
उज्जैन के नेताओं की करनी के चलते हो रहे हैं फजीते
सोशल मंच पर आ रहे हैं,कुछ इस तरह के कमेंट्स
उज्जैन, अपने किए हुए कार्यों का फल भविष्य में कहीं ना कहीं देखने को जरूर मिलता है, शायद इसीलिए एक बैठक में उत्तर के विधायक ने दूसरे विधायक से यह कहा था कि सिंहस्थ क्षेत्र में अवैध निर्माण होता है तो निश्चित रूप से उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ पर इसका असर होगा और कहीं ना कहीं उज्जैन की जनता का इसमें अहित है इसलिए अगर ऐसा होता है तो उज्जैन की जनता हमें कभी माफ नहीं करेगी, लेकिन उज्जैन की यह विडंबना रही है कि जो भी जनप्रतिनिधि सत्ता में काबिज होता है वह जनता के हित को दरकिनार करते हुए स्वार्थ सिद्धि को अपनाते हैं लेकिन जनता दिल्ली को देखकर वोट दे देती है लेकिन दिल्ली वाले नेता जी को क्या पता है कि उज्जैन के जनप्रतिनिधियों की कथनी और करनी में कितना अंतर है यह हम नहीं कह रहे हैं यह इन दिनों सोशल मंच पर उज्जैन के पूर्व जनप्रतिनिधि के विषय में चर्चा आम हो रही है उन चर्चाओं के कुछ मुख्य अंश हम आपको जरूर बताएंगे
जब भी उज्जैन में विमल मिल, विनोद मिल ,हीरा मिल आदि का जिक्र होता है तो उज्जैन के पूर्व जनप्रतिनिधि सत्यनारायण जटिया का जिक्र जनता अवश्य करती है क्योंकि उज्जैन में हुए हर चुनाव में जटिया जी ने मिल मजदूरों का हक़ दिलाने को लेकर चुनावी एजेंडा बनाया लेकिन आज उन हजारों मजदूरों में से सैकड़ों मजदूरों की मृत्यु हो चुकी है और आज भी है उज्जैन के जनप्रतिनिधियों के लिए एजेंडा ही है, कुछ दिनों पूर्व ही क्षेत्र के विधायक एवं सांसद के घर के बाहर मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर धरना दिया था लेकिन आज सवाल यह उठता है कि आखिर उज्जैन के जनप्रतिनिधि अपने स्वार्थ सिद्धि से ऊपर उठकर जनता के हित के लिए कब समय और सोच बनाएंगे।
सोशल मंच पर विनोद मिल ,रामघाट और कार्तिक मेला को लेकर उज्जैन के पूर्व जनप्रतिनिधि सत्यनारायण जटिया को लेकर एक पोस्ट पर चर्चा हो रही है इस पोस्ट में लिखा है कि सत्यनारायण जटिया जी आपको बाबा महाकाल बुला रहे हैं हाजिर हों, इस पोस्ट पर कई कमैंट्स उज्जैन की जनता ने लिखे हैं कुछ प्रमुख कमैंट्स आपको हम बताते हैं
विनय जैन लिखते हैं कि जटिया जी उज्जैन के लिए मिस्टर इंडिया हैं,
आनंद राय लिखते हैं कि जनता का.. चूसने के बाद अपने व्यापार को स्थापित करने में लगे गए,
रवि जायसवाल लिखते हैं कि जब से वापसी हुई है भाजपा की लुटिया डूब गई है,
जीवन बैरागी लिखते हैं कि जब सांसद थे तब नहीं दिखे तो अब क्या दिखेंगे,
गिरीश लोधी लिखते हैं कि नर्मदा शिप्रा लिंक योजना का एजेंडा लेकर 25 साल एमपी रहे अगर पावड़ा लेकर खोदते तो आज शिप्रा नर्मदा लिंक हो जाती।
बहर हाल यह कुछ मुख्य कमेंट है जो जनता के मन में अपने जनप्रतिनिधियों के लिए उनकी करनी के लिए बसे थे लेकिन वास्तविकता यह है कि जनप्रतिनिधि जब सत्ता में काबिज होते हैं वह बेशक उस समय जनता के हितों को दरकिनार कर अपनी स्वार्थ सिद्धि कर लेते हैं लेकिन कहीं न कहीं भविष्य में उनकी करनी का फल जनता आने वाली पीढ़ियों के सम्मुख जरूर रखती है, और इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि भविष्य में कई और उज्जैन के जनप्रतिनिधि मिस्टर इंडिया कहलाएंगे, इसलिए वर्तमान के जनप्रतिनिधियों और आने वाले जनप्रतिनिधियों विशेषकर उज्जैन के जनप्रतिनिधियों को अपनी करनी पर चिंतन करने की आवश्यकता है अन्यथा यह भी अटल सत्य है कि कुबेर का खजाना भी कुबेर अपने साथ नहीं ले जा पाया था, लेकिन करनी का बखान इतिहास में दर्ज हो जाता है।


उपरोक्त कमेंटस सोशल मंच फेसबुक से लिये हैं।


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